नगर निगम की 'न' के बावजूद सेवाविस्तार की तैयारी

Prakash Prabhaw News
नगर निगम की 'न' के बावजूद सेवाविस्तार की तैयारी
रिपोर्ट, आशीष अवस्थी
तो फिर कौन है नगर निगम के रसूखदार बाबू के पीछे
लखनऊ नगर निगम ने तमाम नियमों, शासन की नीति का हवाला देते हुए खुल के कह दिया है कि लेखाकार (अकेन्द्रीयत) को सेवाविस्तार नही दिया जा सकता। तो फिर वो कौन अधिकारी हैं, जो कि नगर आयुक्त के पत्र को भी नज़रअंदाज़ कर रसूखदार बाबू को सेवाविस्तार दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
विशेष सचिव नगर विकास अनुभाग 7 की ओर से सत्येंद्र कुमार सिंह को सेवाविस्तार के लिए यथोचित कार्यवाही के लिए लिखा गया था। इसका जवाब नगर आयुक्त ने शासन को भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि स्थानीय निकाय की ओर से रिक्त पदों पर किसी प्रकार से नियुक्तियां न किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। इसमें ये भी कहा गया है कि शासन ने इन पदों को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए भरने का निर्णय लिया है। इसमें सेवाविस्तार केवल उन्हीं पदों में दिया जा सकता है, जो विशेष जनहित के विधिक या वैज्ञानिक पद हों और कोशिश के बावजूद नई तैनाती न हो पा रही हो। जबकि सत्येंद्र कुमार सिंह का पद इस श्रेणी का नही है। इसलिए लखनऊ नगर निगम की ओर से इस तरह कार्यवाही किया जाना सम्भव नहीं है। नगर विकास विभाग के सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम के इस पत्र के बावजूद शासन के कुछ अफसर सेवाविस्तार के लिए एड़ी- चोटी को ज़ोर लगा रहे हैं।
अब सवाल यह है कि वो कौन लोग हैं, सत्येंद्र कुमार सिंह का सेवाविस्तार किसी भी दशा में कराना चाह रहे हैं। लखनऊ नगर निगम में आखिर वो कौन से काम हैं, जो कि बिना इस बाबू के नही हो सकते। इस सेवाविस्तार से किस-किस को फायदा होने जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि योगी सरकार की नीतियों के विरुद्ध कुछ अफसर खड़े हैं। कोरोना काल में शासन की नीति है कि 55 साल से कम के कर्मचारियों से काम लिया जाए। फिर कौन अफसर हैं, जो ऐसे कर्मचारियों की उपयोगिता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मूलतः लेखाकार सत्येंद्र कुमार सिंह बरसों से लखनऊ नगर निगम में बजट सील का काम देख रहे हैं, जो एक मलाईदार जगह मानी जाती है। इनकी सेवानिवृत्ति इसी माह 31 मई को होनी है।
लेकिन नगर निगम में अब भी लोग ये मान रहे हैं कि सत्येंद्र सिंह का शासन में बैठे लोग सेवाविस्तार किसी भी तरह से करवा देंगे। दरअसल नगर निगम में कई नगर आयुक्त आये और चले गए लेकिन बरसों से एक सीट पर जमे सत्येंद्र सिंह की हैसियत में कोई कमी नहीं आयी. कोरोना काल ऐसी खबरें नगर निगम की छवि के लिए चुनौती है। फिर सत्येंद्र कुमार सिंह ने 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति का चयन कर उससे सम्बंधित लाभ लिए। उसके बाद नगर निगम को अँधेरे में रख 58 साल में सेवानिवृत्ति न लेकर 60 साल की सेवा पूरी करने के करीब है। लेकिन वो कौन है कि जो रिकवरी की कार्रवाई करने बजाय सेवाविस्तार में जुटे हैं।
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