।कोटि-कोटि वंदन है राणा प्रताप को।

।कोटि-कोटि वंदन है राणा प्रताप को।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज

संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"

।कोटि-कोटि वंदन है राणा प्रताप को।

महाराणा प्रताप सिंह जयंती महोत्सव।।

भारत के आन बान स्वाभिमान रक्षक और शत्रु कुल छावनी के शोक संतापको।। 

कोटि कोटि वंदन है राणा प्रताप को।।

कोटि कोटि।।

एक तरफ सत्ता और शश्त्रों का अंबार था ।।

एक ओर भाला  तलवार हथियार  था।। 

किंतु  पुरुषार्थ कब शस्त्रों से हारा है।।

गीदड़ ने तोप से सिंह कहां मारा है।। 

रंण बाँकुरा जिस दिशा में निकल जाता था।। 

मुगलों के दल में तहलका मच जाता था।।

याद सब करते थे पूर्व कृत पाप को।।

कोटि कोटि वंदन है  राणा प्रताप को।। कोटि कोटि।। 1।।

बाद शाह की मीठी नींद उचट जाती थी।। 

जब नाहर की तनी हुई  मूछें याद आती थी।। 

उन्नत ललाट और गज भर का सीना था।। 

छत्री कुल वंश का विलक्षण  नगीना था।। 

एक लिंग गौरा का पावन प्रसाद था। 

गीदडों के दल में अपूर्व सिंहनाद था।। 

शहंशाही  व्यंजन का स्वाद बिगड़ जाता था।। 

बीर रण बाँकुरा जिस  समय याद आता था।। 

मुगल नही भूल पाते नाहर की छाप को।।

कोटि कोटि वंदन है राणा प्रताप को।। कोटि कोटि ।।2।।

मतवाला  चेतक जिस ओर मुड जाता था।। 

म्लेक्षों के माथे पर काल मंडराता था।।  

मुगलों का सैन्य बल बत्तिस हजार था।।

बारह हजार के समक्ष गया हार था।। 

घास की  रोटी थी झरनों का पानी था।

पत्तों का बिछौना पर योद्धा ख़ानदानी था।। 

एक ओर काबुल से दिल्ली तक पसारा था।।

एक ओर कुछ कोल भीलों का सहारा  था।।

बाद शाह कांपता सुन सेना के प्रलाप को।। 

कोटि  कोटि  वंदन है  राणा प्रताप को।। 

कोटि कोटि।। 3।।

भूलो मत रांणा के बच्चों  की सुकुमारता को।।

और मत भूलो भामा शाह की उदारता  को।।

भूलो मत चेतक की पावन  स्वामि भक्ति को।।

भूलो मत राणा की राष्ट्र  अनुरक्ति  को।। 

भूलो मत बंधु शक्ति सिंह की गद्दारी को।।

और मत भूल मारवाड धरा प्यारी को।। 

युग युग गाएगा देश पावन कहानी को।।

पर्वत अरावली को चंबल के पानी को।। 

राष्ट्र  पर प्राण उत्सर्ग  परिपाटी को।। कोटि कोटि  तीर्थों सी पवित्र हल्दीघाटी को।। 

"निर्मल" का लाखों प्रणाम राणा आपको।। 

कोटि कोटि वंदन है राणा प्रताप को।। कोटि कोटि वंदन है राणा प्रताप को।। 

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