कोविड-19 में जनता को परेशान कर रही है यूपी पुलिस
- Posted By: Admin
- उत्तर प्रदेश
- Updated: 21 July, 2020 09:14
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prakash prabhaw news
लखनऊ ,
रिपोर्ट, नीरज उपाध्याय
कोविड-19 में जनता को परेशान कर रही है यूपी पुलिस
जहां एक तरफ सरकार कोविड-19 को लेकर दिन रात परेशान नजर आ रही है और हर वह संभव प्रयास कर रही है कि कोरोनावायरस के संक्रमण से लोगों को बचाया जा सके। जिस को दृष्टिगत रखते हुए सप्ताह में 2 दिन का लॉकडाउन भी कर दिया गया लेकिन साथ ही साथ आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए छूट दी गई।
लेकिन पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी इस मौके का जमकर फायदा उठा रहे हैं और वास्तव में पीड़ित व्यक्ति को भी अपने निशाने पर लेने से बाज नहीं आ रहे। ताजा मामला राजधानी लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र टेढ़ी पुलिया का है।
आपको बता दें रविवार दिनांक 19 साथ 2020 को शाम लगभग 7:00 बजे एडवोकेट जितेंद्र प्रताप सिंह के दांत में बहुत ही असहनीय दर्द था वो मेडिकल स्टोर से दवा लेने जा रहे थे कि टेढ़ी पुलिया चौराहे पर एस.आई. आर.एन.सिंह ने उन्हें रोक लिया।जिसके बाद एडवोकेट ने अपना परिचय देते हुए दरोगा आर.एन. सिंह को बताया के उनके दांत में दर्द है और वह दवा लेने जा रहे हैं जिसका पर्चा भी उन्होंने दिखाया, लेकिन दरोगा ने उनकी एक भी ना सुनी और अभद्र गालियां देना शुरू कर दिया। दरोगा के साथ उनके सहयोगी हमराही सिपाही भी आक्रामक नजर आए।
उसके बाद उन्होंने कानूनी रूप से ₹500 का जुर्माना अदा कर दिया और अपने घर चले आए लेकिन एडवोकेट जितेंद्र प्रताप को यह बात नागवार गुजरी। क्योंकि योगी सरकार लगातार पुलिस प्रशासन को इस बात की हिदायत देती रहती है, जनता के साथ मित्रता पूर्वक पुलिस व्यवहार करें। वाहन चेकिंग का कार्य केवल ट्रैफिक पुलिस के ही लोग करेंगे।
फिर भी पुलिस विभाग के अन्य कर्मचारी वाहन चेकिंग के नाम पर लोगों को परेशान करके धन उगाही का कार्य कर रहे हैं। जो कहीं न कहीं गलत है। इस बात की पूरी जानकारी उन्होंने राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर से पूरी दास्तान सुनाई।
जिसके बाद राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं अपर मुख्य सचिव गृह को संबंधित घटनाक्रम को लेकर एवं समस्त उत्तर प्रदेश में किस तरह से पुलिस लोगों को प्रताड़ित करने का कार्य कर रही है। वाहन चेकिंग के नाम पर धन उगाही का कार्य कर रही है, उसका पूरा विवरण दिया।
प्रेस वार्ता के दौरान शशांक शेखर ने कहा कि कोविड-19 के आड़ में उत्तर प्रदेश पुलिस कानून का दुरुपयोग कर रही है। आम नागरिकों का उत्पीड़न,वसूली का कार्य कर रही है। उन्होंने सरकार से राजधानी लखनऊ में पुलिस कमीश्नरी प्रणाली को समाप्त करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में शांति एवं कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली मित्र पुलिस सिर्फ और सिर्फ कोविड-19 को अवसर मानते हुए खुलेआम जनता से वसूली व उत्पीड़न का कार्य कर रही है। जिससे उत्तर प्रदेश में अपराध बढ़ने की प्रबल संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने ने कहा कि प्रदेश में कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की वजह से अच्छे एवं जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर प्रश्न चिन्ह अंकित होता है। शशांक शेखर ने कहा कि कानून की रक्षक पुलिस सिर्फ यातायात नियमों के नाम पर वसूली व शोषण कर रही है। जबकि पूर्व डी.जी.पी. ने यातायात पुलिस को ही चेकिंग का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली जिस उद्देश्य से लागू किया गया था, उसको उत्तर प्रदेश के कुछ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी नेस्तनाबूत करना चाहते हैं।
जिसका परिणाम संभ्रांत व आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर जनपद गौतम बुद्ध नगर की दूसरी घटना जो कि बोटैनिकल गार्डन के सेक्टर-18 के चेक प्वांइट पर एस.आई. पंकज कुमार व अन्य साथियों द्वारा समस्त कागजात उपलब्ध होने के बावजूद 500 रूपए की मांग की गई। रूपये नहीं देने पर गाड़ी सीज कर दिया गाली गलौज करते हुए, खुलेआम धमकी दी कि पुलिस से बड़ी गुंडागर्दी किसी के पास नहीं है। वहां पर उपस्थित पुलिसकर्मियों ने कहा कि कोर्ट में जाकर बोल देना की पुलिस ने झूठा चालान कर दिया है।
इस समस्त घटना की फोटो व वीडियोग्राफी साथ में मौजूद शैलेंद्र यादव द्वारा कैद कर लिया गया। कांस्टेबल रतन चौधरी का गाड़ी छोड़ने के नाम पर की गई अभद्रता का कारनामा मोबाइल में कैद हो गया। लेकिन कांस्टेबल रतन चौधरी ने पीड़ित का मोबाइल छीनकर सारे वीडियो और फोटो को डिलीट कर दिया।
प्रेस वार्ता के माध्यम से राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर ने सरकार से उत्तर प्रदेश में शांति एवं कानून व्यवस्था व पुलिस विभाग में भ्रष्ट एवं तानाशाह पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित करने के अनुरोध किया है।
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