हिस्सेदारी

हिस्सेदारी

लघुकथा ---

सीमा"मधुरिमा"

लखनऊ !!!

शीर्षक -- हिस्सेदारी 

नेहा के पति दीपक की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हुए अभी तीन महीने ही हुए थे कि उसे दुनिया के रंग ढंग समझ आने लगे . ..न तो ससुराल में किसी का व्यवहार पहले सा रहा और न ही मायके में ....नेहा के विवाह के बाद ही उसके पति और ससुर जी ने उसकी लगी लगाई नौकरी यह कहकर छुड़ा दिया था कि कौन सा अपने यहाँ आर्थिक तंगी है ...अब इस बात को गुजरे दस साल हो गए ....नेहा अकेले होती तो किसी तरह अपना पेट पाल लेती ..पर दो दो बच्चे ...दोनों की शिक्षा दीक्षा सभी कुछ अभी बाकी था ...उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे l

नेहा के मायके वाले भी कम पैसे वाले नहीं थे ....पर जाने क्यों दीपक के जाने के बाद उनका रुख भी बदल गया ...शायद उन्हें लगता होगा कि कहीं उनपर बोझ मे बन जाएँ हम लोग ..यही सोच नेहा का मन बैठा जा रहा था ....आखिर तीन चार दिनों के उधेड़ बुन के बाद उसने वकील साहब को बुला भेजा l  वकील साहब आये और बोले , " नेहा बिटिया बताओ क्या हुआ ...क्या कहें तुमको तो बचपन से गोद में खिलाया है आज जो विपदा तुमपर आन पड़ी कलेजा मुँह को आता है ..बताओ बेटा किसलिए बुलाया , " नेहा बोली ," जी ताऊ जी आपसे एक सलाह लेनी थी , "

वकील साहब बोले , " बोल बिटिया बेझिझक ...तेरे ख़ुशी के लिए सब करूंगा ,"

नेहा , " ताऊ जी ये बताओ ...मेरे माता पिता के पास जो भी सम्पत्ति है आज जिसके बल पर मेरी भाभी के सब ऐश हैं वो मेरे दादा जी के समय की जोड़ी गयी सम्पत्ति हैं ....क्या ताऊ जी इसमें बेटी का कोई हक नहीं ,"

वकील साहब बोले , " किसने कहा .....बिलकुल ..हर चीज पर तेरा उतना ही हक हैं जितना बहुरानी का  ---- ज्यादातर लड़कियाँ ससुराल जाने के बाद पलट कर नहीं देखती ...कई बार वो संकोच कर जाती की मायके से कौन मांगे ...और कुछ लड़कियाँ दहेज के रूप में दिए गए उपहार को ही बोझ के रूप में धोती रहती हैं ....अगर घर में जमीन जायदाद में हिस्सेदारी मिल जाए तो शायद कोई दहेज मांगे ही नहीं ....और कानूनन पिता की हर सम्पत्ति पर बेटी का भी उतना ही हक होता हैं जितना बेटे का , "

नेहा बोली , " तो फिर ताऊ जी मुझे एक केस करना है .....आप लड़ेंगे मेरा केस ,"

वकील साहब बोले , " क्यों नहीं लडूंगा , पर किसके विरुद्ध लड़ना हैं ,"

नेहा ," मेरा मायके और ससुराल वालों दोनों के ही खिलाफ .....मुझे दोनों ही से अपने बच्चों को पालने पढ़ाने लिखाने के लिए कोई भीख नहीं बल्कि हिस्सेदारी चाहिए ,"

नेहा का चेहरा दृढ निश्चय से भरा हुआ था ll


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