यौम ए शहादत पर गूंजी हाय अली की गमगीन सदाये
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- Updated: 23 March, 2025 23:41
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PPN NEWS
रिपोर्ट, शमीम
– हैदरी मस्जिद में निकाला गया कदीमी ताबूत और अलम
– अनुयायियों ने मातम कर पेश की खिराज ए अकीदत
बिल्हौर/कानपुर। हजरत अली को 21 रमजान के दिन सुबह की नमाज में ठीक उस वक्त शहीद किया गया, जब वह पहली रकअत का सजदा कर रहे थे। इसके बावजूद हजरत अली ने अपनी सुर्ख दाढ़ी को देख रब का शुक्र अदा किया और कातिल को माफ करने की बात कही। इस वाकिए को किसी शायर ने कुछ इस तरह की पंक्तियों में पिरोया है… खा के जरबत जो कातिल को पिलाये शरबत, जेब देता है उन्हें साकी ए कौसर होना।
शुक्रवार को 21वीं रमजान को बिल्हौर तहसील के मकनपुर स्थित हैदरी मस्जिद में हजरत अली की शहादत की याद में शाम ए गम का आयोजन हुआ।
इसमें इलाकाई लोगों ने नोहख्वानी और बयान कर खिराज ए अकीदत पेश की। मस्जिद के इमाम अजीमुर रिजवी ने हजरत अली पर रोशनी डालते हुए कहा कि हजरत का जन्म मक्का शहर में हुआ था। वह इस्लाम के उदय से प्रभाव तक में पैगम्बर के सबसे करीबी साथी के अलावा दामाद भी बनाया गया। हजरत अली को शिया समुदाय में पहले इमाम और सुन्नी समुदाय में चौथे खलीफा की अहमियत हासिल है।
हजरत अली ने शांति और अमन का पैगाम देते हुए कहा कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है और वह अहिंसा के पक्ष में है। हजरत अली ने हमेशा राष्ट्रप्रेम और समाज से भेदभाव हटाने की कोशिश की और प्रेम के व्यवहार से दुश्मन को भी दोस्त बना लेने की भावना जाहिर की। हजरत अली का कहना था कि अत्याचार करने वाला और उसमें सहायता करने वाला व अत्याचार पर खुश होने वाला एक सामान अत्याचारी है। सोच समझकर बातचीत करने के हवाले से हजरत अली ने कहते है कि बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं, इसलिए हमेशा सोच समझकर ही बोले। सोच को पाक रखने के हवाले से हजरत अली कहते हैं कि हमेशा अपनी सोच को पानी के बूंदो से भी ज्यादा साफ रखो, क्योंकि जिस तरह बूंदों से समुंदर बनता है, उसी तरह सोच से ईमान बनता है। इस तरह उन्होंने अनुयायियों को अपनी जुबान की हिफाजत और सोच को हमेशा पाक बनाए रखने की हिदायत दी। मौलाना अजीमुर रिजवी ने कहा कि अपनी ऊंची सोच से दुनिया को अहिंसा का पैगाम देने वाले हजरत अली को मुकद्दस रमजान के महीने की 21 तारीख को कूफे की मस्जिद में शहीद कर दिया गया, इस मौके पर भी कातिल को माफ करने की बात कहकर हजरत अली ने महानता की अजीम मिसाल कायम की।
शाम ए गम में आए लोगों से मौलाना अजीमुर रिजवी ने हजरत अली के रास्ते पर चलने की अपील करते हुए अमन, इंसानियत और भाईचारे की हमेशा पैरोकारी करते रहने की कामना की। खिताब के बाद हजरत अली की याद में कदीमी ताबूत और अलम निकाला गया। इसमें काफी लोग शामिल हुए। हर किसी की जुबां पर अली के गम की सदा थी।
कदीमी ताबूत और अलम के साए में दर्द भरे नोहों पर आजादारो ने मातम किया। इसके बाद तयशुदा स्थान पर ताबूत और अलम महफूज कर तबर्रुकात तकसीम किए गए। आयोजन मे शिया और सुन्नी वर्ग के लोगों ने अपनी–अपनी अकीदत के मुताबिक हजरत अली को खिराज ए अकीदत पेश की। इस मौके पर मुख्य रूप से हशम अब्बास नकवी, फराज हुसैन, अफजल अब्बास, शाहिद हसनैन, एराज हुसैन, फैजी जाफरी, तनवीर, अयान, कदीर आदि मौजूद रहे।
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