आम की फसल को गुजिया एवं मिज कीट से बचाये--जिला उद्यान अधिकारी

आम की फसल को गुजिया एवं मिज कीट से बचाये--जिला उद्यान अधिकारी

प्रतापगढ


22.11.2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



आम की फसल को गुजिया एवं मिज कीट से बचायें-जिला उद्यान अधिकारी



जिला उद्यान अधिकारी ने जनपद के बागवानों को अवगत कराया है कि जनपद में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाये। माह नवम्बर एवं दिसम्बर अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इस माह में गुजिया एवं मिज कीट का प्रकोप प्रारम्भ होता है जिससे फसल को काफी क्षति पहुॅचती है। उन्होने बताया है कि गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते है और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुॅचाते है। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी0 लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा व्यस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते है। इस कीट के नियंत्रण के लिये बागों की गहरी जुताई/गुड़ाई की जाय तथा शिशु कीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिये माह नवम्बर-दिसम्बर में आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी0 की ऊचाई पर 400 गेज की पालीथीन शीट की 50 सेमी0 चौड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पॉलीथीन शीट के ऊपर व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिये, जिससे कीट पेड़ों के ऊपर न चढ़ सके। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिये दिसम्बर के अन्तिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरपाइरीफॉस (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों ओर बुरकाव करना चाहिये। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते है तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफॉस 36 ई0सी0 1.0 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 2.0 मिली0 दवा को प्रति ली0 पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें। इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों, तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुॅचाती है इस कीट के नियंत्रण के लिये यह आवश्यक है बागों की जुताई/गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिये इसके लिये फनिट्रोथियान 50 ई0सी0 1.0 मिली0 अथवा डायजिनान 20 ई0सी0 2.0 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 1.5 मिली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

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