।।चैत्र नवरात्रि पर विशेष।।
- Posted By: Alopi Shankar
- साहित्य/लेख
- Updated: 17 April, 2021 21:05
- 1595

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।।चैत्र नवरात्रि पर विशेष।।
जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में काव्य मई सेवा।।
कोरोना के भय से घर बैठे मानस प्रेमियों के मनोमंजन काअल्प प्रयास।।
चक्रवर्ति सम्राट आप विद्या बुधि सागर।
दशों दिशाओं में महीप की कीर्ति उजागर।।
धैर्यवान गुणवान संत सेवी बड़भागी ।
विप्र देव पूजक गुरु चरणन के अनुरागी।।
शोक त्याग कर सुनो अवध पति हित की बानी।
निश्चित ही अनुकूल आपके सारंग पानी।
एक पुत्र के लिए विकल हो भूप सयाने।
चार चार सुत आएंगे आनंद बढाने।
त्रिभुवन विजयी तनय पितृ सेवाव्रत धारी।
उनके कारण विस्तृत होगी कीर्ति तुम्हारी।।
ऋषि विभांडक के सुत श्रृंगी परम तपस्वी।
ब्रह्मचर्य रत निर्लाभी मुनि राज मनस्वी।।
अवध पुरी में किसी युक्ति से उन्हें बुलाओ।
पुत्र प्राप्ति के हेतु भूप शुभ यज्ञ कराओ।।
हर्षवंत अवधेश सचिव को शीघ्र बुलाए।
श्रृगी ऋषि के निकट सुमंत्र सहर्ष पठाए।
परम विरागी एकाकी मुनि को समझा कर।
विविध जतन से चले अवध पुर संग लिवाकर।
वैदिक विधि विधान से मख की हुई तयारी। परम कुतूहल बस देखन आए नर नारी।।
पावन सरयू कूल बनी सुंदर मख शाला।
औषधि जल फल फूल मंगाए शाल दुशाला।।
आए चामर चर्म विविध विधि समिधा आई।
आए विप्र अनेक पधारे मुनि समुदाई।
श्रृंगी ऋषि आचार्य बने नृप निकट बिठाए।।
ब्रह्मा बने वशिष्ठ कुंड पावक पधराए।।
विधिवत स्वाहा कार कराते मुनिवर ज्ञानी।
श्रद्धा युत आहुती दे रहे राजा रानी।।
एक वर्ष पर्यंत रहा चलता मख पावन।
हर्षित पुरजन देख रहे उत्सव मन भावन।।
पुर्णाहुति का काल आ गया हर्षित राजा।
पुष्प बरसने लगे बजे मंगल मय बाजा।।
सहसा चौंक पडे ऋषि मुनि चौंके नर नारी।
यज्ञ कुंड मे प्रगटा आज कुतूहल भारी।।
शेष अगले अंक में---
।।जै जानकी जीवन।।
श्री राम चंद्र चरणार्पणमस्तु।।
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