राजनीति का शिकार हो रहा ब्राहमण समाज

राजनीति का शिकार हो रहा ब्राहमण समाज

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

लखनऊ।

नीरज कुमार उपाध्याय

(पत्रकार/ब्राह्मण समाज चिंतक)


राजनीति का शिकार हो रहा ब्राहमण समाज

हमारे देश में चुनाव के दिन नजदीक आते-आते सभी राजनीतिक दल सभी जातियों को लुभावने वादे और तरह-तरह से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने और अपने पाले में लाने की कोशिश में लग जाते हैं।

जैसा कि इस समय उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण जाति को लेकर कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है। कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर ब्राह्मण समाज को बड़े ही राजनीतिक ढंग से दो पालों में बांट दिया।

एक पाले को विकास दुबे के पक्ष में खड़ा कर दिया गया और दूसरे पक्ष को विकास दुबे के विरोध में लेकिन दरअसल विकास दुबे इस पूरे षडयंत्र में केवल एक मोहरा है सच्चाई कुछ और ही है।

सच्चाई यह है कि आने वाले चुनाव में ब्राह्मण मत को किस तरह से विभाजित किया जाए इसका षडयंत्र राजनीतिक पार्टियां शुरू कर दी।

राम मंदिर भूमि पूजन के साथ ही साथ समाजवादी पार्टी भगवान परशुराम की प्रतिमा को लेकर अपनी राजनीति चमकाने में लग गए जबकि कई दशकों तक उत्तर प्रदेश में राज करने वाले समाजवादी पार्टी को आज से पहले कभी भगवान परशुराम की याद नहीं आई।

क्योंकि अब उन्हें लगा कि ब्राह्मण समाज उनसे दूर हो गया है और ब्राह्मणों को खुश करने के लिए भगवान परशुराम की मूर्ति लगाकर ब्राह्मणों को मूर्ख बनाने की कवायद शुरू कर दी है।

अब हम आते हैं असली मुद्दे पर जी हां सृष्टि में भगवान के बाद अगर कोई पूजनीय है तो वह है ब्राह्मण।

 लेकिन वर्तमान समय में ब्राह्मण अपने कर्म,अपने स्वार्थ अपने लालच और अपने निजी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किसी भी स्तर तक गिरने को तैयार है जिसका पूरा फायदा राजनीतिक पार्टियां उठा रही है।

पूरे भारत में सभी जातियों में जातिवाद की भावना दिखाई देती है लेकिन ब्राह्मण समाज ही एक ऐसा समाज है जिसमें ब्राह्मण समाज तो बनाए गए लेकिन एकता नाम की चीज नहीं है।

वैसे तो हम अगर दूसरे शब्दों में कहें तो सच तो यह है कि हिंदुओं के अंदर एकता नाम की चीज नहीं है।

 लेकिन यहां बात ब्राह्मण की हो रही है।

क्या कोई भी ब्राह्मण समाज यह बता सकता है कि कितने ब्राम्हण हो का उन्होंने उद्धार किया है?

ब्राह्मण समाज के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने के लिए कभी बसपा कभी सपा कभी कांग्रेस कभी भाजपा कभी पर सपा ना जाने कितनी पार्टियां है बदलने वाले ब्राह्मण ब्राह्मण समाज का भला कभी नहीं कर सकते हैं।

 यह केवल अपना भला कर सकते हैं।

जीता जागता प्रमाण एक बहुत बड़ी पार्टी में ब्राह्मण नेता है जिन्होंने अपने ब्राह्मणत्व को बेचकर अकूत संपत्ति बना ली।

पूरे भारत में कितने प्रतिशत ब्राह्मण हैं यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी राजनीतिक पार्टी है ब्राह्मणों को मूर्ख बनाने और अपने पाले में लाने के लिए क्यों परेशान है क्या कारण है,

यह ब्राह्मण समाज को समझना पड़ेगा।

लेकिन यह बात उन्हीं ब्राह्मणों को समझ में आएगी जिनके मन में सत्ता की लालसा ना हो, धन की लालसा ना हो और उनके अंदर स्वार्थ की भावना ना हो।

 क्योंकि वर्तमान समय में ब्राह्मण केवल अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी के भी तलवे चाटने के लिए तैयार है।ऐसे ब्राह्मणों को ब्राह्मण कुल में जन्म लेने पर धिक्कार है।

आजकल मीडिया में ब्राह्मण के साथ अत्याचार हो रहा है ब्राह्मणों को मारा जा रहा है।

 इस तरीके के दुष्प्रचार हो रहे हैं।कुछ महामूर्ख ब्राह्मण उसका समर्थन करते हैं, डिबेट पर जाते हैं और चैनल वाले अपनी टीआरपी बढ़ाते हैं।

अपराध और अपराधी की कोई जाति नहीं होती अपराधी अपराधी होता है चाहे वह ब्राह्मण हो चाहे दलित।

 अगर ब्राह्मण ने अपराध किया है,तो उसे उसके कर्मों की सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उसे न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार ही सजा देनी चाहिए जो न्याय संगत हो।

लेकिन यह कह देना कि सरकार ब्राह्मणों के साथ गलत कर रही है,यह दुष्प्रचार है,ब्राह्मण अगर अपराधी है तो उसके कर्मों की सजा उसको मिलनी चाहिए।

ऐसे ब्राह्मणों की वकालत करने वाले ब्राह्मणों को धिक्कार है,जो अपने उस गरीब ब्राह्मणों को नहीं देखने की कोशिश करते हैं।जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भिक्षा मांगने पड़ती है।

आज के वर्तमान परिवेश में जिस तरीके से आधुनिक युग में पूजा पाठ यज्ञ हवन और वैदिक मंत्रों से आजकल के युवा और युवती विरक्त हो रहे हैं।

इस पर ब्राह्मणों का ध्यान नहीं जा रहा है अपने ब्राह्मण समाज की युवा पीढ़ी को यह ज्ञान नहीं दे पा रहे हैं फिर दूसरों को कहां से ज्ञान बाटेंगे।

आज वह समय आ गया है कि ब्राह्मण जाति को अपनी शक्ति को समझना होगा और सभी को संगठित होकर एक होकर के चलना होगा किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई भी प्रलोभन आए उसे ठुकरा दीजिए और अपन अपने अस्तित्व को समझिए।

 ब्राह्मण समाज लोगों के लिए इतना आवश्यक अगर ना होता तो ब्राह्मणों को तरह-तरह से राजनीतिक पार्टियां प्रलोभन नहीं देती।

आज इस तरह से भगवान परशुराम के नाम पर राजनीति चमकाने की कोशिश की जा रही है यह ब्राह्मण वर्ग के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है,

जो लोग आज भगवान परशुराम का नाम लेकर ब्राह्मणों को मूर्ख बनाने की साजिश रच रहे हैं, ब्राह्मणों को यह भी समझना होगा कि उनके शासनकाल में भर्तियां निकली तो जातिगत समीकरण किसका रहा, अगर तब भी नहीं समझ में आता तो इसका मतलब कि वास्तव में ब्राह्मण मूर्ख है।

आज वह समय आ गया है कि देश भर के सभी ब्राह्मणों को एक होकर एकजुट होना पड़ेगा और सभी राजनीतिक और गैर राजनीतिक संस्थाओं के प्रलोभन को छोड़कर एक सुर में सत्य के लिए आवाज उठानी होगी।

 अगर ब्राह्मण अपराधी है तो उसकी वकालत करने वाला ब्राह्मण भी अपराधी ही समझा जाएगा।

अपराधी छवि के ब्राह्मणों की वकालत करना छोड़िए और न्याय संगत बात करिए ब्राह्मण के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करना करिए।

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