सुरक्षा गार्ड बना कंपनी का चीफ सॉफ्टवेयर इंजीनियर

सुरक्षा गार्ड बना कंपनी का चीफ सॉफ्टवेयर इंजीनियर

2013 में अब्दुल अलीम को ज़ोहो के दफ़्तर में सुरक्षा गार्ड की नौकरी मिल गई। अपनी 12 घंटे की लंबी शिफ्ट के दौरान, वह दफ़्तर के कर्मचारियों को आते-जाते देखता था, लेकिन एक दिन एक ऐसी घटना घटी जिसने उसकी ज़िंदगी बदल दी।

उस दिन ज़ोहो के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने अब्दुल से बातचीत शुरू की बातचीत में अब्दुल ने बताया कि उसने स्कूल के दिनों में कुछ HTML सीखी थी। वरिष्ठ ने पूछा - "क्या तुम और सीखना चाहते हो?"

यह प्रश्न अब्दुल के लिए एक नई शुरुआत बन गया।

रोज़ाना 12 घंटे की ड्यूटी पूरी करने के बाद भी, अब्दुल बिना थके अपने सीनियर से कोडिंग सीखने में लग गया। दिन-ब-दिन, कड़ी मेहनत और उत्साह के साथ वह सीखता ही रहा।

आठ महीने की लगातार मेहनत के बाद, अब्दुल ने एक छोटा सा ऐप बनाया—जो यूज़र इनपुट को विज़ुअलाइज़ करता था। सीनियर ने यह ऐप अपने मैनेजर को दिखाया और मैनेजर इतना प्रभावित हुआ कि उसने अब्दुल का इंटरव्यू लेने का फैसला कर लिया। अब्दुल इंटरव्यू में पास हो गया, और फिर ज़ोहो में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर शामिल हो गया। आज वही अब्दुल अलीम, जो कभी ज़ोहो में सिक्योरिटी गार्ड था, कंपनी का चीफ सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

एक ही संदेश के साथ

"सफलता की कुंजी डिग्री नहीं, बल्कि सीखने की इच्छा है"


(आकिव जावेद भाई की फेसुक पोस्ट)

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