दशहरा महोत्सव पर विशेष
- Posted By: Alopi Shankar
- साहित्य/लेख
- Updated: 15 October, 2021 22:30
- 1952

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।।दशहरा महोत्सव पर विशेष।।
धर्म विजय का गौरव मय इतिहास दशहरा है।
मानव के चारित्रिक बल का विश्वास दशहरा है।।
जब जब सत्ताओं ने संस्कृति का चीर हरण करना चाहा।।
मानवता का पशु बल ने जब जब मर्दन करना चाहा।।
जब जब अत्याचारों का प्रलयंकर छण साकार हुआ।।
तब तब किसी महा मानव का वसुधा पर अवतार हुआ।।
इस पौराणिक गाथा का अहसास दशहरा है ।
धर्म विजय का गौरव मय इतिहास दशहरा है।।1।।
कहां त्रिलोक विजेता रावण कहां विपिन वासी राघव।।
वहां स्वर्ण का नगर यहां पग में पदत्राण नहीं संभव।।
एक लाख पूत सवा लाख नाती वहां यहां भालू वानर।।
किंतु सत्य है जहां वहां फीके हैं सारे आडंबर।।
मरुथल में मधुवन जैसा उल्लास दशहरा है।
धर्म विजय का गौरव मय इतिहास दशहरा है।।2।।
चला अनीति मार्ग पर जो वह आदर कभी न पाता है।
इसीलिए हर ओर दशानन यहां जलाया जाता है।।
पर नारी के आंसू अंगारे बन लंका जलाते हैं।
अपराधी छिप जाय सिंधु में राम पहुंच ही जाते हैं।।
पाप प्रपंच दंभ का पूर्ण विनाश दशहरा है।।
धर्म विजय का गौरव मय इतिहास दशहरा है।।3।।
यह सीता के पातिव्रत्य की पावन अमर कहानी है।।
शौर्य आर्य कुल का है वाल्मीकि तुलसी की बानी है।।
महा पर्व यह भारत का गौरव हर वर्ष बढाता है।।
राम और रामायण की यादें ताजा कर जाता है।।
मोह रात्रि में निर्मल प्रखर प्रकाश दशहरा है।।
धर्म विजय का गौरव मय इतिहास दशहरा है।।
मानव के चारित्रिक बल का विश्वास दशहरा है।।
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