"चलो मिलके दीपक जलाएं अमन का"
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 12 September, 2021 18:19
- 609

प्रतापगढ
12.09.2021
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
"चलो मिलके दीपक जलाए अमन का"
प्रतापगढ़ जनपद के ग्रामीण क्षेत्र में महाकवि 'छविश्याम' द्वारा स्थापित साहित्यिक संस्था स्वतंत्र कवि मंडल सांगीपुर की मासिक गोष्ठी सांगीपुर बाजार के निकट ग्राम उसमानपुर में युवा रचनाकार रामजी मौर्य 'आसमां' के संयोजकत्व में हर्षोल्लासपूर्वक संपन्न हुई।गोष्ठी की अध्यक्षता मंडल के अध्यक्ष अर्जुन सिंह एवं संचालन महामंत्री डॉ अजित शुक्ल ने किया।कु० खुशी मौर्या एवं आदर्श मौर्य ने संगीत के माध्यम से सभी का स्वागत किया।मंडल के विशिष्ठ पदाधिकारियों ने सर्वप्रथम मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण, टीकाकरण, दीप प्रज्वलन एवं पूजन अर्चन किया।युवा साहित्यकार रघुनाथ प्रसाद यादव द्वारा प्रस्तुत मां वीणापाणि की वंदना के साथ शुरू हुई गोष्ठी में रचनाकारों ने विविध रचनाएं प्रस्तुत कर बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर इसी स्थल पर पिछले 9 वर्ष पूर्व संपन्न हुए विशाल कविसम्मेलन की याद दिला दिया।सुयोगबस मंडल के प्रेस प्रवक्ता परशुराम उपाध्याय 'सुमन' के जन्मदिन पर आयोजित इस साहित्यिक गोष्ठी में मंडल द्वारा मालाओं से विभूषित करते हुए अंगवस्त्रम, डायरी और कलम भेंटकर उनका सारस्वत सम्मान करते हुए उनके स्वस्थ और दीर्घायु होने की मंगलकामनाएं व बधाईयां दी गईं ।काव्य पाठ की शुरुआत करते हुए मंडल के वरिष्ठ कवि गुरु वचन सिंह बाघ ने _कोई गांधी बन आएगा फिर, कोई गोलियां दनादन चलाएगा,
ऐसे में इतिहास बन जाएगा। आदि गीत की पंक्तियां पढ़कर साहित्यिक माहौल बनाने का प्रयास किया। तो कृष्ण नारायण लाल श्रीवास्तव ने पढ़ा_ धरती को स्वर्ग बनाएंगे, हम ही इतिहास बनाएंगे। सबके जीवन की रक्षाहित, आत्मोत्सर्ग हो जाएंगे।जहां युवा रचनाकार रघुनाथ प्रसाद यादव ने _चलो मिलके दीपक जलाएं अमन काम बनें सरजमीं रूप जैसे गगन का।जैसी गीत की पंक्तियां पढ़कर वाहवाही लूटी।वहीं नवोदित गीतकार गीतेश यादव 'जन्नत' ने_हिंदी से पहचान है हिंदी से उत्थान।गागर में सागर भरे करें सदा सम्मान ।आदि पंक्तियों की रचना पढ़कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।जहां चर्चित गीतकार नरेंद्र मिश्र निराश ने पढ़ा_
जो देखता हूं शराब साकी,तो करती लप लप जुबान मेरी।
अभी बुढ़ापा न देख मेरा,अभी तो हसरत जवान मेरी।गोष्ठी में पहली बार उपस्थित नागेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने पढ़ा_न किरन करुणा की विखेरो,रवि प्रेम रश्मि निधान हो।सद्भावना हो प्राणियों में,विश्व का कल्याण हो।
तरन्नुम के शायर अब्दुल मजीद रहबर ने समस्या पूर्ति की रचना यूं पढ़ा_इतिहास का इतिहास पढ़के देखो,
इतिहास बन जाएगा।
किसी गैर के भी खास बनके देखो,
इतिहास बन जाएगा।वहीं, सम्मानित हुए परशुराम उपाध्याय सुमन ने समस्यापूर्ति पर छंद की पंक्तियां यूं पढ़ा_मंदिर बनाने में तनिक भूमिका भी होगी,
कहते सुमन इतिहास बन जाएगा।युवा रचनाकार रविकांत मिश्र जीवन की सफलता के बिंदुओं को छूते हुए यू पढ़ा कि_
जीवन को समझ आइने की तरह,
सामने आए तो सूरत नजर आएगी।मंडल के नए सदस्य धर्मेश कुमार मौर्य धर्मेश ने पढ़ा_
जीवन में सफलता उसे मिले,
जो त्याग करे फल पाएगा।
मानव मानवताहीन हुआ तो,
सदा सदा पछताएगा।जहां मंडल के कोषाध्यक्ष यज्ञ कुमार पांडेय 'यज्ञ' ने_
मुझको भागीदार समझ,
चाहे बागी यार समझ। किंतु देश में लगी आग पर,
तेल तेल की धार समझ।आदि पंक्तियां पढ़कर कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
वहीं, संचालन कर रहे डॉ अजित शुक्ल के_
तुम्हारी आंख का काजल,
हमारे दिल को भाता है।
कभी तुम मुस्कुराती हो,
कभी वह मुस्कुराता है।
आदि पंक्तियों के गीत पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं।
जहां मंडल के संरक्षक यज्ञ नारायण सिंह 'अज्ञेय' ने पढ़ा_
आप आगे चलें या पीछे, आपके चलने पर मुझे कोई एतराज नहीं है।
निवेदन सिर्फ इतना है कि,
किसी का रास्ता रोक के न चलें।
काव्यपाठ करने वालों में मंडल के वरिष्ठ सदस्य बचई राम दिवेदी 'अनुराग' सहित डा० एसपी सिंह शैल, लाल चंदधर सिंह, रामजी मौर्य आसमां, कुमारी अंशी सिंह, हरिवंश सिंह आदि रहे।
गांव के वरिष्ठ नागरिक कल्पनाथ वर्मा ने उपस्थित साहित्यकारों एवं बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं, महिलाओं, बच्चों के प्रति धन्यवाद व आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर क्षेत्र के सम्मानित हिंदीप्रेमी व्यक्तियों में ग्राम प्रधान रामसेवक सरोज, अशोक सिंह, पूर्व प्रधान दयाराम मौर्य, उमाशंकर वर्मा, रमेश शर्मा, रामशरन मौर्य, उमाशंकर मिश्र, जगदीश मौर्य, श्यामलाल गौतम, रामकुमार मौर्य, पत्रकार मकदूम मौर्य, छोटे लाल कोरी, शिवराम मौर्य, अशोक यादव, सुभाष मौर्य, राजेंद्र वर्मा एवं नीरज मौर्य आदि सहित महिलाओं व बच्चों की बड़ी संख्या में उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
अंत में राष्ट्रगान के साथ साहित्यिक कार्यक्रम का हर्षोल्लासपूर्वक समापन हुआ।
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