कानपुर और लखनऊ में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (net cost contract - NCC) मॉडल पर संचालित होंगी ई-बसें

कानपुर और लखनऊ में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (net cost contract - NCC) मॉडल पर संचालित होंगी ई-बसें

PPN NEWS

Report Monu Safi

लखनऊ। नगरीय परिवहन को आधुनिक और व्यवस्थित बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। योगी कैबिनेट ने जनपद लखनऊ, कानपुर नगर तथा उसके समीपवर्ती महत्वपूर्ण कस्बों में ई-बसों को नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (एनसीसी) मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया है। नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि अभी तक प्रदेश के 15 नगर निगमों में 743 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, जिनमें से 700 बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल पर हैं।


इस योजना के अंतर्गत लखनऊ और कानपुर नगर समेत आस-पास के कस्बों में 10-10 रूटों पर 9 मीटर लंबी एसी ई-बसें चलाई जाएंगी। प्रत्येक रूट पर कम से कम 10 बसें अनिवार्य होंगी। कॉन्ट्रैक्ट की अवधि वाणिज्यिक संचालन तिथि से 12 वर्ष की होगी। अनुमान है कि प्रत्येक रूट पर करीब ₹10.30 करोड़ का व्यय आएगा, जिसमें से ₹9.50 करोड़ बसों की खरीद पर और ₹0.80 करोड़ चार्जिंग उपकरणों व अन्य आवश्यक साधनों पर खर्च होंगे।


प्रावधान के तहत, बसों का डिजाइन, वित्तपोषण, खरीद, निर्माण, आपूर्ति और अनुरक्षण की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटर निभाएंगे। उन्हें 90 दिनों के भीतर प्रोटोटाइप ई-बस उपलब्ध करानी होगी और एक वर्ष के भीतर बस संचालन शुरू करना होगा। सभी किराया एवं गैर-किराया राजस्व का संग्रह निजी ऑपरेटर करेंगे। टैरिफ निर्धारण सरकार द्वारा किया जाएगा, जिसे समय-समय पर संशोधित किया जा सकेगा।


साथ ही सरकार परिवहन विभाग और आरटीओ/आरटीए से आवश्यक लाइसेंस और परमिट जारी करेगी। ई-बसों के संचालन के लिए सरकार बिहाइंड-द-मीटर विद्युत अवसंरचना और अपॉर्चुनिटी चार्जिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराएगी। सरकार का मानना है कि इस मॉडल से सरकारी वित्तीय बोझ में कमी आएगी और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। 

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