टिड्डी की पहचान व आक्रमण से बचने के लिए किसानों को सुझाव
- Posted By: Abhishek Bajpai
- उत्तर प्रदेश
- Updated: 23 May, 2020 19:08
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PRAKASH PRABHAW NEWS
रिपोर्ट-अभिषेक बाजपेयी
टिड्डी की पहचान व आक्रमण से बचने के लिए किसानों को सुझाव
कृषक टिड्डी प्रकोप के आक्रमण की जानकारी के लिए समस्त तहसील के नोडल अधिकारी से कर सकते है सम्पर्क
रायबरेली। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में टिड्डा के प्रकोप के दृष्टिगत जनपद में टिड्डी दल के आक्रमण होने की संभावना बढ़ गयी है। टिड्डी दल राजस्थान के जनपद जयपुर और दौसा होते हुए भारतपुर या करौली जनपद के रास्ते से होते हुए प्रदेश के अन्य जनपद में प्रवेश कर सकता है। किसानो को टिड्डी की पहचान एवं आक्रमण जानकारी दी गई है कि टिड्डी दल में करोड़ों की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं जो फसलों को कुछ ही घंटो में चट कर जाते हैं। टिड्डी दल का आकार लगभग 3ग5 किलोमीटर है यानी यहां जब बैठता है तो 3 किलोमीटर लंबाई और 5 किलोमीटर चौड़ाई में फैल जाता है। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं।
कृषक टिड्डी दल के आक्रमण से बचने के लिए अपने खेतों में आग जलाकर पटाखें फोड़ कर थाली बजाकर ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें। कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफॉस, साइपरमैथरीन, लिंडा इत्यादि कीटनाशकों का टिड्डी दल के ऊपर छिड़काव करें, यह टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयो का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपाय को अपनाते हुए तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के कर्मचारी से सम्पर्क कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए समस्त तहसील में नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
तहसील सदर में लिलेस पाल 9140509855, सालोन में रमारमन शुक्ल 7007061237, महराजगंज में अजय सिंह 9919959728, लालगंज में संत कुमार 8273650522, डलमऊ हसमत अली 7905421651, ऊँचाहार में हर प्रसाद 8601207760 नामित है। किसान टिड्डी के प्रकोप को देखते हुए नोडल अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है। टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में लोकस्ट कन्ट्रोल आर्गेनाइजेशन फरीदाबाद को पर एवं क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 एवं ई-मेल पर सूचित करे ताकि प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण कराया जा सके।
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