सिपाही की मौत बनी पहेली, जांच के दौरान प्रभारी निरीक्षक की लापरवाही पर उन्हें किया गया निलंबित

प्रतापगढ़
29. 09. 2020
रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी
सिपाही की मौत बनी पहेली , जांच के दौरान प्रभारी निरीक्षक की लापरवाही पर उन्हें किया गया गया निलंबित
विगत 25 सितम्बर को प्रतापगढ़ जनपद के लालगंज कोतवाली के सिपाही की बैरक में तीसरी मंजिल पर संदिग्ध परिस्थितियों में सीढ़ी पर लाश मिली थी। सिपाही की लाश तकरीबन छह घण्टे तक सीढ़ी पर पर पडी रही, लेकिन नहीं गयी किसी पुलिस वाले की नजर। मृतक आशुतोष यादव की 16 फरवरी 2019 को लालगंज कोतवाली में तैनाती हुई थी। कुछ दिनों पहले ही वह अपने घर से वापस लालगंज कोतवाली लौटा था।
संदिग्ध मौत से पहले वह हर दिन की तरह अपना काम करता है। ड्यूटी पर तैनात होने के बाद वह ए के 47 के साथ लापता हो जाता है। छह घण्टे बाद एक सिपाही उसे खोजते हुये बैरक के तीसरी मंजिल पर जाता है। उसे वहाँ पर मृतक आशुतोष यादव के शव को देखकर हैरान हो जाता है। इसकी सूचना पुलिस के आलाधिकारियों को दी जाती है। मौके पर एसपी अनुराग आर्य भी पहुँच जाते हैं। कुछ सवाल अभी भी अनसुलझे हैं कि तकरीबन छह घण्टे तक सिपाही गायब रहा किसी पुलिसकर्मी को इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई?
अगर जानकारी थी तो खोजा क्यों नहीं गया। अगर उसने ए के 47 से अपने आपको गोली मारी, तो गोली की आवाज बैरक मे रहने वाले अन्य लोगों को क्यों नहीं सुनाई पडी ।ए के 47 से गोली चलने की आवाज बहुत तेज होती है, किसी को गोली चलने की आवाज कैसे सुनाई नहीं पडी।
सूत्रों की माने तो संदिग्ध मौत होने से पहले मृतक सिपाही की थाने में तैनात एक सिपाही से कहासुनी भी हुई थी। अगर कहासुनी हुई थी तो वह काल डिटेल में जांच के दौरान मिल जायेगा। इस मामले मे अब एसपी द्वारा लालगंज प्रभारी निरीक्षक राकेश भारती को आईजी के आदेश पर निलम्बित कर दिया गया है।
दरअसल जांच के दौरान यह पाया गया कि प्रभारी निरीक्षक राकेश भारती ने मृतक सिपाही को खोजने का प्रयास नहीं किया। साथ में हमराही होने के बावजूद उसकी मानसिक स्थित को कैसे समझ नहीं पाये, इसलिये इन्हें निलम्बित कर दिया गया। अब देखना यह है कि इस संदिग्ध मौत के राज का पर्दाफाश कब होता है?
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