अब रोजगार की तलाश में रहे हैं भटक

अब रोजगार की तलाश में रहे हैं भटक

*कोरोना संक्रमण ने बैंडवालों का ठप किया रोजगार*


*परिवार के गुजर-बसर की समस्या गहराई*


 अब रोजगार की तलाश में रहे हैं भटक

पी पी एन न्यूज

कमलेन्द्र सिंह

 खागा/फतेहपुर 

लोगों के खुशी के पलों में बैंड-बाजा बजाने वालों का कोरोना की वजह से रोजगार ठप हो गया है। कोई दूसरा हुनर नहीं रखने वाले बैंड-बाजे वाले घर पर हांथ धरे बैठे हैं, जबकि कुछ मजदूरी करके गुजर बसर करने को मजबूर हैं। दर्जन भर लोगों को नौकरी देने वाले आज खुद नौकरी की तलाश में इधर -उधर भटक रहे हैं। गदाई मोहल्ला निवासी कैलाश सविता कहते हैं कि उनकी जिंदगी अधर में लटक गई है । लाॅकडाउन में रोजगार ठप होने से जीवन में अंधेरा सा छा गया है। फरवरी में आखिरी कार्यक्रम करने के बाद से आज तक एक रूपया नही कमाया है। उन्होने बताया कि दुःख इस बात का है कि उनसे जुड़े दर्जनभर साथियों के लिए वह कुछ नही कर सकते। अब जो हालात बन रहे हैं, उससे तो लग रहा है कि लोगों के व्यवहार में बदलाव सा आ जाएगा। और उनके साथी देर-सवेरे नए रोजगार में जुड़ जाएंगे। डीजे वाले संदीप केसरवानी का कहते हैं कि दोनों बच्चों की पढ़ाई का संकट गहरा गया है। वहीं शिव बाबू का कहना है कि तीन बच्चे हैं इनकी परवरिश कैसे होगी कुछ समझ नही आ रहा है। ऐरायां ब्लाक के कोडारवर गांव निवासी अखिलेश का कहना है कि बैंड-बाजा छोड़कर फावडा चलाना पड़े तो चला लेंगे। जिंदगी के एक कड़वे सच का अहसास हुआ है कि दुनिया में सब दिखावा है। बढ़ैयापुर निवासी राजकुमार कहते हैं कि काहे का बैंड-बाजा भैया, अब तो अपना ही बैंड बजा पड़ा है। बैंड का सामान उठाकर छत पर रख दिया है। ये तो कहो कि हमारा मनरेगा जाॅबकार्ड बना हुआ है। मजदूरी कर गुजर बसर करेंगे।

*सारथी बने ग्राम प्रधान*

कोडारवर के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि वीरेन्द्र पटेल ने आगे बढ़कर बैंड-बाजा वालों का हाथ थामा है। वह कहते हैं कि सभी बाजा वालों को अगर समस्या होगी तो सभी का जाॅबकार्ड बनाकर उन्हें रोजगार दिया जाएगा।

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