मीडिया पर पहरा क्या लोकतंत्र की हत्या नहीं

मीडिया पर पहरा क्या लोकतंत्र की हत्या नहीं

मीडिया पर पहरा क्या लोकतंत्र की हत्या नहीं

अपने अहँकार का दम्भ भरते हुक्मरानों ने जब-जब मीडिया पर पहरा लगाया मानो वर्तमान सरकार पतन की राह पर है ! तानाशाही तो हिटलर की भी नही चली , तो कोई भी सरकार क्या चीज़ है ! आज हमारे देश की बेटियां सुरक्षित नही है !

आज एक पिता सोचता है मेरी बेटी घर से बाहर गयी है , क्या मेरी फूल सी बच्ची सुरक्षित लौट कर अपने घर-आंगन आएगी ! एक बार फिर से निर्भया जैसे कांड को एक बेटी के साथ हाथरस में दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए दोहराया गया  उसकी निर्मम हत्या कर दी गई ! आज सारा देश एक बेटी की सिसकियों से आहत है !

प्रजातंत्र लाचार है ,लोग सिर्फ आवाज़ उठा  सकते पर उनकी आवाज़ को लाठियों के दम से दबा दिया जाता है  इस देश में किसी भी आम नागरिक को अपनी बात कहना गुनाह है ! क्योंकि प्रजातंत्र से लेकर लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है ! जिस तरह से हाथरस में मीडिया को कवरेज करने से रोका गया ! यह सरकार की तानाशाही का जीता-जागता उदाहरण है !

सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पत्रकारों पर झूठे मुकदमे लाद कर पत्रकारों की निष्पक्ष कलम को दबाना चाहती है ! सरकार कहती है , अपनी जान-माल की सुरक्षा स्वयं करे ! जब आम नागरिक को अपनी हिफाज़त स्वयं करना है , तो सरकारों की क्या ज़रूरत ? जब सरकार खुद ही न्याय करने लगे तो  न्यायपालिका की क्या ज़रूरत ? सारे न्यायधीशों को इस्तीफा दे देना चाहिए ! जब-जब भारतवर्ष में स्त्री पर अत्याचार बढ़ा !

तब-तब राष्ट्र अंधकार की राह पर चल पड़ा ! भारतवर्ष में द्रौपदी के चीरहरण ने ही महाभारत को जन्म दिया ! अब लोकतंत्र की अर्थी उठने का वक़्त आ गया ! जिस देश मे नारी के सम्मान की रक्षा होना बंद हो जाये और नारी को अपमानित होना पड़े उसकी आबरू को तार-तार करके सरे बाजार नीलाम कर दिया जाए !ऐसे सिस्टम को बेज़ार करना ही बेहतर होगा

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