।।चैत्र नवरात्रि विशेषांक।।
- Posted By: Alopi Shankar
- साहित्य/लेख
- Updated: 19 April, 2021 20:16
- 1731

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।।चैत्र नवरात्रि पर विशेष।।
श्री राम जन्म महोत्सव पर काव्य मई सेवा
।।मानस प्रेमियों को समर्पित।।
विविध भांति स्तुति करि सुर निज धाम सिधारे।
छाया अति आनंद भूप के आंगन द्वारे।।
कौशल्या का कक्ष हुआ वैकुंठ सरीखा।
ऐसा सुख मय काल न अब तक सुना न दीखा।
अद्भुत बालक वेष प्रगट भै त्रिभुवन साईं।
सुषमा सागर निरख मुदित कौशल्या माई।।
शंख चक्र अरु गदा पद्म की शोभा भारी।
रुप चतुर्भुज देख ह्रदय हर्षित महतारी।।
उर कौस्तुभ मणि संग शुशोभित है बनमाला।
कर मुदरी कानन कुंडल अरु नैन विशाला।।
तन पीतांबर लखि कंचन की कांति लजावे।
वक्षस्थल में बिप्र चरण अति शोभा पावे।।
करुणा से परिपूर्ण जुगल लोचन रतनारे।
नील कमल सम अंग कांति लखि मुनि मन हारे।
ऊर्ध्व रेख पद कंज कल्पद्रुम अंकुश सोहे।
सुधा विन्दु कुलिशादिक त्रिभुवन को मन मोहे।।
अरुण अधर बिच दंत पंक्ति दामिनी द्युति कारी।
नासा सुघर कपोल मदन की छबि बलिहारी।।
मेचत कुंचित केश कुटिल सुंदर गभुआरे।
मन बिनु मोल बिकात भूलि जे इनहिं निहारे।।
मंद मंद मुसुकात जननि सन बोले बानी।
मनु सतरूपा के तप की सब कहे कहानी।।
नृप मागें वरदान कीन्ह तुमहूं अनुमोदन।
पुत्र रूप मे मोर याचना किए दुओ जन।।
तेहि कारन मैं पुत्र रूप आयउं महतारी।
सुनि जननी मुसुकाइ मनोहर बचन उचारीं।।
मैं मांगा सुत रूप आप बनि पिता पधारे।
विष्णु चतुर्भुज रूप न भावत मनहिं हमारे।।
राम चंद्र को रूप धारि दीन्हें बरदाना
अब केहि कारन विष्णु रूप कीन्हें भगवाना।।
धारि लेहु शिशु रूप कृतारथ मो कहुं कीजै।
महिपालहुं को बाल रूप धरि दर्शन दीजै।।
सुनतहिं शिशु को रूप धारि बोले मृदु बानी।
अब जननी संतुष्ट बचन सुनि बिंहसी रानी।।
बाल रूप बनि गये न किंचित गुंण प्रगटाने।
बिना रुदन शिशु होत अमंगल कहत सयाने।।
सुनि रोवन लागे तबहिं ब्रह्म सच्चिदानंद।
जो गाइहैं चरित्र यह कटे सकल भव फंद।।
।।जै जानकी जीवन।।
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