एक दंपति पदयात्रा कर पहुंचा कौशाम्बी

एक दंपति पदयात्रा कर पहुंचा कौशाम्बी

PPN NEWS

रिपोर्ट - दिनेश कुमार (जिला संवाददाता)

एक दंपति पदयात्रा कर पहुंचा कौशाम्बी

कौशाम्बी। जल जमीन और स्वच्छ पर्यावरण मानवता के लिए जरूरी है और समस्त प्रथ्वी पर सभी जीवो के लिए जीवन का आधार है लेकिन नव सभ्यता में अधुनिकीकरण के इस दौर में नए प्रयोगी के नवाचारों से पर्यावरण को क्षति पहुंची है। ऐसे में मानवता को बचाने के लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मुहिम चलाकर इन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए जिससे जल जमीन और वन हम अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें। पश्चिम बंगाल दुर्गापुर जिले से निकले दंपत्ति शुभो चक्रवर्ती और पत्नी रोमा चक्रवर्ती आज कौशांबी जिले में पहुंचा। इस दौरान इन्होंने अपने उद्देश्य को बताते हुए कहा कि वह अपने इस उद्देश का एक मांग पत्र देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पहुंचाना चाहते हैं। 


इस मौके पर चक्रवर्ती दंपत्ति ने बताया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य जल गंगा जमीन और जंगल पर्यावरण और अपनी आजीविका संस्कृत की अस्तित्व बचाने के लिए वह दोनों पद यात्रा पर हैं। उन्होंने बताया कि वाराणसी और प्रयागराज में गंगा नदी कुछ हद तक ठीक है। लेकिन इसके बाद गंगा नदी का प्रदूषण बढ़ जाता है और पश्चिम बंगाल पहुंचते-पहुंचते यह काफी प्रदूषित हो जाती है इसके साथ उन्होंने वृक्षों की लगातार कटाई पर चिंता जताते हुए कहा कि यह सब ठीक नहीं है इससे मानवता सहित सारे जीव को खतरा है। उन्हें बताया कि वह झारखंड बिहार होते हुए उत्तर प्रदेश में पहुंचे हैं जहां उन्होंने स्थानीय लोगों की मदद से विश्राम किया है उन्हें अभी तक हर जगह आतिथ्य मिला है। कहीं पर उन्हें होटल या सराय में नहीं ठहरना पड़ा जो दिखाता है कि इस ओर अभी हमारे देश के लोगों में काफी जागरूकता है। इस दौरान उन्होंने सड़कों के बनने के साथ ही इनके किनारे पर बने हुए पेड़ों के काटे जाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इतनी दूर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। सड़क के किनारे जहां पहले भारी संख्या में छायादार होते थे। वहां अब यह वृक्ष गायब दिख रहे हैं जो चिंता का विषय है। उन्होंने इस ओर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और सरकारों का ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने कहा कि यह सभी विषयों को लेकर अपना मांग प्रदेश के महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपेंगे।

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