शबनम की फांसी की सजा क्या उम्रकैद में तब्दील हो पाएगी

शबनम की फांसी की सजा क्या उम्रकैद में तब्दील हो पाएगी

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Prakash Prabhaw

प्रयागराज

शबनम की फांसी की सजा क्या उम्रकैद में तब्दील हो पाएगी

अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात सदस्यों की निर्ममता से हत्या करने वाली अमरोहा की शबनम फांसी की सजा पाने वाली देश की पहली महिला बनने जा रही है।

लेकिन अमरोहा की शबनम की फांसी की सजा उम्र कैद में बदल सकती है। दरअसल शबनम की फांसी की सजा के मामले में यूपी की गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने दखल दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता सहर नकवी की ओर से सजा बदलने की मांग वाली अर्जी पर गवर्नर ने यूपी सरकार को मामले को रेफर कर दिया है।

गवर्नर आनंदी बेन पटेल के निर्देश पर उनके विशेष सचिव बद्री नाथ सिंह ने यूपी के कारागार विभाग के प्रमुख सचिव को मामले को कार्रवाई के लिए सौंपा है। नियमों के मुताबिक उचित निर्णय लिए जाने का आदेश दिया गया है।

सहर नकवी ने गवर्नर को फरवरी माह में अर्जी भेज कर शबनम की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील किए जाने की मांग की थी। अर्जी में उन्होंने महिला होने के नाते फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने की मांग थी।

अर्ज़ी में कहा गया था देश में अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई है। अर्जी में दलील दी गई है कि शबनम को फांसी दिए जाने से पूरी दुनिया में देश की छवि खराब होगी। शबनम द्वारा किए गए अपराध में उसकी सजा का तरीका बदला जा सकता है।

अर्जी में शबनम के इकलौते बेटे 13 साल के ताज उर्फ बिट्टू का हवाला देकर भी सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की गई है। अर्ज़ी में कहा गया है कि शबनम को फांसी दिए जाने से उसके बेटे के भविष्य पर गलत असर पड़ेगा।

अधिवक्ता सहर नकवी ने कहा है कि इस दुनिया में बच्चे का कोई अपना नहीं है। फांसी दिए जाने से बच्चे को जीवन भर ताना सुनना पड़ेगा।

फांसी की वजह से सामाजिक परिस्थितियों के चलते बच्चे के मानसिक विकास व भविष्य पर बुरा असर पड़ सकता है। अर्जी में कहा गया है कि मां के अपराध की सजा बच्चे को दिया जाना कतई न्याय संगत नहीं होगा।

गवर्नर सचिवालय ने एडवोकेट सहर नकवी की अर्जी उचित कार्रवाई के आशय के साथ यूपी सरकार को भेज दी है। अब इस अर्जी पर यूपी सरकार के कारागार विभाग के प्रमुख सचिव से नियमों के मुताबिक उचित फैसला लेंगे। 

गवर्नर सचिवालय ने आदेश की कॉपी अर्जी दाखिल करने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की महिला वकील सहर नकवी को 22 जुलाई को मिल चुकी है।

राज्यपाल सचिवालय से अर्जी का जवाब आने के बाद सहर नकवी का दावा है कि प्रमुख सचिव के यहां अब तमाम दलीलों व पुरानी नजीरों के आधार पर मजबूत पैरवी की जाएगी। जिससे शबनम की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलवाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि ये कवायद मानवीय आधार पर की जाएगी।

गौरतलब है कि शबनम और उसके प्रेमी सलीम को माता पिता, दो भाइयों और भाभी समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है। अपने प्रेमी सलीम से शादी करने के लिए शबनम ने सात कत्ल किये थे। प्रेमी सलीम को भी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। प्रेमी सलीम नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। फांसी की सजा से बचने के लिए अब दोनों के पास बहुत कम रास्ते बचे हैं।

क्योंकि राष्ट्रपति ने दया याचिका भी खारिज कर दी है। हम आपको बता दें कि अप्रैल 2008 में यूपी के अमरोहा जिले के बावन खेड़ा में यह चर्चित कांड हुआ था। शबनम इन दिनों यूपी की बरेली जेल में बंद है।

शबनम के लिए पैरवी करने वाली वकील सहर नकवी का दावा है कि वह सिर्फ महिला होने के नाते शबनम को फांसी के फंदे से बचाना चाहती हैं। हांलांकि शबनम के अपराध पर उन्होंने कोई सफाई नहीं पेश की है।

अधिवक्ता सहर नकवी का कहना है कि उनका मकसद शबनम के बच्चे के भविष्य को देखते हुए सिर्फ उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलवाना है। अधिवक्ता सहर नकवी को उम्मीद है कि उन्हें अपने मकसद में कामयाबी जरूर मिलेगी।

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