परशुराम जयंती विशेषांक

परशुराम जयंती विशेषांक

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज

संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"

परशुराम जयंती विशेषांक

जै परशुराम  जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम ।।

हे भृगु नंदन । हेजग वंदन । 

हे ऋषि  ऋचीक कुल के चंदन।।

त्रिभुवन  करता है अभिनंदन।।

क्रूरों कुटिलों कामियों कपूतों के कुल हैं करते क्रंदन।।

तुमसे गरिमा  मय ब्रह्मचर्य ।

हे शक्ति वर्य हे भक्ति  वर्य।।

शिव पद पंकज अनुरक्ति वर्य।।

तुम महा सिंधु  से हो विराट  ।।

हिम गिरि सा उन्नत ठाट बाट ।।

मिथिलेश  सभा मे महाभाग के चरण कमल मे झुके राम ।।

जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम  ।।1।।


थे पूज्य  पितामह  मुनि ऋचीक ।।

ऋषि कुल मे जिनकी प्रथम लीक।। 

नानी ने कपट महान किया ।।

बेटी को अपना भाग दिया।।

कन्या  का भाग स्वयम्  खाई।।

वह यज्ञ तेज से थर्राई ।।

द्विज  गुंण संयुत सुत प्रगटाई।।

जिससे मुनि विश्वामित्र हुए ।।

लक्षित द्विजत्व के चित्र  हुए।।

बेटी ने खाया क्षात्र अंश।।

क्षत्रिय गुंण पाया विप्र वंश।।

कुटिलों को जिसने किया ध्वंस।।

जब सत्यवती को ज्ञान  हुआ।।

उर कांपा शोक महान  हुआ ।।

तब मुनिवर ने आषीष  दिया ।।

सात्विक  द्विज सुत जमदग्नि किया ।

नाती को क्षत्रिय धर्म मिला

क्षत्रियों सरीखा ओज तेज हो गया नाथ आपके नाम।।

जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम  ।।2।।


शंकर ने विद्या दान दिया ।

वेदों शाश्त्रों का ग्यान दिया।

शत्रुंजय  मन्त्र  महान दिया।।

सत से पूरित  अभिमान  दिया।

एक दिन  श्रीयुत कैलाश  गए ।

दर्शन हित गुरुके पास गए।

गणपति ने मग अवरुद्ध किया ।

उनसे प्रलयंकर युद्ध किया ।

फरसा मारा कांपा दिगंत।

हो गए  गजानन एक दंत।

शिव ने करवाया युद्ध अंत।

गंधर्वों का लख कर विहार ।

मानसिक देख कर दुराचार ।

पुत्रों से मुनि बोले पुकार 

लीजिए रेणुका सिर उतार ।

आज्ञा ना माने पुत्र चार।

फिर ले करके कर मे कुठार ।

कर दिए  आप निर्भय प्रहार।

चारों भाई भी दिए मार।

मां का भी शीष लिए  उतार ।

फिर  जिला दिए मुनिवर  उदार।

जै कार करें सुर बार बार ।

केवल तुमसे ही संभव था  यह  धरती का दुर्धर्ष काम ।।

जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम ।।3।।


एक रोज सहस्त्रार्जुन आया ।

शठ कामधेनु लख हरसाया।

पहले कर ऋषि से बरजोरी।

कर लिया गऊ की फिर चोरी।

जब आश्रम  परशुराम  आए।

क्रोधित फरसा लेकर धाए।

हज्जार भुजाएं काट दिए  ।

तरु की शाखाएं छांट दिए ।

फिर  फरसा मध्य  ललाट  दिए ।

वीरों से वसुधा पाट दिए ।

यह सुन राजा के पुत्रों ने जमदग्नि ऋषी का प्राण लिया।।

पितु का वध सुनकर भार्गव ने कर मे फरसा धनु बान लिया।।

फिर  महा भयंकर  युद्ध हुआ ।

ज्यों महाकाल ही क्रुद्ध  हुआ।

नृपकुल का भाग्य  विरुद्ध हुआ ।

सबका भुजबल अवरुद्ध हुआ।

सारा नृपकुल निर्मूल हुआ।

सब शाश्त्रों के अनुकूल  हुआ ।

शोणित से पांच कुंड भरकर। 

संतुष्ट  किया तुमने शंकर ।

इस महा पराक्रम की गाथा को जग गाएगा अष्ट याम।।

जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम  ।।4।।


फिर  अश्व मेध सा यज्ञ किया ।।

जिसने तुमको सर्वग्य किया।

विप्रों को वसुधा किया दान ।

कर गए  शैल तप हित पयान।

जब पूर्ण ब्रह्म  अवतार  हुआ ।

जब धन्य धन्य  संसार  हुआ।

धनु भंग शब्द  सुन कर आए  ।

मिथिला मे राम दरस पाए।

लक्ष्मण से महा विवाद हुआ ।

राघव से कुछ संवाद हुआ ।

धनु दिए  धनुर्धर के कर मे।

अंशी देखा जब रघुवर मे।

करके अभिनंदन बार बार

फिरफिर गै महेन्द्र  गिरि पर पधार ।

द्वापर मे कर्ण द्रोण भीषम पर किए अनुग्रह कृपागार।

सब काम पूर्ण  हो जाएगा।

जो परशुराम गुंण गाएगा।

यह दिव्य  चरित जो गाएगा ।

करिए करुणा कवि निर्मल,,पर दर्शन दे दें श्री सियाराम ।।

जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम जै परशुराम ।।5।।जै रेणुका नंदन।। 

अक्षय तृतीया के पावन पर्व एवं परशुराम जयन्ती पर सभी सनातन धर्मावलंबी सज्जनो को सादर समर्पित ।।

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