पांच वर्ष में UP के सभी विद्यालयों के सोशल ऑडिट का कार्य होगा पूरा

पांच वर्ष में UP के सभी विद्यालयों के सोशल ऑडिट का कार्य होगा पूरा

PPN NEWS

-31 मार्च तक सोशल ऑडिट कार्य होगा पूरा

-26,720 चयनित विद्यालयों का होगा सोशल ऑडिट

-बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में हो रहा कार्य


योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट का एक व्यापक और ठोस एक्शन प्लान लागू किया है। इसके अंतर्गत अगले पांच वर्षों में प्रदेश के एक लाख 33 हजार से अधिक विद्यालयों का सोशल ऑडिट पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्य में विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों, समुदाय और सभी हितधारको को शामिल किया जायेगा और उपलब्ध संसाधनों और सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओ/कार्यक्रमों के बारे में पता किया जायेगा। हालांकि, पहले चरण की तैयारी पूर्ण है, जिसमें 150 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जा चुका है। 31 मार्च तक सोशल ऑडिट कार्य को संपन्न करने के लिए प्रदेश के पांच उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों को चयनित किया गया और अप्रैल तक पब्लिक हियरिंग और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के उद्देश्य से यह कार्य गतिशील है।


बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार योगी सरकार उत्तर प्रदेश में शिक्षा के मानकों को सुधारने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रशिक्षण की योजना और कैलेंडर तैयार कर ली गयी है और जनवरी 2025 में जनपद और ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण पूर्ण करने का लक्ष्य है। सरकार का यह भी लक्ष्य है कि 31 मार्च तक प्रदेश के सभी चयनित विद्यालयों का सोशल ऑडिट कार्य पूरा कर लिया जाए और अप्रैल तक पब्लिक हियरिंग का कार्य पूर्ण होते ही चयनित विश्वविद्यालयों द्वारा इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जायेगी, जिस पर सुधारात्मक कार्यवाही की जायेगी।


-इनके द्वारा होगा सोशल ऑडिट का कार्य

सोशल ऑडिट को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश के पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारी सौपीं गयी है। सोशल ऑडिट के टीम के सभी ट्रेनर्स, क्लस्टर सोशल ऑडिटर्स और सोशल ऑडिटर फैसिलिटेटर टीम के सदस्यों का चयन प्रदेश के पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। इन विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों में प्रो. अनुराग द्विवेदी (डीडीयू गोरखपुर विवि), प्रो. अनूप कुमार भारतीय (लखनऊ विवि), प्रो. एच.एम. आरिफ, प्रो. (डॉ.) आरीना नजनीन (इंटीग्रल विवि लखनऊ), प्रो. अनोज राज (सुभारती विवि, मेरठ), और डॉ. रवि कुमार (एमएमएमटीयू, गोरखपुर), शामिल हैं।


बीएसए को मिली यह जिम्मेदारी

इधर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को कलस्टर सोशल ऑडिटर्स के जनपद स्तरीय प्रशिक्षण एवं सोशल ऑडिटर फैसिलिटेटर टीम के सदस्यों का ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण स्थल का निर्धारण तथा अपना सक्रिय सहयोग विश्वविद्यालयों को देने के निर्देश दिए गए है। ज्ञातव्य हो कि बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व तथा बेसिक शिक्षा विभाग की देखरेख में संचालित इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में सोशल ऑडिट कार्य संपन्न करना है। 


आंकड़े पर एक नज़र

- 75 जिलों के लिए मास्टर ट्रेनर्स की संख्या: 150

- क्लस्टर सोशल ऑडिटर्स की संख्या: 2,672

- सोशल ऑडिटर फैसिलिटेटर टीम के सदस्यों की संख्या: 1,60,320

- प्रदेश के कुल परिषदीय विद्यालयों की संख्या: 1.33 लाख 

- प्रथम चरण में चयनित विद्यालयों की संख्या: 26,720 (यह कुल विद्यालयों का 20 प्रतिशत है)


यह भी जानें

क्लस्टर सोशल ऑडिटर्स को प्रत्येक 10 विद्यालयों की जिम्मेदारी दी गई है। क्लस्टर सोशल ऑडिटर्स की संख्या 2,672 है, जिन्हें मास्टर ट्रेनर्स द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा। इन क्लस्टर सोशल ऑडिटर्स द्वारा ब्लॉक स्तर पर सोशल ऑडिटर फैसिलिटेटर टीम के 1,60,320 सदस्यों को प्रशिक्षित करने का कार्य जनवरी में पूरा किया जायेगा। चयनित 26,720 विद्यालयों का सोशल ऑडिट फैसिलिटेटर टीम करेगी जिसमे अभिभावकों, समुदाय और सभी हितधारकों शामिल होंगे।


महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने कहा

महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि सोशल ऑडिट का महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि इस कार्य में विभाग द्वारा केवल सहयोग प्रदान किया जायेगा और सभी कार्य चयनित विश्वविद्यालयों द्वारा किया जायेगा, ताकि निष्पक्ष और वास्तविक तस्वीर सामने आ सके। सोशल ऑडिटर्स की टीम के प्रयास से अप्रैल तक प्रदेश के 20 प्रतिशत विद्यालयों का सोशल ऑडिट पूर्ण कर लिया जाएगा। अगले पांच वर्षों में प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालयों का सोशल ऑडिट का कार्य पूर्ण करने की योजना है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में यह कदम बहुत सहायक होगा।

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