अगर बच्चा स्कूल नहीं जा सकता, तो शिक्षा उसके दरवाजे तक पहुंचे - संदीप सिंह

अगर बच्चा स्कूल नहीं जा सकता, तो शिक्षा उसके दरवाजे तक पहुंचे - संदीप सिंह

PPN NEWS

लखनऊ, 30 जून।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा को जनसामान्य तक पहुँचाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की है। शैक्षिक सत्र 2025-26 में ऐसे सभी बच्चों की पहचान और पुनः विद्यालयी शिक्षा से जोड़ने के लिए ‘SHARDA’ (स्कूल हर दिन आए) कार्यक्रम के तहत राज्यव्यापी परिवार सर्वेक्षण को दो चरणों में संचालित किया जाएगा।


सरकार ने इस अभियान को सुनियोजित, चरणबद्ध और सतत निगरानी के साथ संचालित करने की योजना बनाई है। पहला चरण 1 जुलाई से 31 जुलाई तक् चलेगा जबकि दूसरा चरण 16 अगस्त से 15 सितंबर तक संचालित किया जायेगा। इन दो चरणों में राज्य के सभी ग्रामीण व नगरीय परिवारों, मलिन बस्तियों, ईंट भट्ठों, खदानों, होटलों, जनजातीय क्षेत्रों और पलायन (घूमन्तु) प्रभावित समुदायों को कवर करते हुए 6–14 आयु वर्ग के बच्चों का चिन्हांकन एवं नामांकन किया जाएगा।


कौन हैं ड्रॉपआउट बच्चे

जो बच्चा अगर कभी नामांकित नहीं हुआ है या जो 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थित रहा हो और वार्षिक मूल्यांकन/NAT में 35% से कम अंक प्राप्त किए हों; उसे आउट ऑफ स्कूल अथवा ड्रॉपआउट माना जाएगा। ऐसे बच्चों का आयु संगत कक्षा में नामांकन कराया जाएगा और विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।


सर्वेक्षण की इनकी है जिम्मेदारी

सर्वेक्षण कार्य की ज़िम्मेदारी विद्यालय स्तर पर गठित टीमों को सौंपी जाएगी, जिनमें प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, बीटीसी प्रशिक्षु, स्वयंसेवी संस्थाएं तथा अन्य विभागों के समन्वित कर्मचारी सम्मिलित होंगे। प्रत्येक विद्यालय द्वारा सेवित बस्तियों, मजरों या वार्डों को इन टीमों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा, ताकि कोई भी परिवार सर्वेक्षण से वंचित न रह जाए और सभी बच्चों की जानकारी समयबद्ध ढंग से एकत्र की जा सके।


ऐसे होगा विशेष प्रशिक्षण व मूल्यांकन

चिन्हित बच्चों को आयु संगत कक्षा में नामांकन के पश्चात विद्यालयों में संघनित पाठ्यक्रम आधारित विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। नामांकन के लगभग 15 दिन बाद इन बच्चों का 'बेसलाइन एसेसमेंट' (प्रारंभिक मूल्यांकन) शारदा ऐप के माध्यम से किया जाएगा, ताकि उनकी अधिगम स्थिति का स्पष्ट आकलन हो सके।

इसके बाद त्रैमासिक मूल्यांकन की योजना भी बनाई गई है, जो क्रमशः अक्टूबर, जनवरी और मार्च, 2026 में आयोजित किए जाएंगे। बच्चों को अध्ययन के लिए संक्षिप्त पाठ्यपुस्तकें (कंडेन्स्ड टेक्स्ट बुक्स) और आवश्यक अधिगम सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष प्रशिक्षण की जिम्मेदारी ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित नोडल अध्यापकों और वालंटियर्स को सौंपी गई है, जो निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप बच्चों को सशक्त रूप से मार्गदर्शन देंगे।


घूमन्तु परिवारों के बच्चों को माइग्रेशन सर्टिफिकेट व ठहराव की व्यवस्था

ऐसे बच्चों को जो पलायन करने वाले परिवारों से हैं, उन्हें माइग्रेशन सर्टिफिकेट दिया जाएगा, ताकि वे नए स्थान पर विद्यालय में नामांकन करा सकें। साथ ही, बच्चों के ठहराव और उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु अध्यापकों द्वारा नियमित गृहभ्रमण, फॉलोअप और अभिभावक संवाद भी आवश्यक किया गया है।


सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने का प्रयास

जिन बच्चों के परिवार अत्यंत निर्धन हैं, उन्हें समाज कल्याण, श्रम विभाग या अन्य विभागों की योजनाओं से जोड़कर सहयोग देने का निर्देश भी इस योजना का हिस्सा है। इसका उद्देश्य शिक्षा में स्थायित्व लाना है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार यह मानती है कि शिक्षा केवल अधिकार नहीं, बल्कि हर बच्चे के भविष्य की गारंटी है। ‘अगर बच्चा स्कूल नहीं जा सकता, तो शिक्षा उसके दरवाजे तक पहुंचे’; इसी संकल्प को साकार करने के लिए SHARDA जैसे अभियान संचालित किए जा रहे हैं। हमने इस अभियान को राजकीय प्राथमिकता मानते हुए क्रियान्वयन की ठोस कार्ययोजना तैयार की है। हमारा प्रयास है कि कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे और सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समान अवसर मिले। यह पहल न सिर्फ ड्रॉपआउट रोकने में कारगर होगी, बल्कि प्रदेश को शैक्षिक समावेशन की दिशा में भी आगे ले जाएगी।

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