ब्राह्मण और क्षत्रियों को दरकिनार कर डैमेज हो सकता है सपा का खेल
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- Updated: 25 January, 2022 22:39
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़(PPN)
उदयवीर सिंह शाहजहांपुर
ब्राह्मण और क्षत्रियों को दरकिनार कर डैमेज हो सकता है सपा का खेल
जनपद में सामान्य वर्ग को दरकिनार कर ओबीसी पर सपा ने जताया भरोसा
ब्राह्मणों और क्षत्रियों के जनपद में करीब पांच लाख हैं वोट
शाहजहांपुर। विधानसभा चुनाव जितना नजदीक आता जा रहा है। उतना ही सभी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगाए जा रही हैं। समाजवादी पार्टी द्वारा जनपद में किसी भी सामान्य वर्ग को टिकट न देने पर ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों में रोष देखा जा रहा है। यकीनन इसका नुकसान समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ सकता है। 9 नवंबर को जनपद में आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर ब्राह्मण नेता (प्रदीप पाण्डेय) को भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया था। जिसके बाद भी समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण और क्षत्रियों पर कोई भी विशेष ध्यान नहीं दिया। भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश करते हुए जितिन प्रसाद को मंत्री पद देकर सम्मानित किया तो वही क्षत्रियों को भरोसा दिलाने के लिए और विश्वास में लाने के लिए जनपद की 6 विधानसभा सीटों में 2 सीटों पर क्षत्रियों को जगह दी है। वहीं अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो नगर विधानसभा से आशा वर्कर पूनम पाण्डेय को प्रत्याशी बनाया है । तो बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी ब्राह्मणों को साधने की कोशिश करते हुए नगर विधानसभा क्षेत्र से सर्वेश कुमार मिश्रा उर्फ धांधू को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने जनपद के एकमात्र क्षत्रिय सिटिंग विधायक 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की योगी मोदी लहर लहर में नाक बचाने वाले शरदवीर सिंह की टिकट काटकर क्षत्रियों को दरकिनार करने की कोशिश की है। जिसको लेकर क्षत्रियों में रोष देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चाएं चल रही हैं कि समाजवादी पार्टी ब्राह्मण और ठाकुर को पार्टी में रखना पसंद नहीं कर रही है। जनपद में अगर ब्राह्मण और ठाकुरों की बात करें तो दोनों जातियों का लगभग पांच लाख के करीब वोट बैंक है। जिसके चलते किसी का भी खेल बनाया और बिगाड़ा जा सकता है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर समाजवादी पार्टी के खिलाफ सवर्णों का रोष देखा जा सकता है। जानकारों के मुताबिक जनपद की 6 विधानसभा सीटों से किसी भी सवर्ण को टिकट न देने के अलावा किसी भी पद पर सवर्णों को नहीं रखा गया है। समाजवादी पार्टी द्वारा सवर्णों की उपेक्षा की जा रही है। जिसके चलते ही समाजवादी पार्टी से कई सवर्ण नेताओं ने किनारा करते हुए भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य पार्टियों के दामन थामे हैं। एक दो सवर्ण नेता अभी भी अन्य पार्टियों के संपर्क में हैं जो किसी भी समय समाजवादी पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। अब देखना यह है कि समाजवादी पार्टी जनपद में होने वाले 14 फरवरी के मतदान से पूर्व सवर्णों को साधने के लिए क्या दांव खेलती है। या फिर ओबीसी को सर्वोपरि मानकर विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाती है।
""2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने जनपद में जीती थी चार सीटें""
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में जनपद की 6 विधानसभा सीटों में से 4 पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष प्रदीप पांडे ने कड़ी मेहनत के साथ जनपद के प्रत्याशियों को कड़े मुकाबलों के साथ चार पर विजय दिलाई थी। जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने 2014 में जिला अध्यक्ष पद पर नगर चेयरमैन तनवीर खान को बनाया था। नतीजा यह निकला कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जनपद में समाजवादी पार्टी केवल जलालाबाद विधानसभा से डूबती ही नया बचाने में कामयाब हुई थी। जिसमें शरदवीर सिंह ने पार्टी की नाक बचाने का काम किया था। वर्तमान समय में जलालाबाद विधानसभा सीट से शरदवीर सिंह विधायक हैं। समाजवादी पार्टी ने उनका सिटिंग विधायक होने के बावजूद भी टिकट काट दिया। जिसको लेकर जनपद के क्षत्रियों में समाजवादी पार्टी के खिलाफ बेहद आक्रोश देखा जा रहा है। क्षत्रियों ने इसका विरोध सोशल मीडिया पर जमकर किया है। समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है कि ब्राह्मण और क्षत्रियों को साधने के लिए 14 फरवरी से पहले क्या कर सकती है। जिससे कि जनपद में ब्राह्मण और क्षत्रिय के पांच लाख वोटरों पर सेंध लगाया जा सके। और जनपद की सभी 6 विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराया जा सके।
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