संयुक्त राष्ट्र में भारत के बढ़ते कदम

संयुक्त राष्ट्र में भारत के बढ़ते कदम

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ 

भीम सिंह बघेल

स्वतंत्र टिप्पणीकार

संयुक्त राष्ट्र में भारत के बढ़ते कदम


भारत आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में 2021-22 के लिए नामित किया गया जिसमें 192 बैध वोट का 184 मत पाकर संयुक्त राष्ट्र संगठन की सर्वोच्च संस्था का सदस्य बना भारत के साथ आयरलैंड, मेक्सिको, नार्वे को सुरक्षा परिषद में जगह मिली जबकि कनाडा को बाहर ही रहना पड़ेगा भारत की जीत का अमेरिका समेत दुनिया भर में स्वागत किया गया अमेरिका द्वारा कहा गया कि हम भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के कार्य करने के लिए उत्साहित हैं भारत बहुपक्षीय व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं । भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार और विस्तार की मांग का पक्षधर रहा है आइए जानते हैं संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोच्च संस्था सुरक्षा परिषद कि सुधार और विस्तार क्यों आवश्यक है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावशाली संगठन की स्थापना का निर्णय लिया जाता है ताकि आने वाले समय में कोई युद्ध को रोका जा सके ऐसा प्रस्ताव सबसे पहले रुजवेल्ट द्वारा दिया जाता है जो 1944 में सैन फ्रांसिस्को में अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन करते हैं इस अधिवेशन में 51 देशों के नेता भाग लेते हैं और अंतरराष्ट्रीय चार्टर तय करते हैं 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना करते हैं संगठन का मुख्य उद्देश सदस्य देशों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करते हुए विश्व शांति और सुरक्षा के लिए कार्य करना इस के महत्वपूर्ण अंगों की स्थापना की जाती है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण अंग जनरल असेंबली के तौर पर स्थापित किया जाता है इसमें विश्व के सारे सदस्य देशों की भागीदारी दी जाती हैं और वार्षिक बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं इसमें निर्णय सामान्य बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं महत्वपूर्ण मामले पर विशेष बहुमत से निर्णय लिया जाता है संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्णायक अंग सुरक्षा परिषद इसमें 15 देशों को सदस्यता दी जाती है जिसमें 10 देशों को अस्थाई सदस्य के रूप में 2 वर्षों के लिए तथा पांच स्थाई सदस्य को वीटो शक्ति के साथ स्वीकार किया जाता है इसमें किसी निर्णय को पारित करने के लिए 9 सदस्यों की अनुमति अनिवार्य हैं जिसमें पांच स्थाई सदस्यों की अनुमति अनिवार्य होता है। संयुक्त राष्ट्र परिषद का तीसरा महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक काउंसिल है जिसका उद्देश्य विश्व में आर्थिक सामाजिक सुरक्षा को स्थापित करना है ।

 समकालीन समय में सबसे बड़ी मांग विश्व राजनीति में सुरक्षा परिषद के विस्तार से संबंधित हैं विश्व के अनेक देशों का मानना है कि विश्व की समकालीन परिस्थितियों को ठीक करने में असमर्थ है इसलिए इसका विस्तार आवश्यक है इसकी मांग जापान और जर्मनी द्वारा किया जाता है जो महत्वपूर्ण तर्क देते हैं इसके साथ  21 वीं सदी के प्रारंभ के साथ भारत और ब्राज़ील द्वारा भी यह मांग किया जाता है। इन 4 देशों के समूह को G-4 कहा जाता है।

जापान के द्वारा महत्वपूर्ण तर्क दिया जाता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक पूर्ति के लिए अमेरिका के बाद सबसे अधिक आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराता है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित होता है और लिखित प्रावधान बनाता है कि किसी देश का समर्थन नहीं करेगा जो नाभिकीय विस्तार संधियों को स्वीकार नहीं करेगा इसके साथ -साथ जापान किसी राष्ट्र को पूर्ण रूप से तैयार रक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं कराने का प्रयास करता है इस प्रकार जापान शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित होता है और इन तर्कों पर स्थाई सदस्यता की मांग करता है जर्मनी द्वारा भी महत्वपूर्ण तर्क दिया जाता है वह कहता है कि अमेरिका और जापान के बाद सबसे बड़ी मात्रा में आर्थिक संसाधन जर्मनी द्वारा दिया जाता है द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एक शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में जर्मनी स्थापित होता है यूरोपीय विवादों को जर्मनी द्वारा ब्रिटेन और फ्रांस के साथ समाप्त किया जाता है ना केवल यूरोपीय शांति के लिए आवश्यक बल्कि विश्व शांति और सुरक्षा के लिए भी यह आवश्यक था जर्मनी विश्व के अन्य रास्तों को आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराया जिससे जिम्मेदार राष्ट्र कहा जाता है सुरक्षा परिषद में अनौपचारिक सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाता है p5 प्लस वन जर्मनी को स्थाई सदस्य के रूप में स्वीकार करते हैं ऐसे तर्कों से जर्मनी स्थाई सदस्यता की मांग करता है।

समकालीन समय में भारत की ओर से भी महत्वपूर्ण स्थाई सदस्यता की मांग करता हैभारत की ओर से महत्वपूर्ण तर्क दिया जाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय शांति सुरक्षा का समर्थन करता है इस को दर्शाते हुए सुरक्षा परिषद को प्रारंभ से बड़ी सैनिक शक्ति उपलब्ध कराता रहा है जिससे शांति सेना कहा जाता है।इस सेना के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संगठन महत्वपूर्ण क्षेत्रीय विवादों को निपटाने हुए अपनी प्रासंगिकता स्थापित की है। भारत संयुक्त राष्ट्र संगठन में पूर्ण सहयोग देता है जब 1945 में संप्रभुता राष्ट्र नहीं था। भारत अपने महत्वपूर्ण विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में भूमिका निभाता रहा है 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ एक विशेष समिति का गठन करती हैं ताकि नारकीय सामग्रियों का प्रयोग औपचारिक तौर पर किया जा सके इस समिति की अध्यक्षता भारत के नाभिकीय वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा करते हैं इस समिति की सिफारिश पर महत्वपूर्ण एजेंसी की स्थापना की जाती हैं जैसे international atomic energy कहा जाता है। भारत के महत्वपूर्ण विजय लक्ष्मी पंडित महत्वपूर्ण विधेयक पारित करती हैं जिसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है कुछ समय बाद संयुक्त राष्ट्र संघ मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विशेष समिति का गठन करती हैं जिसमें सहयोग भारतीय विशेषज्ञ हसा मेहता द्वारा दिया जाता है इस पर दो महत्वपूर्ण अधिनियम पारित होते हैं जिसमें पहला United nation convention on civil and political rights दूसरा United nation convention on social cultural and economic right कहां जाता है विश्व स्तर पर  लोगों में जागरूकता प्रारंभ होती हैं।

21 वीं शताब्दी की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के लिए कार्यवाही करना चाहती हैं जिसके लिए टास्क फोर्स की स्थापना करती हैं जिसे counter terrorism implementation task force कहां जाता है इसकी स्थापना 1998 में की जाती है इसके अध्यक्ष वर्तमान सरकार में मंत्री हरदीप सिंह पुरी जी कहते हैंइन प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा जाता है भारत या भी दर्शाता है कि भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं और विभिन्न समुदायों का हित सुरक्षित रखने में सक्षम है भारतीय जनसंख्या चीन के बाद प्रथम है इसको सम्मिलित नहीं करते हुए कोई संगठन प्रतिनिधित्व संगठन नहीं हो सकता है।

ब्राजील द्वारा स्थाई सदस्यता के पक्ष में महत्वपूर्ण तर्क दिया जाता है कि दक्षिण अमेरिका क्षेत्र में ब्राजील शांतिपूर्ण राष्ट्र है जो अनेक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठन में सम्मिलित हैं जिससे ब्राजील को जिम्मेदार राष्ट्र माना जाता है ब्राजील तक देता है प्रारंभ से लेकर अब तक किसी भी दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता नहीं दी गई इस बड़े भौगोलिक महाद्वीप को संबोधित करने के लिए आवश्यक है कि सुरक्षा परिषद में सदस्य दिया जाए।

            हालांकि g-4 सदस्यों के तर्कों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाता है परंतु सुरक्षा परिषद का सुधार में विस्तार एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि इसके लिए सुरक्षा परिषद के चार्टर को संशोधित करना पड़ेगा जिसके लिए जनरल असेंबली से विशेष बहुमत के साथ पारित करना आवश्यक होगा साथ ही सुरक्षा परिषद द्वारा बिल पारित करना होगा g-4 समूह के विरुद्ध एक और अंतरराष्ट्रीय समूह की स्थापना हुईं जिसे कॉफी क्लब कहा जाता है जिसमें स्पेन , इटली, अर्जेंटीना, पाकिस्तान सम्मिलित है जो सुरक्षा परिषद के सुधार का विरोध करते हैं ऐसी स्थिति में विस्तार संभव नहीं है भारत के परिपेक्ष में कठिनाई है कि जापान को स्थाई सदस्यता दी जा सकती है ऐसी स्थिति में एशिया महाद्वीप से तीन देश को सदस्य बनाना कठिन हो सकता है परंतु भारत तर्क  देता है कि यूरोपीय देश से 3 देश को स्थाई सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया है ऐसी स्थिति में 3 देशों को स्थाई सदस्यता दी जा सकती हैं।

भारत द्वारा वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यता हासिल करके ना केवल भारत के गौरव को ऊंचा किया है बल्कि विश्व व्यवस्था में  अपने महत्व को स्थापित करने में अग्रसर हो रहा है जिससे विश्व गुरु का सपना साकार होता प्रतीत हो रहा है।

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