विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन का विषय होगा "संतुलन बहाल करना"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन का विषय होगा "संतुलन बहाल करना"

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का द्वितीय सम्मेलन संपन्न 


अमित श्रीवास्तव/ब्यूरो चीफ 

आयुष मंत्रालय ने 8 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में द्वितीय विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन से पहले एक पूर्वावलोकन पर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। यह शिखर सम्मेलन 17-19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री प्रतापराव जाधव जी ने इस बात पर गर्व किया कि भारत 2023 में गुजरात में आयोजित पहले सफल आयोजन के बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मानवता के स्वास्थ्य, खुशी और कल्याण के लिए पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा में लाने के सामूहिक वैश्विक प्रयास में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत के "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः" के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

श्री जाधव ने बताया कि इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय "संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास" है। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के मंत्री, नीति निर्माता, वैश्विक स्वास्थ्य नेता, शोधकर्ता, विशेषज्ञ, उद्योग प्रतिनिधि और चिकित्सक एक साथ आएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें 100 से अधिक देशों की भागीदारी अपेक्षित है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने पारंपरिक चिकित्सा में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि आयुष प्रणालियाँ - आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी - सदियों से लोगों की सेवा करती रही हैं और आज समग्र स्वास्थ्य के लिए विश्वसनीय समाधान के रूप में दुनिया भर में मान्यता प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ साझेदारी में गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना, भारत की पारंपरिक ज्ञान संचय में बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाती है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने बताया कि शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक एमेरिटस और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक की पारंपरिक चिकित्सा पर वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूनम खेत्रपाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक शिखर सम्मेलन वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ, यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक, पूरक, एकीकृत और स्वदेशी औषधियों के साक्ष्य-आधारित, न्यायसंगत और सतत एकीकरण के लिए एक दशक लंबी रूपरेखा को आकार देगा। 

शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श के एक भाग के रूप में, "अश्वगंधा: पारंपरिक ज्ञान से वैश्विक प्रभाव तक - अग्रणी वैश्विक विशेषज्ञों के दृष्टिकोण" शीर्षक से एक केंद्रित कार्यक्रम 17-19 दिसंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी द्वारा आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित यह सत्र अश्वगंधा की वैज्ञानिक समझ को मज़बूत करने के लिए प्रमुख शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों को एक साथ लाएगा। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा; पत्र सूचना कार्यालय के प्रधान महानिदेशक श्री धीरेंद्र ओझा; आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री अलरमेलमंगई डी; आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मोनालिसा दाश और आयुष मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री सत्यजीत पॉल मंत्री के साथ मंच पर उपस्थित थे।

केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य कर रहा है, और यह भारत में एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है। सीसीआरएच, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। वर्ष 1978 में स्थापित, इसका प्रमुख कार्य होम्योपैथी के वैज्ञानिक सत्यापन और वैश्विक स्वीकृति को सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान का क्रियान्वयन करना, समन्वय करना और विकसित करना है। सीसीआरएच अपने संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से कई प्रमुख विषयों पर पूरे भारत में बहु-केंद्रित अनुसंधान करता है। इनमें औषधि प्रमाणीकरण शामिल है, जिसमें दवा के लक्षणो को सिद्ध करना (स्वस्थ स्वयंसेवकों पर परीक्षण), होम्योपैथिक दवाओं का मानकीकरण और उनके चिकित्सीय प्रभावों का नैदानिक सत्यापन शामिल है। इसके अतिरिक्त, परिषद नैदानिक अनुसंधान करती है, जिसमें विभिन्न रोग स्थितियों के लिए होम्योपैथिक उपचार की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए कई यादृच्छिक नैदानिक परीक्षण शामिल हैं। ये परीक्षण पारंपरिक अवधारणाओं को आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ एकीकृत करते हैं। परिषद होम्योपैथिक सिद्धांतों के बुनियादी विज्ञान का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग करते हुए मौलिक अनुसंधान में भी संलग्न है। सीसीआरएच कई सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में भी सक्रिय योगदानकर्ता है, जैसे स्वास्थ्य रक्षण कार्यक्रम, अनुसूचित जाति उपयोजना स्वास्थ्य शिविर आदि। सीसीआरएच होम्योपैथी के लिए साक्ष्य आधारित डेटा एकत्रित करने और प्रकाशनों के माध्यम से शोध निष्कर्षों के प्रसार के लिए सक्रिय है, जिससे अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल, दोनों में होम्योपैथी की गुणवत्ता और अनुप्रयोग को मज़बूती मिलेगी।

केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (सीआरआईएच) सितंबर 2023 में अपने नए परिसर सेक्टर 02, जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ में स्थानांतरित हुआ और प्रति दिन 85 रोगियों के साथ क्रियान्वयन शुरू किया था, जिसमें तेजी से वृद्धि करते हुए आज प्रति दिन लगभग 300 रोगियों को चिकित्सा लाभ प्रदान करता है। वर्तमान में संस्थान में विभिन्न बीमारियों के अध्ययन के लिए ठोस नैदानिक अनुसंधान प्रोटोकॉल पर आधारित कई अनुसंधान परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं, जिनमें हाइपोथायरायडिज्म, प्राइमरी डिसमेनोरिया, सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी, मल्टीमॉर्बिडिटी, प्रतिकूल औषधि घटनाएँ, मॉलस्कम कॉन्टैजियोसम, माइग्रेन, औषधियों का नैदानिक सत्यापन, विटामिन-डी की कमी तथा रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त अनेक नई शोध परियोजनाएँ शीघ्र ही प्रारंभ होने वाली हैं, जिनमें क्रॉनिक अर्टिकेरिया, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज, मधुमेह, हाइपरयूरिसेमिया, विटिलिगो, वार्ट्स, शीत लहर प्रकोप, न्यूरोकॉग्निटिव विकार एवं प्रारंभिक डिमेंशिया, एलर्जिक राइनाइटिस, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एवं मेलाज़्मा शामिल हैं। संस्थान द्वारा अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संगठनों, जैसे सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर), सीएसआईआर- केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ विश्वविद्यालय, जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (सीबीएमआर) आदि के साथ साक्ष्य-आधारित सहयोगात्मक अनुसंधान अध्ययन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। संस्थान में हेमेटोलॉजी, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री एवं सिरोलॉजी से संबंधित लैब परीक्षणों की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। रोगियों के हित में एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी शीघ्र उपलब्ध होने वाली है। सभी सामान्य और आवश्यक दवाएं गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (जीएमपी) प्रमाणित दवा कंपनियों से खरीदी जाती हैं।


Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *