*कार्यकाल समाप्त होने से प्रधानों में हड़बड़ी*

*चली गई परधानी अब का करिहउ*
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*कार्यकाल समाप्त होने से प्रधानों में हड़बड़ी*
*प्रशासकों के हाथों में होगा गांव का विकास*
*पी पी एन न्यूज*
*(कमलेन्द्र सिंह)*
खागा/ फ़तेहपुर
*बताओ रमजानी अब का करिहउ, चली गई परधानी अब का करिहउ। अबधि के कवि फारूख सरल की यह रचना मौजूदा समय में बिल्कुल सटीक बैठ रही है। दरअसल ग्राम पंचायतों , क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्यों का कार्यकाल 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है। जिसके बाद प्रधानों का अधिकार समाप्त हो जाएगा। संभावना है कि इसके बाद हर गांव में एडीओ पंचायत को बतौर प्रशासक नियुुक्त होेंगे। प्रशासक की नियुक्ति के लिए पंचायत राज विभाग में प्रक्रिया भी पूर्ण हो चुकी है। गुरूवार को प्रधानों का पुरा जोर बजट खर्च करने और ज्यादा से ज्यादा कामों की फीडिंग कराने में दिखाई दिया। एक अनुमान के मुताबिक हर ग्राम पंचायत लगभग 70 से 80 प्रतिशत तक का बजट खर्च कर चुकी है। पंचायत राज विभाग के अनुसार ग्राम पंचायतों को उनकी आबादी क्षेत्रफल और अनुसूूचित जाति की जनसंख्या के हिसाब से बजट मिलता है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार छोटी आबादी वाले ग्राम पंचायतों को पांच लाख से दस लाख तक का अनुमानित बजट दिया जाता है। वहीं बड़ी ग्राम पंचायतें जिनकी आबादी पांच से दस लाख के बीच हो उनको यह रकम 50 से 70 लाख के बीच मिलती है। 14वें वित्त में बड़ी ग्राम पंचायते धनराशि जल्द खत्म करने के जुगाड़ में लगी रही लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया। 25 दिसंबर को सभी ग्राम प्रधानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। जिसके चलते विकासखंडों के ग्राम पंचायतों के खातोेें के डोंगल को बंद कर प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे*।
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