ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया का बढ़ता खतरा

ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया का बढ़ता खतरा

ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया का बढ़ता खतरा

सर्दियों का मौसम बच्चों के लिए बेहद संवेदनशील होता है। इस दौरान सर्दी-खांसी के साथ निमोनिया के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी जाती है। *डॉ. शशांक त्रिवेदी, कंसलटेंट - पीडियाट्रिक्स, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर* ने बताया कि ठंड, कोहरा, प्रदूषण और वायरल संक्रमण बच्चों की कमजोर इम्युनिटी को प्रभावित करते हैं। खासकर नवजात शिशु, पांच साल से कम उम्र के बच्चे और पहले से सांस की समस्या वाले बच्चों में इसका खतरा अधिक रहता है। ठंड में बच्चों के फेफड़े जल्दी प्रभावित होते हैं। ठंडी हवा के सीधे संपर्क से संक्रमण बढ़ सकता है और सामान्य सर्दी-खांसी निमोनिया में बदल सकती है। साथ ही सिगरेट का धुआं, अगरबत्ती या हीटर की सीधी गर्म हवा भी बच्चों के श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाती है।

बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित

निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनाना बेहद जरूरी है। छाती, पीठ, सिर और पैरों को अच्छी तरह ढककर रखें। बहुत सुबह या देर रात ठंड में बच्चों को बाहर ले जाने से बचें। घर में साफ-सफाई बनाए रखें और बच्चों को सर्दी-खांसी से पीड़ित लोगों के संपर्क से दूर रखें। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने के लिए मां का दूध, संतुलित आहार और पर्याप्त तरल पदार्थ बेहद जरूरी हैं। समय पर टीकाकरण निमोनिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। टीके बच्चों को गंभीर संक्रमण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

अगर बच्चे में तेज बुखार, लगातार खांसी, सांस तेज चलना, सांस लेते समय सीने का अंदर धंसना, दूध या खाना कम लेना, अत्यधिक सुस्ती, चिड़चिड़ापन या होंठ-नाखून नीले पड़ने जैसे लक्षण दिखाई दें, तो इसे सामान्य सर्दी-खांसी समझकर टालें नहीं। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। समय पर पहचान और सही इलाज से बच्चों में निमोनिया की गंभीरता को रोका जा सकता है और जानलेवा स्थिति से बचाव संभव है।

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