लेखिका अंजु रंजन की पुस्तक ’’वो कागज की कश्ती’’ एवं विस्थापन और यादें’’ का हुआ विमोचन

लेखिका अंजु रंजन की पुस्तक ’’वो कागज की कश्ती’’ एवं विस्थापन और यादें’’ का हुआ विमोचन

प्रकाश प्रभाव 

लखनऊ-26 जुलाई, 2021

लेखिका अंजु रंजन की पुस्तक ’’वो कागज की कश्ती’’ एवं विस्थापन और यादें’’ का हुआ विमोचन 

मण्डलायुक्त लखनऊ की पत्नी की पुस्तक का हुआ विमोचनः-

मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य एकेडमी, गोमती नगर, लखनऊ के सभागार में लेखिका अंजु रंजन की पुस्तक ’’वो कागज की कश्ती’’ एवं ’’विस्थापन और यादें’’ का विमोचन किया।

लेखिका अंजु रंजन भारतीय विदेश सेवा की वरिष्ठ अधिकारी हैं। यह अभी भारत के काॅन्सल जनरल (जोहैनेस्बर्ग) में पदस्थापित हैं। इसके साथ ही मण्डलायुक्त, लखनऊ रंजन कुमार की पत्नी हैं। इनके द्वारा इण्डोनेशिया, नेपाल तथा स्काट्लैंड में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया गया है।

श्रीमती रंजन केमिस्ट्री में स्नातकोत्तर हैं और स्वर्ण पदक विजेता रही हैं तथा इन्होंने एम0बी0ए0 (फाइनेंस) किया है लेकिन शुरू से ही हिन्दी साहित्य में इनकी विशेष रूचि रही है। इसी कारण यूपीएससी की परीक्षा में हिन्दी साहित्य इन्होंने मुख्य विषय के रूप में लिया था। इन्होंने हिन्दी साहित्य का काफी अध्ययन किया है और विदेश में भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत होने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दी को लोकप्रिय बना रही हैं।

लेखिका की प्रथम पुस्तक ’’प्रेम के विभिन्न रंग’’ प्रकाशित हो चुकी है, जो काफी लोकप्रिय हुई है। आज लेखिका की ’’वो कागज की कश्ती’’ एवं ’’विस्थापन और यादें’’ पुस्तिका का विमोचन किया गया। 

लेखिका श्रीमती अंजु रंजन ने बताया कि ’’वो कागज की कश्ती’’ पुस्तक में मेरे 35 संस्मरणों का गुलदस्ता है। इस पुस्तक में मैंने अपनी बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक की महत्वपूर्ण घटनाओं व 80-90 के दशक में गांवों के रहन-सहन तथा उस समय की परिस्थितियों व कठिनाइयों का उल्लेख किया गया है। मैंने हिन्दी साहित्य का काफी अध्ययन किया है। अध्ययन करने के पश्चात् यह विचार आया कि उस अध्ययन का उपयोग किया जाये तथा गांवों में किस प्रकार छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथा चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में लोग जीवन जीते हैं इत्यादि स्मरण उल्लेखित किये गये हैं। 

मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष, हृदय नारायण दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि लेखक जो संस्करण लिखते हैं, उसमें स्मृति का ही विवरण होता है। उन्होंने कहा कि लेखिका अंजु रंजन ने जो भी संस्करण लिखे हैं सारे संस्करण उनकी स्मृति का भाग हैं। इनका लेखन सरल, तरल व विरल है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में भिन्न-भिन्न घटनाएं होती हैं लेकिन वो घटनाएं अपनी लगने लगे ऐसा विवरण इनकी पुस्तिका में है।  लेखिका ने सहज भाव से जो लिखने का प्रयास किया है वह सफल हुआ है, जो सभी को आनन्दित करेगा।

श्री दीक्षित ने कहा कि लेखिका श्रीमती अंजु रंजन को मैं शुभकामनाएं देता हूँ कि उनके द्वारा सृजन का यह कार्य आगे भी बढ़ता रहे और उनके द्वारा लिखित पुस्तकें अधिक से अधिक पाठकों द्वारा पढ़ी जाएं व सराही जायें।

मण्डलायुक्त रंजन कुमार ने कहा कि शासकीय सेवा में रहते हुए व्यस्ततम समय में से समय निकाल कर लेखन लिखना बड़ा कठिन कार्य है। इसके लिए मैं अपनी पत्नी को बधाई देता हूँ कि उन्होंने कड़ी मेहनत कर लेखन का कार्य किया है। इनकी दोनों ही पुस्तकों में गाँव के रहन-सहन व परिवेष का विवरण किया गया है। 

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नितिन रमेश गोकर्ण, राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद, वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरूण महेश्वरी, लेखक वीरेन्द्र सारंग सहित काफी संख्या में पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे।

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