अव्यवस्था का शिकार आयुर्वेदिक यूनानी एवं होम्योपैथी चिकित्सालय

अव्यवस्था का शिकार आयुर्वेदिक यूनानी एवं होम्योपैथी चिकित्सालय

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

कौशाम्बी। नवम्बर 05, 2020

अव्यवस्था का शिकार आयुर्वेदिक यूनानी एवं होम्योपैथी चिकित्सालय

24 बेड के अस्पताल में एक भी मरीज भर्ती नहीं किए जाते जिससे अस्पतालों की चौपट व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है

कौशाम्बी। विभिन्न मर्ज से ग्रसित मरीजों को सस्ता और सुलभ इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में आयुर्वेदिक यूनानी और होम्योपैथी अस्पताल भी सरकार ने खोले हैं लेकिन आयुर्वेदिक यूनानी और होम्योपैथी अस्पताल पूरी तरह से बेकार साबित हो रहे हैं अभिलेखों में अस्पताल संचालित कर अस्पतालों के जिम्मेदार सरकारी दवाइयां भी बेच देते हैं मरीजों को इलाज देने की बात तो करना इन अस्पतालों के चिकित्सकों के लिए बेईमानी ही होगी आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिए दो दर्जन बेड भी लगाए गए हैं 24 बेड के इस अस्पताल में एक भी मरीज भर्ती नहीं किए जाते हैं जिससे इन अस्पतालों की चौपट व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है

जिले में मंझनपुर पश्चिम सरीरा कड़ा तिल्हापुर कौशांबी में आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित कर सरकार जनता को सस्ता और सुलभ इलाज उपलब्ध कराना चाहती है मंझनपुर के भेलखा का अस्पताल 24 बेड का अस्पताल है सरकार का मानना है कि आयुर्वेद और योग से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आयुर्वेदिक अस्पताल के जरिए आम जनता के योग की शिक्षा दी जाती है इसके लिए प्रशिक्षक भी नियुक्त किए गए हैं जिन्हें मोटा वेतन प्रत्येक महीना दिया जा रहा है लेकिन जिले के मंझनपुर पश्चिम सरीरा तिल्हापुर कड़ा कौशांबी के आयुर्वेदिक अस्पताल दुर्दशा के शिकार हैं किसी भी अस्पताल में इलाज के समय चिकित्सक उपस्थित नहीं मिलते हैं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीजों को कामचलाऊ दवाई देकर सरकाया जाता है जिससे मरीजों का आयुर्वेदिक अस्पताल की ओर से भरोसा उठ रहा है इस कोरोनावायरस की महामारी में सरकार भी कहती है कि आयुर्वेदिक पद्धति और योग से कोरोनावायरस की महामारी से बचा जा सकता है लेकिन जब आयुर्वेदिक अस्पताल में चिकित्सक ही नहीं है तो कैसे आयुर्वेदिक पद्धति से ग्रामीण अपना इलाज कराएंगे 

मंझनपुर मुख्यालय से दो किलोमीटर दूर भेलखा ग्राम सभा में करोड़ों रुपए की लागत से 24 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल का भवन एक दशक पूर्व सरकार ने बनाया था लेकिन अस्पताल की हालत यह है कि यहां भी चिकित्सक नहीं मिलते हैं इस अस्पताल में डॉक्टर संजय चौधरी की तैनाती है लेकिन वह भी नहीं मिलते हैं चीफ फार्मासिस्ट राम चरण यहां मरीजों को इलाज के लिए उपलब्ध रहते हैं अस्पताल में चंद्र भूषण सिंह फार्मासिस्ट का वेतन तो लेते हैं लेकिन दूसरे जगह अटैच होकर यहां कभी ड्यूटी देने नहीं आते हैं इस अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर रुकमणी देवी वर्षों से वेतन उठा रही हैं लेकिन इस अस्पताल में एक भी दिन उनकी ड्यूटी नहीं होती है उन्होंने अपना अटैचमेंट प्रयागराज जिले के युनानी मेडिकल कॉलेज में करा रखा है जिससे कौशांबी से उनका वेतन देना ही बेकार साबित हो रहा है अन्य कर्मियों में हरि ओम पृथ्वीपाल मौजूद थे लेकिन पितांबर लाल को डूडा में अटैच कर दिया गया है जो एक सप्ताह से वापस लौट आए हैं वही चंदा देवी स्वच्छिका भी मौजूद नहीं थी हरिश्चंद्र योग प्रशिक्षक और कामता प्रसाद योग सहायक को प्रशिक्षक के पद पर नियुक्ति देकर वेतन तो दिया जा रहा है लेकिन इस अस्पताल में कभी योग प्रशिक्षक की क्लास नहीं चली है योग प्रशिक्षकों को घर बैठे कर सरकारी खजाने से प्रत्येक महीने वेतन दिया जा रहा है कभी-कभी औपचारिकता निभाने घंटे दो घंटे को योग प्रशिक्षक अस्पताल आते हैं आखिर इन काम चोर चिकित्सकों उनके कर्मियों और योग प्रशिक्षकों को करोड़ों रुपए साल वेतन दिए जाने के बाद दुर्दशा ग्रस्त अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के प्रति विभागीय अधिकारी उदासीन क्यों है यह एक बड़ी जांच का विषय है अस्पताल से वापस आने के बाद दोपहर 12:00 बजे के बाद फार्मासिस्ट ने फोन पर बताया है कि डॉक्टर साहब अस्पताल आ चुके हैं वहीं राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पताल के डी ओ से चौपट व्यवस्था पर बात करने का प्रयास किया गया है लेकिन उनसे भी बात नहीं हो सकी है

दिखावा साबित हो रहे हैं होम्योपैथी अस्पताल

कौशाम्बी। जिले में मंझनपुर के आजाद नगर शोभना पिपरी शाहपुर शमसाबाद अझुवा दारानगर में सात होम्योपैथी अस्पताल संचालित हो रहे हैं लेकिन इन अस्पतालों की स्थिति यह है कि अस्पताल से चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी गायब रहते हैं दो तिहाई अस्पताल तो महीनो बीत जाने के बाद भी नहीं खुले हैं जिले में होम्योपैथी अस्पतालों की संख्या समदा ओसा शहरी ग्रामीण पूरा मुफ़्ती सराय अकिल भरवारी करारी पश्चिम शरीरा सिराथू आदि स्थानों में अस्पतालों की संख्या और बढ़ाने के लिए बिभाग ने शासन को प्रस्ताव भी भेज रखा है लेकिन जो अस्पताल जिले में पहले से खुले हुए हैं उनकी व्यवस्था सुधारे जाने की ओर विभागीय जिम्मेदार प्रयासरत नहीं है जिससे होम्योपैथी अस्पताल का लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है 

यूनानी अस्पताल भी है दुर्दशा के शिकार

कौशाम्बी जिले में चार यूनानी चिकित्सालय संचालित हो रहे है चायल मोहब्बत पुर पैंसा सेवढा और करारी में यूनानी अस्पताल संचालित हो रहे हैं लेकिन इन अस्पतालों की भी दुर्दशा देखने लायक है चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन तो प्रत्येक महीने मिल जाता है लेकिन ड्यूटी चार घंटे भी महीने में यहां चिकित्सक नही देते हैं इस बात को देखने के लिए विभाग के जिम्मेदार उदासीन है चिकित्सकों की उदासीनता के चलते यूनानी अस्पताल भी दुर्दशा ग्रस्त हैं जो कर्मचारी तैनात भी है पर काम नहीं करना चाहते हैं और उसके बाद भी स्टाफ की कमी का रोना रोकर आला अधिकारियों को गुमराह कर मौज कर रहे हैं जिन चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन दिया जा रहा है उनकी लगाम टाइट कर उन्हें पूरी ड्यूटी करने के लिए जिम्मेदारों को बाध्य करना होगा तभी इन चौपट अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार हो सकता है।

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