करोना का साइड इफैक्ट : अंतिम निवास में लकड़ियों की किल्लत, अस्थियो का विसर्जन भी रुका, लोगों से सीएनजी से अंतिम संस्कार करने की अपील
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- उत्तर प्रदेश
- Updated: 13 April, 2020 20:02
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Prakash prabhaw news
रिपोर्टर-विक्रम
करोना का साइड इफैक्ट : अंतिम निवास में लकड़ियों की किल्लत, अस्थियो का विसर्जन भी रुका, लोगों से सीएनजी से अंतिम संस्कार करने की अपील
कोविड-19 का साइड इफेक्ट शवों के अंतिम संस्कार पर भी पड़ने लगा है। सेक्टर-94 स्थित अंतिम निवास में लॉकडाउन के कारण जहां लकड़ियों की किल्लत हो गई है। वही अस्थियो का विसर्जन भी रुक गया है अंतिम निवास के लॉकरूम में बंद अस्थियाँ को लॉक डाउन खुलने का इंतज़ार है। प्रबंधन देख रही संस्था लोकमंच ने लोगों से सीएनजी से अंतिम संस्कार करने की अपील की है।
नोएडा के सेक्टर-94 में 09 एकड़ जमीन पर बने अंतिम निवास में ये रखा हुआ लकड़ी का स्टॉक मात्र पंद्रह दिन का है अंतिम निवास का प्रबंधन देखने वाली संस्था लोकमंच के कर्ताधर्ता महेश सक्सेना कहते हैं कि पिछले डेढ़ माह से लकड़ियों की आवक कम हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद तो बिल्कुल ठप हो गई। ये हाल केवल अंतिम निवास का नहीं कई गौतमबुध नगर अन्य शमशान स्थलो का है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले विभाग के अनुसार 1006 लोगो के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए है जबकि अंतिम निवास पर ही प्रतिदिन 12 से 15 शवों का अंतिम संस्कार होता है। लोग लकड़ियों से ही अंतिम संस्कार को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन, कोरोना संकट के कारण लकड़ियों की किल्लत हो गई है। फिलहाल उनके पास सिर्फ 15 दिनों के लिए लकड़ियां बची हुई हैं। महेश सक्सेना ने बताया कि अंतिम निवास में सीएनजी से दाह संस्कार के लिए दो मशीनें लगी हैं, लेकिन उनमें एक खराब चल रही है। लॉकडाउन के कारण उसकी मरम्मत की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। फिर भी एक मशीन से अंतिम संस्कार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ियों का खर्च ढुलाई समेत 3500 रुपये आता है। जबकि सीएनजी से अंतिम संस्कार में 2200 से 2300 रुपये आता है। लेकिन, फिर भी लोग लकड़ियों की ही डिमांड अधिक करते हैं। पूरे माह में सिर्फ 40 से 50 शवों का दाह संस्कार सीएनजी के जरिये होता है।
महेश सक्सेना कहते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने अपील की है कि लोग सीएनजी से शवों के अंतिम संस्कार को प्राथमिकता दें, जिससे इस विषम परिस्थिति में भी पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मदद मिल सके। उन्होंने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) को चिट्ठी लिखकर इस बात की मांग की है कि देशभर के अंतिम निवास या श्मशान भूमि पर सप्लाई होने वाली सीएनजी पर सब्सिडी दी जाए। इससे शवों के अंतिम संस्कार का 60 से 65 फीसदी तक कम हो जाएगा। अभी सीएनजी से दाह संस्कार का खर्च 2200 से 2300 रुपये आता है। वहीं, सब्सिडी के बाद सिर्फ 600 से 700 रुपये में यह काम हो जाएगा। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा। उन्होंने बताया कि अंतिम निवास में गरीबों और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार पहले से ही नि:शुल्क किया जाता है। लॉकडाउन के कारण वाहनों के पहिये थमे हुए हैं। ऐसे में शवों के अंतिम संस्कार अस्थियो का विसर्जन भी रुक गया है अंतिम निवास के लॉकरूम में बंद अस्थियाँ को लॉक डाउन खुलने का इंतज़ार है।
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