उत्तर मध्य रेलवे अपने 16 एलएचबी रेकों में "हेड आन जनरेशन (HOG)" का उपयोग कर सालाना 75000 लीटर एचएसडी (HSD) की बचत कर रहा है
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- टेक्नोलॉजी
- Updated: 18 July, 2020 17:57
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Prakash Prabhaw News
उत्तर मध्य रेलवे अपने 16 एलएचबी रेकों में "हेड आन जनरेशन (HOG)" का उपयोग कर सालाना 75000 लीटर एचएसडी (HSD) की बचत कर रहा है
पारंपरिक रूप से एलएचबी कोच वाली ट्रेनों में लाइट, पंखे, एयर कंडीशनिंग और अन्य ऑन-बोर्ड उपकरणों आदि के लिए बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रेक के दोनों छोर पर दो जनरेटर कारें लगी होती हैं।
हालांकि, ये एचएसडी आधारित डीजी सेट डीज़ल ख़पत के साथ काफ़ी जगह भी लेते हैं। इसका संचालन पर्यावरण के अनुकूल नहीं है और ये प्लेटफार्म पर अत्यधिक ध्वनि भी उत्पन्न करता है।
एलएचबी डिज़ाइन वाले कोचों की इसका समाधान करने के लिए, लोकोमोटिव के माध्यम से कोचों को बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है, जिसे "हेड ऑन जेनरेशन" (HOG) कहा जाता है। इस व्यवस्था के तहत 25000 वोल्ट ओवरहेड वायर (OHE) से ट्रैक्शन एनर्जी के एक हिस्से को LHB कोच की बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ट्रांसफार्मर और कन्वर्टर के माध्यम से 750 वोल्ट में परिवर्तित किया जाता है।
प्रत्येक कोच को जोड़ने वाले पावर कपलर लोकोमोटिव से भी जुड़े होते हैं और लोकोमोटिव बिना जनरेटर चलाये कोच के पंखे, लाइट, एसी और अन्य ऑन-बोर्ड उपकरण को चलाने के लिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
ऑन-बोर्ड डीजी सेट की आवश्यकता कम होने से, पावर कार सह गार्ड वैन में रिक्त स्थान का उपयोग दिव्यान्ग व्यक्ति के लिए सुविधाएँ प्रदान करने और पार्सल के लिए अतिरिक्त स्थान के रूप में किया जा सकता है। इस प्रकार के कोच रेलवे कोच फैक्ट्रियों में पहले से ही निर्माणाधीन हैं और बहुत जल्द ही सेवा में आने की उम्मीद है।
उत्तर मध्य रेलवे HOG तकनीक के उपयोग में अग्रणी रेलवे है और कुल 17 प्राथमिक LHB रेकों में से 16 HOG के अनुरूप हैं और इन रेकों में डीजी सेटों के कम प्रयोग से सालाना 75000 लीटर डीजल की बचत हो रही है। इसी प्रकार से , उत्तर मध्य रेलवे की HOG रेकों वाली विभिन्न प्रारम्भिक ट्रेनो जैसे प्रयागराज, श्रमशक्ति, हमसफ़र, शताब्दी, चंबल, आदि को चलाने हेतु उत्तर मध्य रेलवे के 41 इंजनों में HOG कनवर्टर लगाया जा चुका है।
लोकोमोटिव से एचओजी रेक में बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था में, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रेक और लोकोमोटिव की एचओजी प्रणाली पूरी तरह से सक्रिय और दोषमुक्त हो, जिससे किसी भी प्रकार के डिटेन्शन और यात्रियों को असुविधा से बचाया जा सके। चूंकि लोकोमोटिव और कोचिंग रेकों का मेनटेनेंस अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है, इसलिए एचओजी सिस्टम का संयुक्त परीक्षण तभी संभव है जब लोकोमोटिव और रेकों कों एक साथ जोड़ा जाए और किसी भी ख़राबी की स्थिति में ट्रेन विलंबित होने की सम्भावना रहती है।
इस कमी को दूर करने के लिए इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड कानपुर द्वारा एक अभिनव समाधान खोजा गया जिसमे HOG सर्किट में "टेस्ट स्विच" का प्रावधान किया गया है|
इस "टेस्ट स्विच" के प्रयोग से लोकोमोटिव के HOG कनवर्टर के परीक्षण के लिए उसे रेक से जुड़े रहने की आवश्यकता नही होती है। इस नवीन व्यवस्था के माध्यम से अब लोकोमोटिव की एचओजी(HOG) प्रणाली का स्वतंत्र रूप से परीक्षण किया जा सकता है और इस प्रकार किसी भी संभावित दोष को समय रहते सुधारा जा सकता है।
उत्तर मध्य रेलवे के मेनटेनेंस इंजीनियरों द्वारा किया गया यह नवाचार, रेलवे बोर्ड द्वारा 2645 प्रविष्टियों में से चुने गए 20 प्रतिष्ठित “अच्छे काम” की सूची का हिस्सा है। व्यापक कार्यान्वयन के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा पहचाने गए कुल 20 "अच्छे कार्यों" में 08 मदों के साथ उत्तर मध्य रेलवे सभी जोनल रेलवे में अग्रणी रेलवे है।
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