कस्टोडियन जमीन को बेचकर मालामाल हो रहे भूमाफिया

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गौतमबुद्ध नगर
Report, Vikram Pandey
कस्टोडियन जमीन को बेचकर मालामाल हो रहे भूमाफिया
- दादरी तहसील पर भूमाफियाओं के खिलाफ जमकर हंगामा
- सरकारी अफसरों की मिलीभगत का आरोप
गौतमबुद्ध नगर जिले में (वर्ष-1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान बसने वालों की जमीन को कस्टोडियन कहा जाता है। इसलिए कि निष्क्रांत या शत्रु संपत्ति होने के कारण उस पर भारत सरकार का कब्जा होता है) को सरकारी अफसरों की मिलीभगत से खरीद-फरोख्त के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है।
एक पीड़ित की फरियाद कई वर्षों से दादरी तहसीलदार, यहां तक की डीएम दफ्तर में कर रहा है, लेकिन उसकी आवाज नक्कारखाने में तूती ही साबित हुई। अब हंगामे के बाद अफसर दस्तावेजों में जमीन के खरीदारों के नाम काटकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
गौतमबुद्ध नगर जिले में पुलिस और प्रशासन ने कस्टोडियन भूमि के बाबत भूमाफिया के खिलाफ अभियान चला रहा है। बावजूद इसके कुछ ऐसे भी माफिया अब भी ग्रामसभा ही नहीं, देश की धरोहर कस्टोडियन संपत्ति को भी बेचकर मालामाल हो रहे हैं। दिलचस्प है कि एक ही जमीन की कई बार बिक्री होने के बावजूद अफसरों ने गौर नहीं किया।
यह भी गौर करने वाली बात है कि कस्टोडियन की जमीन को बेचने वाले लोग हर बार नए लोग होते हैं। जबकि जमीन का असली मालिक 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान जा चुका है। आरोप है कि इस पूरे खेल में राजस्व अधिकारियों की भी मिलीभगत है। जारचा क्षेत्र में ऐसे ही तीन लोगों ने डीएम से शिकायत की है, जिन्होंने कस्टोडिसन जमीन बेचने का आरोप लगाया है।
दादरी तहसील क्षेत्र में कस्टोडियन संपत्ति बेचने की जानकारी होने के बाद दो लोगों ने डीएम सुहास एलवाई शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि नूरपुर गांव के खाता संख्या 129 के खसरा नंबर 472 की 6 बीघा जमीन को जाहिद हुसैन उर्फ बुद्घन बनकर एक फर्जी व्यक्ति ने बोडाकी गांव के रहने वाले यशपाल भाटी को बेच दी। इसके अलावा छोटे नाम के व्यक्ति को भी इसी कस्टोडियन की जमीन बेची गई है।
तीसरे पीड़ित समीर पुत्र रफीक अहमद को भी कस्टोडियन की जमीन बेचकर रुपये हड़प लिए गए। इन्होंने जब अपने नाम की फर्द निकलवाई तो देखा कि उनका नाम खारिज करके कस्टोडियन लिखा गया है। इसके बाद लोगों ने शिकायत की है।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जारचा क्षेत्र में एक भूमाफिया है, जो पांच साल पहले अपनी जमीन को भी बेच चुका है, लेकिन उसने कस्टोडियन की जमीन को बेचकर करोड़ों की संपत्ति बना ली है। यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारी उसके घर हाजिरी लगाते हैं।
वह हर बार बाहर से लोगों को लाता है और उनके नाम की आईडी बनवाकर जमीन को बेच देता है। बताया जाता है कि राजस्व अधिकारियों को जब जानकारी हुई कि कस्टोडियन जमीन पर विवाद होने लगा है तो उन्होंने दस्तावेजों में के्रताओं का नाम खारिज कर फिर से कस्टोडियन दर्ज कर दिया। लेकिन, अभी इस बात के जवाब का इंतजार है कि कस्टोडियन जमीन के खाते में किसी और व्यक्ति का नाम दर्ज कैसे हो गया।
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