स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पेरेंट्स ने सड़क पर भीख माँग कर किया प्रदर्शन

स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पेरेंट्स ने सड़क पर भीख माँग कर किया प्रदर्शन

स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पेरेंट्स ने सड़क पर भीख माँग कर किया प्रदर्शन

स्कूलों की मनमानी व लूट पर प्रदेश सरकार की खामोशी के खिलाफ एक बार फिर अभिभावक सड़कों पर उतरे अपनी बात को सरकार और अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए सांकेतिक रूप से भीख मांग कर बताया कि उनकी समस्या कितनी गंभीर है। अभिभावकों का कहना था कि निजी स्कूल उनकी परेशानी को नहीं समझ रहे हैं, जिससे स्कूलों की फीस भरने के लिए उनके सामने भीख मांगने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।  

नोएडा स्कूल्स पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना के नेतृत्व में सुबह संस्था के पदाधिकारी और अभिभावक नोएडा स्टेडियम के गेट नंबर-4 पर जमा हुए। वहां से सभी स्पाइस मॉल चौराहे पर पहुंचे और सार्वजनिक तौर पर भीख मांग कर निजी स्कूलों के खिलाफ अपना विरोध जताया। एसोसिएशन के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना ने कहा कि कोरोना काल में लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग, व्यापार ठप हो चुके हैं। अधिकतर लोगों की नौकरी कोरोना काल में छूट गई है। इसके बावजूद निजी स्कूल अभिभावकों की परेशानी को समझने को राजी नहीं हैं। अभिभावकों पर लगातार फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। फीस जमा न करने पर अभिभावकों और विद्यार्थियों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी के विरोध में एसोसिएशन ने सार्वजनिक तौर पर भीख मांग कर निजी स्कूलों के खिलाफ अपना विरोध जताया है।

आल नोएडा स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के महासचिव के अरुनाचलम ने बताया कि निजी स्कूलों की ओर से एक तरफ भारी फीस वसूली जा रही है, वहीं दूसरी ओर ड्रेस व किताबों के नाम पर लूट और ज्यादा भयानक है।

बैठक के दौरान अभिभावकों को मामले की शिकायत कहां और कैसे की जाए, इस बारे में बताया गया। क्योंकि अधिकतर अभिभावकों को प्रदेश सरकार के अध्यादेश के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं है। 

आल नोएडा स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के अभिभावकों का आरोप है कि एक स्कूल ने 15 से 17 फीसदी फीस बढ़ोतरी के साथ-साथ कई अन्य चार्ज लगा दिए गए हैं, जो पहले नहीं लिए जाते थे। इसके साथ ही स्कूल की साइट पर फीस बढ़ोतरी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। जहां एक तरफ सरकार द्वारा निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए एक कमेटी गठित कर दिशा-निर्देश तो तय किए गए हैं, लेकिन उन निर्देशों का पालन स्कूल करते नहीं दिख रहे हैं।

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