क्या आपको मालूम है कि भारत में सबसे अधिक महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से क्यों ग्रसित हैं ?

क्या आपको मालूम है कि भारत में सबसे अधिक महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से क्यों ग्रसित हैं ?

PPN NEWS

ज़ाहिद अख़्तर की रिपोर्ट 

क्या आपको मालूम है कि भारत में सबसे अधिक महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से क्यों ग्रसित हैं 


‘कैप्चर द फ्रैक्चर’- शरीर के किसी भाग में हो जाए फ्रैक्चर तो न करें नज़रअंदाज़

लखनऊ (PPN)। हड्डी के द्रव्यमान (बोन मास) में आई कमी जब हड्डियों के सामान्य ढांचे से हस्तक्षेप करने लगती है तो इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में जाना जाता हैं। ऐसे में हड्डियां नाजुक और कमज़ोर हो जाती हैं, और थोड़े से भी खिंचाव या भार से फ्रैक्चर होने की संभावना बनी रहती है। यदि हड्डियों में फ्रैक्चर एक से अधिक बार हो जाए तो इसकी जांच कराना आवश्यक हो जाता है। यह बातें एसजीपीजीआईएमएस इंडोक्राइन विभाग के डाॅ सुशील गुप्ता ने बतायीं।


विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर वर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। डाॅ सुशील गुप्ता ने प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी और बताया कि विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस के मौके पर शुक्रवार 20 अक्टूबर को एसजीपीजीआईएमएस में जन जागरूक कार्यक्रम का आयोजन किया जााएगा जिसमें ऑस्टियोपोरोसिस से संबधित परेशानी और इसके निवारण की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। एसजीपीजीआई में बोन मिनरल डेन्सिटी(बीएमडी) की सुविधा का अधिक से अधिक मरीज़ों को लाभ पहुंच रहा है। लगभग 4 से 5 हज़ार मरीज़ इसमें पंजीकृत हैं जिनका इलाज बेहद कम ख़र्च में हो जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?

इंडोक्राइन विभाग के डाॅ सुशील गुप्ता ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस विशेषकर महिलाओं में ज़्यादा पायी जाती है जिसका मुख्यकारण अधिक बच्चे पैदा करना तथा अधिक स्तनपान कराना है। दरअसल ऑस्टियोपोरोसिस शब्द का अर्थ है ‘छिद्रपूर्ण हड्डी’। यह एक ऐसी बीमारी है जो हड्डियों को कमज़ोर करती है, और यदि आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको अचानक और अप्रत्याशित हड्डी के फ्रैक्चर का अधिक से अधिक जोखिम होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस का मतलब है कि आपके पास हड्डियों का द्रव्यमान और ताकत कम है। हड्डियों का यह रोग अक्सर बिना किसी लक्षण या दर्द के विकसित होता है, और आमतौर पर इसका पता तब तक नहीं चलता जब तक कि कमजोर हड्डियां दर्दनाक फ्रैक्चर का कारण नहीं बन जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर ज़्यादातर कूल्हे, कलाई और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने की आशंका बनी रहती हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस के क्या कारण हैं?


ऑस्टियोपोरोसिस तब होता है जब अधिक मात्रा में हड्डी द्रव्यमान खो जाता है और हड्डी के ऊतकों की संरचना में परिवर्तन होते हैं। 

हमारी हड्डियां जीवित, बढ़ते ऊतक से बनी होती हैं। स्वस्थ हड्डी का भीतरी भाग स्पंज जैसा दिखता है। इस क्षेत्र को ट्रैबिकुलर हड्डी कहा जाता है। जब ऑस्टियोपोरोसिस होता है, तो ‘स्पंज’ में ‘छेद’ बड़े हो जाते हैं और उनकी संख्या बढ़ जाती है, जो हड्डी को अंदर से कमजोर करता है। हड्डियां शरीर को सहारा देती हैं और महत्वपूर्ण अंगों की रक्षा करती हैं। हड्डियां कैल्शियम और अन्य खनिजों का भी भंडारण करने का काम करती हैं। लगभग 30 वर्ष की आयु तक, हम आमतौर पर जितना खोते हैं उससे अधिक हड्डी का निर्माण करते हैं। 35 साल की उम्र के बाद, हड्डी का टूटना हड्डी के निर्माण की तुलना में तेजी से होता है, जिससे हड्डी का द्रव्यमान धीरे-धीरे कम हो जाता है। यदि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है, तो आप अधिक दर से अस्थि द्रव्यमान खो देते हैं। मेनोपॉज के बाद हड्डियों के टूटने की दर और भी तेज हो जाती है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण क्या हैं?  


डाॅ सुशील गुप्ता ने बताया कि भारत में महिलाओं के अंदर ऑस्टियोपोरोसिस के लक्ष्ण ज़्यादा पाये जाते हैं। पारिवारिक इतिहास भी ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम में एक भूमिका निभाता है। यदि आपके माता-पिता या दादा-दादी में ऑस्टियोपोरोसिस के कोई लक्षण हैं, जैसे कि मामूली गिरावट के बाद कूल्हे का फ्रैक्चर, तो आपको इस बीमारी के विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस उन लोगों में अधिक आम है जिनके शरीर में कुछ निश्चित हार्मोन बहुत अधिक या बहुत कम होते हैं। 
सेक्स हार्मोन का स्तर कम होने से हड्डी कमज़ोर हो जाती है। प्रोस्टेट कैंसर के उपचार जो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करते हैं और स्तन कैंसर के उपचार जो महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर को कम करते हैं, हड्डियों के नुकसान में तेजी लाने की संभावना है।

थायरॉयड समस्याएं - बहुत अधिक थायराइड हार्मोन हड्डियों के नुकसान का कारण बन सकता है। यह तब हो सकता है जब आपका थायरॉयड अति सक्रिय हो या यदि आप एक कम सक्रिय थायराइड के इलाज के लिए बहुत अधिक थायराइड हार्मोन दवा लेते हैं।

आहार संबंधी कारक भी ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका को बढ़ा सकते हैं। कैल्शियम की आजीवन कमी ऑस्टियोपोरोसिस के विकास में एक भूमिका निभाती है। कम कैल्शियम का सेवन हड्डियों के घनत्व में कमी, हड्डियों के जल्दी नुकसान और फ्रैक्चर के बढ़ते जोखिम में योगदान देता है। भोजन के सेवन को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करना और कम वजन होना पुरुषों और महिलाओं दोनों में हड्डियों को कमज़ोर करता है।

65 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाओं का बोन डेंसिटी टेस्ट होना चाहिए। क्म्ग्। स्कैन उन महिलाओं के लिए पहले किया जा सकता है जिनके ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम कारक हैं। 70 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों, या जोखिम वाले कारकों वाले युवा पुरुषों को भी अस्थि घनत्व परीक्षण कराने पर विचार करना चाहिए।
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