ये कैसा शिक्षक दिवस? आज सबसे ज्यादा दुर्दशा शिक्षकों की है।

ये कैसा शिक्षक दिवस? आज सबसे ज्यादा दुर्दशा शिक्षकों की है।

प्रतापगढ़

05. 09. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी

ये कैसा शिक्षक दिवस? आज सबसे ज्यादा दुर्दशा शिक्षकों की है।

5 सितम्बर को सुबह से ही सोशल मीडिया पर शिक्षक दिवस की बधाई देने वालों का तूफान आ गया। सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग अपने गुरुजनों को प्रणाम करने में पीछे नहीं रहे। गुरु के महत्व पर लम्बे चौड़े प्रवचन भी दिए गए। लेकिन आज शिक्षकों की दुर्दशा पर कोई विचार मंथन नहीं किया गया। वर्ष 2020 का शिक्षक दिवस ऐसे समय पर आया है, जब गाव से लेकर शहर तक के स्कूल बंद पड़े हैं। विद्यार्थी घर बैठ कर मोबाइल पर पढ़ाई कर रहा है तो कुछ चुनिंदा शिक्षक बे मन से ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं।

यानि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच प्रत्यक्ष संबंध समाप्त हो गया है। सरकारी स्कूल के शिक्षकों को तो वेतन मिल रहा है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों का बहुत बुरा हाल है। जो प्राइवेट स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, उनके शिक्षकों की दशा तो बहुत खराब है। ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक तो अपने विद्यार्थियों को मोबाइल पर भी नहीं पढ़ा सकते। ग्रामीण क्षेत्र की प्राइवेट स्कूलों के संचालकों ने भी वेतन देने से इंकार कर दिया है।

ऐसे संचालकों का कहना है कि जब कोरोना काल में लॉकडाउन चल रहा है, तब विद्यार्थियों ने फीस भी जमा नहीं करवाई है। जिन संचालकों ने पूर्व में मोटी कमाई कर रखी है,उन्होंने भी अब शिक्षकों को वेतन देने से इंकार कर दिया है। संचालकों का ऐसा व्यवहार है जैसे प्रतिमाह फीस आने पर ही शिक्षकों को वेतन दिया जाता हो। जिस माह विद्यार्थियों ने फीस जमा नहीं करवाई उस माह शिक्षकों को वेतन भी नहीं दिया गया। जबकि सब जानते हैं कि प्राइवेट स्कूलों के संचालक कमाई करते रहे हैं। इसीलिए स्कूल भवन का विस्तार लगातार हुआ है।

हो सकता है कि कुछ छोटे स्कूल संचालकों को वाकई परेशानी हो रही हो, लेकिन शिक्षक दिवस पर शिक्षकों की हो रही दुर्दशा पर भी मंथन किया जाना चाहिए। यह माना जाता है कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माण करता है, लेकिन आज राष्ट्रनिर्माता को ही दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है।

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