कोरोना काल: खौफ और दहशत के बीच खाकी बनी मददगार

प्रकाश प्रभाव न्यूज़
रिपोर्ट- नीलेश चतुर्वेदी
पीलीभीत। कोरोना काल में जब लोग खौफ और दहशत के साय में जी रहे थे। तब खाकी ने उनकी हिम्मत बढ़ाई। भूखों को खाना खिलाया। चौबीस घंटे सड़कों पर मुस्तैद रही। अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाया। घरों में कैद लोगों को खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराया। हालांकि लोगों की सहूलियत के लिए पुलिस ने इन दिनों सख्ती भी दिखाई। बेवजह घरों से निकले लोगों को पुलिसिया अंदाज में सबक सिखाया। कहीं, लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट कर जागरूक किया तो कहीं लापरवाह लोगों को उठक-बैठक लगवाकर गलती का अहसास कराया। कोरोना काल में पुलिस की भूमिका की हर किसी ने तारीफ की।
पिछले साल 25 मार्च से लगे लॉकडाउन में जिले की पुलिस की भूमिका मददगार के रूप में बदल गई थी। लॉकडाउन लगा तो बाजार बंद और सड़कें सुनसान हो गईं। कहीं कोई कोरोना पॉजिटिव निकल जाता तो आसपास के लोग सहम जाते थे। संक्रमण क्षेत्रों में बेरिकेड लगने से लोग घरों में कैद हो गए थे। ऐसे हालात में पुलिस मददगार बनकर सामने आई। जहां भी कोई कोरोना पॉजिटिव मिला, पुलिस ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचवाया। पुलिस कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 24 घंटे मदद की। जरूरतमंदों के घर राशन पहुंचाया। लॉकडाउन के दौरान राहगीरों को फल वितरित किए, भूखों को खाना खिलवाया।
सुरक्षा के लिए अपनाया कड़ा रुख।
कोरोना से लोगों को बचाने के लिए पुलिस ने कड़ा रुख भी अपनाया। सड़कों पर बेवजह घूमने वालों पर लाठियां भी फटकारीं। उन्हें घरों में कैद रहने के लिए मजबूर किया। चेकिंग अभियान चलाकर वाहनों से घूमने वालों के चालान काटे। जो भी वाहन सामने आया पुलिस ने उसे रोक दिया। घर के बाहर घुमने का कोई ठोस जवाब नहीं देने पर ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की। लोगों में पुलिस का खौफ साफ नजर आया। जहां पुलिस तैनात रही उन रास्तों से बचकर लोग निकलते रहे। गली-कूचों तक में पुलिस की गाड़ियां दौड़ती दिखाईं दी। दिन में ही नहीं रात में भी पुलिस की गाड़ियों के नेतृत्व में पुलिस बल हर परिस्थिति के लिए तैयार था। कई जगह पुलिस को लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान पुलिस साजो सामान से लैस रही। इतना ही नहीं पुलिस ने जरूरतमंद लोगों को उनके घरों तक दवाई भिजवाई। अब फिर पुलिस बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चला रही है।
कोरोना काल में जनता को सुरक्षित रखना टारगेट था। इसके लिए हमने लोगों को समझाया। जुर्माने भी काटे और मुकदमें भी लिखे गए। लेकिन इसका उद्देश्य जनता घरों में सुरक्षित रखना था। खुद को और अपने सहयोगियों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती रही। हर समय खौफ और दहशत बनी रहती थी।
अतर सिंह, प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली
लॉकडाउन के दौरान अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं रही। तमाम संक्रमित क्षेत्रों में पहुंचकर बैरिकेडिंग कराई। जरूरतमंदों को खाना, राशन और दवाईयां उपलब्ध कराईं। बैंक और राशन की दुकानों के बाहर लगी भीड़ को समझाना किसी चुनौती से कम नहीं होता था। लेकिन, मास्क लगाने और सामाजिक दूरी का पालन कराने के लिए सख्ती भी दिखानी पड़ी।
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