भारतीय किसान यूनियन के नेताओ ने राजभवन पहुँच कर राजयपाल को सौपा ज्ञापन

prakash prabhaw
लखनऊ।
रिपोर्ट, इज़हार अहमद
भारतीय किसान यूनियन के नेताओ ने राजभवन पहुँच कर राजयपाल को सौपा ज्ञापन
पिछले 7 माह से लगातार किसान उत्तर प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं । आज किसान संगठनों के आवाहन से देश के कोने कोने से किसान राजभवन में पहुचकर राज्यपाल को ज्ञापन देने जा रहे है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओ ने राजभवन पहुँच कर राजयपाल को ज्ञापन सौपा। जिसके बाद राजधानी के बहुखंडी में किसान एकत्रित हुए। किसानों के राजभवन पहुंचने की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से भारी संख्या में एस एस बी और लखनऊ पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए हैं।
फिलहाल किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल हरिनाम सिंह के नेतृत्व में राजभवन राज्यपाल से मिलने के लिए पहुंचा है। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए किसान बिलों के विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे हैं, अगर बिलों को वापस नहीं लिया गया तो पूरे देश में किसान एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने बताया कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर हमने ज्ञापन सौंपा है । आज किसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो गए हैं। उसके बावजूद भी किसानों की कोई बात नहीं सुनी गई है । देश में हमें अन्नदाता कहा जाता है। 74 सालों से अपनी जिम्मेदारी लगाता निभाते चले आ रहे हैं। जब देश आजाद हुआ उस समय हम 35 करोड़ लोगों का पेट भर रहे थे। आज इतनी ही जमीन पर हम 140 करोड़ जनता को भोजन देते हैं । ऐसी स्थिति में भी अन्नदाता परेशान है। कोरोला काल में पूरा देश लॉकडाउन था तब भी किसानों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर खाद्यान्न पैदा किया।
किसान नेता हरनाम सिंह ने कहा भारत सरकार ने हमारे मेहनत के बदले हमें तीन काले कानून दिए हैं जो हमारी नस्ल और फसलों को आने वाले समय में बर्बाद कर देंगे। हमारी खेती को छीनकर कंपनियों को सौंप देंगे। ऊपर से पराली जलाने के मसौदे की तलवार भी हमारे सर पर सरकार ने लगा दी है । हम इन काले कानूनों का विरोध करते हैं। उसी को लेकर आज ज्ञापन सौंपा गया है। जो किसान फिर सरकार लाई है उस पर ना तो किसानों से चर्चा की गई ना किसान से कोई बात की गई। अपने आप काले कानूनों को लागू कर दिया गया। देशभर में किसानों का उत्पीड़न हो रहा है उसी को लेकर पूरे देश के राज्यपालों को आज ज्ञापन सौंपने का काम भारतीय किसान यूनियन के द्वारा किया जाए जा रहा है।
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