उत्तर प्रदेश में श्रम सुधार कितना प्रासंगिक

उत्तर प्रदेश में श्रम सुधार कितना प्रासंगिक

स्वतंत्र टिप्पणीकार

भीम सिंह बघेल

उत्तर प्रदेश में श्रम सुधार कितना प्रासंगिक

कोरोना संकट के चलते आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए भारत के प्रथम जनसंख्या वाला राज्य 3 वर्ष तक के लिए 38 श्रम कानूनों की शिथिलता के माध्यम से निवेश आकर्षण करने का प्रयास है परंतु बंधुआ  श्रम अधिनियम कर्मचारी प्रतिकार अधिनियम वह बच्चों और महिलाओं के नियोजन से संबंधित श्रम अधिनियम लागू रहेंगे।

उत्तर प्रदेश को विकास के रास्ते पर अग्रसर करने के लिए प्रमुख आवश्यकताएँ  यहां के द्वितीयक क्षेत्र की विकास से ही संभव होगा। प्रदेश का प्राथमिक क्षेत्र जिसे कृषि क्षेत्र में कहा जाता है बहुत सारे कृषि उत्पाद गन्ना, आलू, गेहूं जैसे उत्पाद में प्रथम स्थान पर है।  कृषि उत्पादों के मंडी में जाने तक खराब होना एक प्रमुख समस्या है जिसको खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के माध्यम से पूरा करते हुए किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश के युवा प्रदेश होने के कारण रोजगार की तलाश में युवाओं को दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है। प्रतियोगी शिक्षा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अन्य राज्यों के तरफ जाना पड़ता है। जिन राज्यों ने औद्योगिक विकास किए हैं उस का प्रमुख कारण वहां का व्यापार के लिए उपलब्ध भौगोलिक परिस्थितियां भी रही हैं।

उत्तर प्रदेश भू- आबध राज्य होने के कारण आधारभूत विकास की आवश्यकता पर लगने वाला कर और समय आवश्यक हो जाता है उपजाऊ और समतल मैदान बढ़ती जनसंख्या का भरण पोषण तो कर देते हैं लेकिन गुणवत्ता युक्त जीवन का अभाव है। राजनीतिक प्रतिबद्धता इसमें सबसे अहम भूमिका निभाती है।  सरकार द्वारा व्यक्त किया गया श्रम सुधार कानून राजनीतिक प्रतिबद्धता की एक कड़ी है श्रम सुधार की आवश्यकता के साथ उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप औद्योगिक विकास का मिश्रित स्वरूप प्रदेश के लिए सफल होगा। औद्योगिक आवश्यकता के अनुसार कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर श्रम शक्ति का पलायन रोका जा सकता है तथा उसका उपयोग प्रदेश के महत्तम विकास में किया जा सकता है जहां पर विस्थापित जनसंख्या दूसरे प्रदेशों में जाकर जीवन की मूलभूत आवश्यकता जैसे स्वच्छ जल ,आवास, परिवहन की आवश्यकता की पूर्ति करने में अर्जित धन का खर्च हो जाता है यह जीवन की गुणवत्ता का विकास नहीं हो पाता है जिन राज्यों में जनसंख्या जाती है वहां कि संसाधनों पर दबाव पैदा होता है साथ ही जिन राज्यों से विस्थापन होता है वहां की युवा आवश्यकता की प्रतिपूर्ति नहीं हो पाती है।

 द्वितीयक क्षेत्र जिसे की औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है श्रम सुधार से प्रमुख तौर पर प्रभावित होता है श्रम सुधार से जहां एक तरफ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि होती है जिससे रोजगार और तकनीकी में वृद्धि देखी जाती है श्रम कानूनों की अस्थाई समाप्ति की अनिश्चितता उद्योग जगत को निवेश आकर्षण में बाधा पैदा करती है द्वितीयक क्षेत्र का विकास करके सुपर पावर बन सकते हैं चीन ने भी घरेलू अर्थव्यवस्था में इसी तरह का क्रमिक सुधार की प्रक्रिया शुरू की थी चीनी उदारीकरण के लिए ना केवल पूरा खाका तैयार किया बल्कि केंद्रीय नियंत्रण वाले नेतृत्व पर जोर दिया लेकिन स्थानीय सरकार, निजी कंपनियां और विदेशी निवेशकों के बीच गजब का सामंजस्य बनाया विदेशी निवेशकों को चीन ने स्वायत्तता दी।

इस तरह उत्तर प्रदेश में श्रम सुधार औद्योगिक क्षेत्र के विकास में जहां महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा वही सरकार को चाहिए कि निजी निवेशकों के साथ तालमेल और संवाद स्थापित करते रहें जिससे कि उद्योग जगत को उत्तर प्रदेश में विश्वास बहाली और निवेश का माहौल पैदा हो सके और उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री के ब्रोकल टू लोकल की परिकल्पना को साकार करते हुए आत्मनिर्भर और विकास के इंजन के रूप में स्थापित हो सके।


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