थाना पारा अंतर्गत बढ़ते आपराधिक मामले को रोकने में हंस खेड़ा चौकी इंचार्ज एवं पारा थाना प्रभारी हो रहे नाकाम
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- खबरें हटके
- Updated: 25 July, 2020 23:05
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लखनऊ
थाना पारा अंतर्गत बढ़ते आपराधिक मामले को रोकने में हंस खेड़ा चौकी इंचार्ज एवं पारा थाना प्रभारी हो रहे नाकाम
विगत 1 सप्ताह ही बीते होंगे कि चर्चा में रहे राजधानी लखनऊ का थाना पारा जो अपराधिक मामलों में संवेदनशील क्षेत्र घोषित है जिसमें देसी शराब एवं अंग्रेजी शराब की बिक्री हो या फिर सूर्य नगर में आंसू यादव को गोली दिनदहाड़े मारी गई हो वाली घटना हो या फिर गायत्री नगर में हरिओम पांडे का सुसाइडघटना हो और चोरी छुपे देसी और अंग्रेजी शराब की अवैध तरीके से बिक्री होने की घटना या सिंचाई विभाग नेहरिया पर मीट मछली मुर्गा मांस की अवैध तरीके से बिक्री का मामला हो आपको बता दें कि दबंग एवं भू माफियाओं से नगर निगम के अधिकारी एवं राजस्व के लेखपाल एवं उच्च अधिकारियों एवं चौकी प्रभारी और थाना प्रभारी की मिलीभगत के कारण पारा क्षेत्र में अपराधिक घटनाएं अपना पैर फैलाते हुए आगे बढ़ती चली जा रही हैं इसी क्रम में बीती रात को पारा थाना अंतर्गत अपोलो मेडिकल साईं मंदिर के निकट अपोलो फार्मेसी अंग्रेजी दवा खाना में रात को लगभग 2:30 बजे चोरों ने हाथ साफ किया इसी तरह पारा थाने के अंतर्गत अपराधिक मामले इतने अधिक तीव्र गति से बढ़ते ही चले जा रहे हैं जिसे थाना प्रभारी पारा त्रिलोकी सिंह एवं चौकी इंचार्ज हंस खेड़ा सुभाष यादव जिन्हें रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं और क्षेत्र में भय का वातावरण व्याप्त है लोग अपने आप को असुरक्षित समझ रहे हैं इस समय जबकि पुराना थाना पारा पुलिया के पास न सीढ़ियों का जमावड़ा लगा रहता है घरों में रहने वाली क्षेत्रीय महिलाएं एवं लड़कियों को आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है अब देखना यह है कि क्या ऐसे ही क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियां अपना पैर पसारे हुए आगे बढ़ते रहेंगे या फिर क्षेत्र में शांति पूर्ण माहौल का वातावरण होगा और ऐसे पुलिसकर्मियों पर क्या शिकंजा कसेगा या फिर इसी तरह से अपराधिक मामले बढ़-चढ़कर के होते रहेंगे जबकि पारा थाना अंतर्गत चोरियों की वारदात थमने का नाम नहीं ले रही हैं और ना ही चोरी का खुलासा हो पाता है जबकि बीनू सिंह की बेकरी की दुकान डॉ यादव के दुकान के पास है उनके वहां चोरी की वारदात हुई और कोई इस घटना का खुलासा नहीं हुआ
वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट।
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