न्यूनतम समर्थन मूल्य (M S P) के मायने

न्यूनतम समर्थन मूल्य (M S P) के मायने

न्यूनतम समर्थन मूल्य (M S P) के मायने

स्वतंत्र लेखक, भीम सिंह बघेल

किसानों के प्रमुख मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य(M S P) के असल मायने क्या हैं  ? न्यूनतम समर्थन मूल्य वह बीमित मूल्य होता है जो किसानों को बाजार से गिरते मूल्य से सुरक्षा देता है। एमएसपी की घोषणा उत्पाद से पहले की जाती है। वर्तमान में भारत में 23 फसल पर एमएसपी की घोषणा की जाती है । जिसमें गन्ने पर एफआरपी (Fair and Remunerative price) उचित्त और लाभकारी मूल्य दिया जाता है। एफआरपी एमएसपी से हमेशा ज्यादा होता है।

1965 में एमएसपी पर लक्ष्मीकांत झा समिति का गठन किया गया उनके सिफारिश पर कृषि मूल्य कमीशन का गठन किया गया इसका नाम 1985 मे बदल कर कृषि मूल्य और लागत आयोग(CACP) किया गया जोकि एमएसपी पर मूल निर्धारित करता है और अपनी सिफारिश को आर्थिक मामलों के मंत्रालय जिसे cabinet committee on economic affairs (CCEA) अपनी अंतिम मुहर लगाता है। इसमें खाद्य और गैर खाद्य दोनों तरह की चीजों को शामिल किया जाता है।

इसकी घोषणा दो बार रवि और खरीफ की फसल से पहले की जाती है। के प्रमुख लाभ पर विचार करें तो यह एमएसपी किसानों को गिरते कीमतों से सुरक्षा देता है तथा फसलों के उत्पादन में वृद्धि करता है एमएसपी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं सरकार एमएसपी द्वारा फसल पैटर्न में बदलाव करती हैं जैसे 2016 में एमएसपी को बढ़ाकर दाल के उत्पादन को बढ़ाया गया ।एमएसपी बाजार में व्यापारियों के एकाधिकार को रोकता है इससे किसानों की आय में वृद्धि होती हैं ।

एमएसपी की गणना कैसे होती है एमएसपी की गणना के लिए सीएसीपी(CACP) कुछ चीजों को आधार बनाता है जैसे मांग और पूर्ति के आधार पर, किसानों के उत्पादन लागत के आधार पर, अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य,  अंतःफसली संबंध, उपभोक्ता पर पड़ने वाला प्रभाव के आधार पर एमएसपी तय की जाती हैं। एमएसपी की गणना के लिए प्रयोग किए जाने वाले हैं सूत्र बात करें तो A2-यह वह लागत होता है जो किसान नगद रूप से खर्च करता है जैसे -मजदूरों का भुगतान।A2+FL (family labour)-पारिवारिक श्रम >A2 C2-किसानों का दृश्य लागत(बीज+सिंचाई+मजदूरी+उर्वरक)  +   अदृश्य लागत (भूमि प्रबंधन+पारिवारिक श्रम+किसी और संपत्ति का कर्ज़+ब्याज)  के आधार पर एमएसपी की गणना की जाती हैं l

बाद में हनुमंतराव समिति द्वारा C3 का फॉर्मूला दिया जिसमें प्रबंधन लागत का 10% बढ़ाने का सुझाव दिया। लेकिन सरकार ने स्वीकार्य नहीं किया। 2006 में हरित क्रांति के पुरोधा एमएस स्वामीनाथन ने एमएसपी को 50% बढ़ाने का सुझाव दिया 2018- 19 के बजट में सरकार ने लागू किया यह 50%प्रतिशत वृद्धि केवलA2+FL(मजदूरी लागत+पारिवारिक सलाम) मे किया गया । एमएसपी को लेकर तमाम चुनौतियां हैं यह सरकार के खर्च को बढ़ाती हैं जिससे राजकोषीय घाटा होता है। एमएसपी के लालच में किसान वही फसल उगाता है जिस पर एमएसपी अधिक दी जाती हैं जिससे एक निश्चित फसल उत्पादन के कारण मिट्टी की उर्वरा क्षमता को नुकसान होता है।

2017 के सर्वे रिपोर्ट में पाया गया की 50% किसानों को एमएसपी की जानकारी नहीं है भारत में लगभग 200 से भी ज्यादा फसल उगाई जाती हैं लेकिन एमएसपी केवल 23 फसलों पर दी जाती हैं इस प्रकार अन्य फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। एमएसपी मे एफसीआई (Food corporation of India) अनाजों का अधिग्रहण कुछ राज्यों में अधिग्रहित करता है तथा शेष सभी राज्यों में ठेकेदार द्वारा अनाज का अधिग्रहण करता है जो मनमाने तरीके से किया जाता है जिसमें  खासकर मध्यम और सीमांत किसान को नुकसान होता है।

किसान ज्यादा उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करता है जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता और स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं एमएसपी का लाभ बड़े किसान ही उठाते हैं जबकि छोटे और सीमांत किसान इसका लाभ नहीं ले पाते एमएसपी किसान को न्यूनतम मूल्य ही देता है यह उचित और लाभकारी मूल्य नहीं होता है वर्तमान में सरकार गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा दुगुने दाम पर अधिग्रहित कर रही हैं जो एमएसपी के दुगुना है। जबकि 50% की वृद्धि A2+FL पर किया गया था किसानों को नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

2013 में डॉक्टर रामचंद्रन कमेटी का गठन किया उन्होंने  सुझाव दिए कि किसान को अधिक कुशल लेबर में शामिल करना चाहिए। एमएसपी की गणना में एक गांव की तुलना में एक से अधिक गांव को शामिल करना चाहिए एमएसपी को डीपीएस(differential price system) डीपीएस का तात्पर्य है बाजार मूल्य में जो कमी होती है उसको शामिल करना चाहिए । किसान को अपने उत्पाद सीधे बाजार में बेचे तथा होने वाले नुकसान को डीबीटी (प्रत्यक्ष खाता हस्तांतरण) के माध्यम से किसानों के खाते में डीपीएस का पैसा भेजा जाएं। मध्य प्रदेश में भावांतर योजना इसी प्रकार की योजना है हाल ही में नीति आयोग भारत वर्ष में लागू करने का सुझाव दिया है।

इस तरह से न्यूनतम समर्थन मूल्य  के लाभ और चुनौतियो के परिपेक्ष में अधिग्रहण मूल्य (अधिग्रहण मूल्य एमएसपी के बराबर या ज्यादा होता है इसकी घोषणा उत्पादन के बाद की जाती है) को लागू करना चाहिए । एमएसपी और सब्सिडी(सहायिकी) को लेकर विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों पर डब्लू टी ओ मे आरोप लगाए जाते हैं कृषि उत्पादों को विकसित देशों के बाजारों में पहुंचने से रोका जाता है जबकि वैश्विक स्तर पर विकासशील , विकसित देश होने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है । इस तरह से भारत को घरेलू आवश्यकता तथा जरूरतों के अनुसार नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है।                

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