कोरोना की जांच के लिए परेशान है ड्राइवर, प्रशासन नहीं कर रहा जांच
- Posted By: Admin
- उत्तर प्रदेश
- Updated: 24 April, 2020 13:57
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Prakash prabhaw news
ब्यूरो रिपोर्ट प्रकाश प्रभाव
कोरोना की जांच के लिए परेशान है ड्राइवर, प्रशासन नहीं कर रहा जांच
जहां एक तरफ सरकार कोरोनावायरस को लेकर दिन-रात चिंतित है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कोरोनावायरस से लड़ने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। तो वहीं कुछ लोग कोरोनावायरस की जांच करवाने से भाग भी रहे हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोनावायरस की जांच करवाना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन के निकक्मेंपन की वजह से उनकी जांच नहीं हो पा रही है।
अब सवाल यह उठता है कि युधिष्ठिर सिंह को कोरोना हो या ना हो लेकिन किसी दूसरी बीमारी से जरूर उनको नुकसान हो सकता है। ऐसे में अगर इस व्यक्ति को कोई तकलीफ होती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा??
प्रशासनिक कर्मचारी अपनी नाकामियों का ठीकरा किसके सर पर फोड़ेंगे, यह बहुत बड़ा प्रश्न है। ताजा मामला राजधानी लखनऊ के बख्शी तालाब तहसील के नंदना गांव का है। जहां पर युधिष्ठिर सिंह नाम का व्यक्ति जोकि ट्रेलर का ड्राइवर है। 4 दिन पहले वह अपने गांव पहुंचा लेकिन गांव के लोगों ने उसे गांव में घुसने से मना कर दिया। युधिष्ठिर सिंह ने भी गांव के लोगों की बात मानते हुए पास के प्राथमिक विद्यालय में ही रुक गए। परिवार के लोगों ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था वहीं पर कर दी। उसके बाद उन्होंने जांच के लिए कई जगह संपर्क किया।एसडीएम बख्शी तालाब एवं पुलिस कंट्रोल नंबर 112 पर फोन किया।लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला अभी तक उक्त व्यक्ति की खोज खबर लेने के लिए कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा।जब इस बात की जानकारी मीडिया के लोगों को हुई, तो मीडिया ने जिलाधिकारी लखनऊ को इस बात की पूरी जानकारी देने के लिए फोन किया लेकिन फोन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि ने उठाया और बड़े ही गैरजिम्मेदाराना रवैये से बात करते हुए कहा कि 10 दिन उनको और कोरोनटाइन रहने दीजिए और बिना पूरी बात सुने ही फोन काट दिया। जबकि उस व्यक्ति को कोई भी सिम्टम्स नहीं है ऐसे में उस व्यक्ति को इस तरह से रखना सरासर गलत होगा। जबकि स्कूल के अंदर किसी भी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। ना ही बिजली है ना पंखा है ना ही साफ सफाई की उचित व्यवस्था है। ऐसे में उस व्यक्ति को कोरोना हो या ना हो दूसरी कोई बीमारी जरूर हो जाएगी।ऐसी स्थिति में प्रशासन के लोग अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी के साथ नहीं निभाना चाहते हैं।मीडिया से बातचीत का पूरा ऑडियो रिकॉर्ड हो चुका है जो इस बात का प्रमाण है।कि किस तरह से अधिकारी आम जनता से बर्ताव करते होंगे यह बहुत ही चिंता का विषय है।इन लोगों के इस तरह से कार्य करने का अंदाज बताता है कि यह लोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की सारी मेहनत पर कहीं न कहीं पानी फेर ना चाहते हैं।
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