सैफई विश्वविद्यालय में आज से शुरू हुआ प्रभात युग, कुलपति पद का प्रभार किया ग्रहण

सैफई विश्वविद्यालय में आज से शुरू हुआ प्रभात युग, कुलपति पद का प्रभार किया ग्रहण

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etawah 

सैफई विश्वविद्यालय में आज से शुरू हुआ प्रभात युग, कुलपति पद का प्रभार किया ग्रहण


पिछले कई महीनों से चला आ रहा प्रभारी कुलपति के रूप में रमाकान्त राज्य आज कई विवादित और भ्रस्टाचारी कदमो के साथ समाप्त हो गया और आज विश्वविद्यालय की गगनचुंबी इमारतों के बीच प्रभात किरणों ने आज अपनी छठा बिखेर कर लालामी सूरज के बीच एक स्पष्ट संदेश दे दिया कि भ्रस्टाचारियों अब सुधार जाना यह अल्ट्रावायलेट किरण आने वाले दिनों में किसी पर भी गाज बन गिर सकती है।आज नये कुलपति डॉक्टर प्रभात कुमार ने सैफई विश्वविद्यालय में अपना पदभार विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति के रूप में ग्रहण कर लिया।


नये कुलपति के सामने ढेरो चुनीतियों का भंडार
मुलायम सिंह के गरीब मरीजो के इलाज का सपनों का महल पिछले कई वर्षों से बदहाली के रूप में जी रहा था कुर्सी पर बैठने वाला हर शासक विश्वविद्यालय को महमूद गजनबी का रूप धारण कर लूटने में मस्त था गरीब दवा पाने को पस्त था तो करोड़ो रुपयों से खरीदी मशीनें भ्रस्टाचार भरी धूल से जंग खाकर कोने में पड़ी अपने नये आका के इंतजार में रो रही,लेकिन प्रशासक नोटो से  बोरे भरने में मस्त है।अब शायद इन पर प्रभात की अल्ट्रावायलेट किरणें ही कुछ असर डाल पाये।


पेशेंट किचिन के दोषियों पर शायद अब गिरे गाज
पिछले 15 सालों से विश्वविद्यालय में अनियमित रूप से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पिता की चल रही फर्म एस सी अग्रवाल  को संरक्षण देने के आरोप में अभी हाल ही में शासन ने 14 अधिकारियों को घोर वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया गया था जिसमे कुलसचिव, वित्त नियंत्रक समेत 14 लोगो पर कार्यवाही के आदेश दिये गये थे लेकिन अबतक के प्रभारी के रूप में 8 माह रहे सबसे कमजोर कुलपति डॉक्टर रमाकान्त यादव ने 10 दोषियों में से केवल एमएस डॉक्टर आदेश कुमार पर ही अपने हाथ आजमा पाये और अपने खास एस पी सिंह को बिना चार्ज के एमएस बनाने में सफल हो पाए लेकिन 09 लोगो पर कार्यवाही के लिए अपने हाथ गंदे नही कर पाये।।नये कुलपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन सभी दोषियों पर कार्यवाही करने की होगी जो आज चार्ज ग्रहण करते वक्त अपने अपवित्र हाथो से बुके भेंट कर यस सर यस सर जी सर जी सर करने में मस्त थे।


रमाकान्त राज्य लोगो की उम्मीदों पर नही उतर पाया खरा
9 मई को जब शासन से पूर्व कुलपति डॉक्टर राजकुमार को हटाने का पत्र आया और प्रो वीसी रमाकान्त यादव को प्रभारी कुलपति के रूप में चार्ज सौंपा तो लोगो ने कल्पना की शायद अब विश्वविद्यालय में लोकल अधिकारी होने के नाते कुछ सुधार देखने को मिले,लेकिन यह सब अकल्पनीय तब हो गया जब राजकुमार राज्य में वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित किये लोगो को रमाकान्त यादव बहाली देते रहे,दवा के लिये टोटे पड़े रहे एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीनें खराब पड़ी रही और निर्माण निगम को  करोड़ो के भुगतान होते रहे,कुलपति को सुबह शाम योगा सिखा रहे डॉक्टर सुनील श्रीवास्तव वित्तिय अनियमितता में निलंबित होकर भी योगा की फीस के रूप में पूर्ण रूप से बहाली पा गये,और राजकुमार राज्य में वित्तीय अनियमितता औऱ अनुशासन हीनता में डीन पद से हटाये गये प्रोफेसर पी के जैन भी रमाकान्त राज्य में दोवारा से नियमविरुद्ध तरीके से डीन पद पा गये।यही था रमाकान्त राज्य।


प्राइवेट प्रैक्टिस खत्म करना बड़ी चुनौती
सैफई विश्वविद्यालय में कार्य कर रहे डॉक्टर और कर्मचारी विश्वविद्यालय में मरीजो को समय न देकर इटावा और उसके आस पास के क्षेत्रों में आलू टमाटर के भाव खुल चुके अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस करने में जी जान से जुटे है कई कर्मचारियों ने अपने अस्पताल तक खोल रखे है,हजारो रुपये सरकार से एन पी ए भत्ता लेने के बाद भी डॉक्टर शहर में अस्पतालों में प्राइवेट मरीजो को देखने मे जरा भी गुरेज नही करते,प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने को कई समिति बनी लेकिन सब कागजो में दफन हो गयी,नये कुलपति को सबसे पहले इन प्रेक्टिसो पर रोक लगाने को आगे आना पड़ेगा।


विश्वविद्यालय में भरी पड़ी है घोटालों की फेहरिस्त
सैफई विश्वविद्यालय घोटालों की जननी का अड्डा बन चुका है जिस फाइल में देखो घोटाला ही घोटाला ,अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुलायम सिंह के सपनो में ऐसी सेंध लगाई कि साइकिल से चलने वाले बाबू आज 20 लाख की गाड़ियों की सवारी करने में मस्त है गरीब मरीज पस्त है,अधिकारी डॉक्टर ऐसे जो आज लखनऊ में बड़े बड़े होटल पेट्रोल पम्प के मालिक है और कुछ तो नोएडा जैसे पॉश इलाको में मल्टीफ्लेक्स हॉस्पिटल बनबाने में मस्त है,लगाम लगाने वाला कोई पैदा नही। विश्वविद्यालय में करोड़ो की बर्तन खरीद मामला हो,लाइब्रेरी में किताबो की खरीद घोटाला हो,सीपीनेट 2021 घोटाला हो,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के संरक्षण में चल रही उनके पिता की 15 साल से किचिन का मामला हो,करोड़ो के पेसमेकर खरीद घोटाला हो ऐसे ना जाने कितने घोटाले है जो कही न कही नये कुलपति के सामने उनपर कार्यवाही करने  की चुनौती बने रहेंगे।
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