मऊगंज में एएसपी विक्रम सिंह की संवेदनशील पहल—दिव्यांगजन को बांटे कंबल, प्रशासनिक सेवा का मानवीय चेहरा सामने आया
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- Updated: 21 November, 2025 21:04
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गहरवार नर्सिंग होम बायपास पर बढ़ती ठंड को देखते हुए पुलिस अधिकारी ने खुद पहुंचकर बांटे कंबल—दिव्यांगों ने कहा: “हमारी तकलीफ़ समझने वाले कम मिलते हैं”
संवाददाता – मुस्ताक अहमद
रीवा/मऊगंज - मऊगंज क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की सर्दी के बीच एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है। मंगलवार को मऊगंज एडिशनल एसपी विक्रम सिंह ने गहरवार नर्सिंग होम बायपास पर जाकर वहां मौजूद दिव्यांगजन को कंबल वितरण किया। इस मानवीय पहल से जहां ठंड से ठिठुर रहे लोगों को राहत मिली, वहीं पुलिस अधिकारी की इस संवेदनात्मक कार्रवाई की क्षेत्रभर में सराहना हो रही है।
एएसपी ने खुद पहुंचकर सुनीं समस्याएं
एएसपी विक्रम सिंह ने कंबल वितरण से पहले दिव्यांगजन से बातचीत की और उनसे उनकी रोजमर्रा की चुनौतियों के बारे में जानकारी ली। कई दिव्यांगों ने अपनी आर्थिक और शारीरिक परेशानियों को बताया, जिस पर अधिकारी ने उन्हें सरकारी योजनाओं व सहायता से जोड़ने का आश्वासन दिया।
ठंड में कंबल बना जीवनरक्षक सहारा
बढ़ती ठंड को देखते हुए कंबल वितरण का यह कार्यक्रम दिव्यांगों के लिए किसी राहत से कम नहीं था। कई दिव्यांगों ने कहा कि वे कई दिनों से ठंड में रातें गुजार रहे थे, ऐसे में पुलिस प्रशासन की यह पहल उनके लिए बहुत बड़ी मदद है।
एक दिव्यांग बुजुर्ग ने भावुक होकर कहा—
“आज तक हमें सिर्फ सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने ही मिले, लेकिन आज पहली बार किसी अधिकारी ने खुद आकर हमारी तकलीफ पूछी।”
स्थानीय लोगों ने पहल को बताया प्रेरणादायक
वितरण कार्यक्रम के दौरान काफी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद थे। लोगों ने एएसपी विक्रम सिंह के इस प्रयास को सराहते हुए कहा कि पुलिस की ऐसी पहल समाज में विश्वास और अपनत्व दोनों बढ़ाती है। कई लोगों ने कहा कि ऐसे कदम पुलिस और जनता के बीच दूरी कम करते हैं।
जरूरतमंदों की सूची बनाकर आगे मदद का भरोसा
एएसपी ने अपने साथ मौजूद टीम को निर्देश दिया कि क्षेत्र के अन्य गरीब, वृद्ध और दिव्यांग लोगों की सूची तैयार की जाए, ताकि उन्हें भी समय पर सहायता पहुंचाई जा सके। प्रशासन की ओर से जल्द ही एक और मदद अभियान चलाने की योजना भी बताई गई।
मानवीय सेवा को मिला सकारात्मक संदेश
इस पूरी पहल ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी संवेदनशील और सहायक है। क्षेत्रीय लोगों में भी इससे सकारात्मक ऊर्जा और उम्मीद का माहौल बना।
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