पितृपक्ष में कुछ भी निषेध नहीं, संतों ने दिया जनता को संदेश
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- साहित्य/लेख
- Updated: 5 September, 2020 11:42
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पितृपक्ष में कुछ भी निषेध नहीं, संतों ने दिया जनता को संदेश
लखनऊ।
लेख - नीरज उपाध्याय
समस्त सनातन समाज में श्राद्ध पक्ष को लेकर कई तरह की भ्रांतियां कहीं फैली हुई है। जिसे संतों और आचार्यों ने परंपराओं का अंधानुकरण बताया है। महान संतों के कथानुसार श्राद्ध पक्ष और अधिमास में कोई नया कार्य करना, जेवरात,कपड़े, अथवा संपत्ति की खरीदारी पर कोई प्रतिबंध नहीं है और ना इस तरह के कार्य करने कुछ अशुभ होगा।
बल्कि पितृपक्ष में तो पितृ स्वंय मृत्यु लोक में आकर सभी को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में कुछ भीअशुभ होने का सवाल ही नहीं उठता है। इस महिने में श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जो 17 सितंबर 2020 तक चलेगा। इसके बाद 18 सितंबर 2020 से अधिमास का आरंभ होगा और 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा।
ऐसे स्थिति में आमजनमानस के बीच फैली इस प्रकार की भ्रांतियों का संतों ने निराकरण किया। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य अवेधशानंद गिरि बताया कि धर्म शास्त्रों में किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि देवी भागवत महापुराण और गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ प्रसन्न होकर हमें आर्शीवाद देने मृत्युलोक में आते हैं, अपने कुल के परिजनों द्वारा अन्न व जल ग्रहण करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि फिर भी लोग इस पक्ष को अशुभ कैसे मान सकते है।
सिद्धपीठ दक्षिण कालीमंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के अनुसार पितृों और गुरु की पूजा को देव पूजन से बड़ा माना गया है। जब पितृों का आर्शीवाद साथ है तो कुछ भी अशुभ कैसे हो सकता है। श्राद्ध पक्ष में पितृ और पूर्वज हमें आर्शीवाद देने मृत्यलोक में विराजमान होते हैं।
पितृों के आर्शीवाद की छाया में किया गया कोई भी कार्य अशुभ नहीं हो सकता। गरुड़ पुराण में और हमारे शास्त्रों में इसका वर्णन है और विधान भी है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेताननंद का कहते है कि हिदु धर्म में हर शुभ कार्य में दो सत्ताओं का आह्वान अवश्य किया जाता है।
वह है पितृ सत्ता और गुरुसत्ता। पितृपक्ष के समय तो पितृ सत्ता स्वयं मृत्यलोक में उपस्थित है तो ऐसे कुछ भी अशुभ कैसे हो सकता है। देवी भागवत महापुराण के अनुसार भी यही कहा जा सकता है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी के कथनानुसार गरुड़ पुराण और भागवत पुराण में स्पष्ट है कि श्राद्ध पक्ष में पितृों के आशीर्वाद से बढ़कर कुछ नहीं है। ऐसे में हमारे किसी भी कार्य पर अशुभ की छाया कैसे पड़ सकती है।
उत्तराखंड चार धाम विकास परिषद के अध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में कोई कार्य निषिद्ध नहीं है।इन सभी महान संतों और आचार्यों के कथन का अर्थ यह निकलता है कि पितृपक्ष के सभी दिन अधिक फलदायी होता और इस पक्ष में कुछ भी नया और शुभ कार्य करना अशुभ नहीं होता है।
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