योग अपनावे सुंदर स्वस्थ जीवन पावे :वायु योग मुद्रा :वायु को नियंत्रित कर श्वसन रोगो से मुक्ति का माध्यम जानिये योग मुद्रा की विधि और लाभों को_

योग अपनावे सुंदर स्वस्थ जीवन पावे :वायु योग मुद्रा :वायु को नियंत्रित कर श्वसन रोगो से मुक्ति का माध्यम जानिये योग मुद्रा की विधि और लाभों को_

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज


रिपोर्ट - अलोपी शंकर


योग अपनावे सुंदर स्वस्थ जीवन पावे :वायु योग मुद्रा :वायु को नियंत्रित कर श्वसन रोगो से मुक्ति का माध्यम जानिये योग मुद्रा की विधि और लाभों को_


पिछले अंक में हमने हस्त मुद्राओं के विभिन्न प्रकार बताकर जल (वरुण ) मुद्रा और ज्ञान मुद्रा के बारे में विस्तार से बताया। इन योग मुद्राओं को करने का तरीका महत्व और लाभों को भी बताया। इसी कड़ी में हम आज जानेंगे वायु मुद्रा के बारे में ..


जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि शरीर में पांच तत्व मौजूद होते हैं और इन तत्वों (elements) के असंतुलित होने पर व्यक्ति व्याधियों से जकड़ जाता है। इन पांच तत्वों की विशेषता हमारे हाथों की उंगलियों में समाहित होती है। हाथ की पांच उंगलियों में वायु तर्जनी उंगली पर, जल छोटी उंगली पर, अग्नि अंगूठे पर, पृथ्वी अनामिका उंगली पर और आकाश (space) मध्यमा उंगली पर स्थित होता है।


वैसे तो योग मुद्राएं सैकड़ों प्रकार की होती हैं लेकिन शरीर में मौजूद अलग-अलग बीमारियों (diseases) को दूर करने के लिए अलग-अलग योग मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है।


आमतौर पर योग मुद्रा शरीर के विभिन्न अंगों (organs) पर निर्भर करता है लेकिन चूंकि शरीर में पाये जाने वाले पांच तत्वों का उल्लेख उंगलियों से ही किया जाता है इसलिए हस्त योग मुद्रा अधिक प्रसिद्ध (popular) है। आइये कुछ आसान और महत्वपूर्ण (crucial) योग मुद्रा करने के तरीके और उनके फायदे जानते हैं। आज चर्चा करेंगे वायु मुद्रा पर 


*वायु मुद्रा*

 

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, वायु मुद्रा शरीर में वायु का संतुलन बनाये रखने के लिए किया जाता है। जहां वायु दाब कम होने से रक्त प्रवाह अत्यधिक तीव्र गति से होने लगता है और आंख नाक मुंह कान गुदा और नसों से फट कर वह सकता है वही दूसरी और वायु दाब बढ़ने से खून का प्रवाह मन्दिम हो जाता है जिससे हृदय सुचारू रूप से काम नही कर पाता जिसके कारण हृदयाघात हो सकता है ।


शरीर में वायु का सही संतुलन के लिए इस मुद्रा का प्रयोग किया जाता है 


*वायु मुद्रा के लाभ*


यह मुद्रा शरीर से अधिक वायु बाहर निकालने का कार्य करता है और गैस के कारण सीने में उत्पन्न दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।


वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से घबराहट (nervousness) और बेचैनी दूर होती है और मन शांत रहता है।


यह मुद्रा वात दोष को दूर करने में सहायक होता है 


इस मुद्रा के प्रयोग से  अर्थराइटिस की समस्या दूर होती है 


वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास , गैस की समस्या को दूर करता है 


यह मुद्रा साइटिका, घुटनों एवं मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में प्रभावी होती है।


इसके अलावा यह मुद्रा अधिक झींक (sneezing) आने, जम्हाई आने (yawning) की समस्या को भी दूर करने में फायदेमंद होता है।


*वायु मुद्रा करने की विधि*


सबसे पहले आप एक स्वच्छ आसन बिछाकर उस पर पद्मासन य़ा वज्रासन में बैठ जाए 


अपने हाथो को सीधाकर अपनी तर्जनी उंगली को मोड़े।


इसके बाद अपने अंगूठे के आधार पर तर्जनी उंगली (index finger) को मोड़कर हड्डी को दबाते हुए आधार के पास रखें।


हाथ की बाकी तीन उंगलियों को बिल्कुल सीधा (straight) रखें और उंगलियों पर किसी तरह का दबाव न दें।


इसके बाद हथेली को घुटने के ऊपर रखें और आंखें बंद करके कुछ देर तक बैठे रहें।


यह क्रिया वायु मुद्रा कहलाती है

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