पहले ऐसे नौकरशाह हैं डीएम सुहास एलवाई जिन्होंने पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीता

पहले ऐसे नौकरशाह हैं डीएम सुहास एलवाई जिन्होंने पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीता

Prakash Prabhaw News

नोयडा।

रिपोर्ट, विक्रम पांडेय

पहले ऐसे नौकरशाह हैं डीएम सुहास एलवाई जिन्होंने पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीता


पत्नी रितु सुहास ने कहा सिल्वर मेडल जीतकर वह काफी खुश थे. उनका सपना पैरालंपिक में भारत के लिए खेलना था।

गौतम बुध्द नगर के डीएम सुहास एलवाई पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गए हैं।

उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है।

हालांकि फाइनल में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सुहास रविवार को फाइनल में एक रोमांचक मुकाबले में फ्रांस के अपने प्रतिद्वंद्वी लुकास माजुर से हार गए।

माजुर ने उन्हें एस एल-4 क्लास मुकाबले में 15-21, 21-17 21-15 से हराया. सुहास से सबको गोल्ड मेडल जीतने की बड़ी उम्मीदें थीं। सुहास के सिल्वर मेडल जीतने के साथ भारत को पैरालंपिक में 18वां पदक मिल गया।

सुहास की सफलता पर पत्नी रितु सुहास ने कहा था कि सिल्वर मेडल जीतकर वह काफी खुश थे. उनका सपना पैरालंपिक में भारत के लिए खेलना था।

वह देश के पहले ऐसे नौकरशाह हैं जिन्होंने पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।

डीएम सुहास एल वाई 2007 के बैच के आईएएस अफसर है प्रशासनिक सेवा में कार्यरत लोग अमूमन मात्र शौक के लिए खेलते हैं लेकिन गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने इस बात को झुठला दिया।

सुहास खुलासा करते हैं कि वह बैडमिंटन कॉलेज के दिनों से पहले से भी रोजाना खेलते आ रहे हैं। 38 साल के सुहास नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट हैं. उनके एक टखने में परेशानी है।

डीएम सुहास ने बताया था कि बचपन में ही उनके पिता ने उनमें ऐसा कूट-कूटकर आत्मविश्वास भरा कि इंजीनियर से आईएएस और यहां से पैरा शटलर के रास्ते खुलते गए।

सुहास के मुताबिक उन्हें मेडिटेशन की जरूरत नहीं पड़ती। जब वह कोर्ट पर होते हैं तो उन्हें अध्यात्म का अनुभव होता है। बैडमिंटन ही उनके लिए ध्यान और साधना है।

सुहास एक कंप्यूटर इंजीनियर से आईएएस अधिकारी बने हैं। 2020 से नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं।

यह ऐसी भूमिका थी, जिसमें उन्हें कोविड-19 महामारी से लड़ाई में सबसे आगे देखा गया।

जिलाधिकारी जैसे पद की अहम जिम्मेदारी होने के बावजूद सुहास बैडमिंटन के लिए समय निकाल लेते हैं।

वह कहते हैं कि दुनिया में लोगों के पास 24 घंटे ही हैं। इनमें कई सारे काम कर लेते हैं और कुछ कहते हैं कि उनके पास समय नहीं है। किसी चीज के प्रति दीवानापन है तो उसे करने में तकलीफ नहीं होती। इसी तरह बैडमिंटन उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है।

सुहास के मुताबिक पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व गौरव की बात उन्होंने सपने में नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में यह दिन आएगा। सुहास की पत्नी और गाजियाबाद की एडीएम ऋतु सुहास ने कहा, 'हमारे लिए वो जीत चुके हैं. उन्होंने बहुत अच्छा खेला और देश का नाम रोशन किया है. हमें उन पर गर्व है।

ये पूरे देशवासियों के लिए हर्ष का विषय है.' सुहास की पत्नी रितु सुहास ने कहा था कि सिल्वर मेडल जीतकर वह काफी खुश थे। उनका सपना पैरालंपिक में भारत के लिए खेलना था।

सुहास की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बधाई दी है।

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