जन्माष्टमी पर मथुरा-वृन्दावन में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर सजी जन्मभूमि
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- Updated: 16 August, 2025 19:45
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Janmashtami at mathura
PPN NEWS
लखनऊ, 16 अगस्त 2025
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार मथुरा-वृंदावन के लिए ऐतिहासिक रहा। पिछले वर्ष जहां लगभग 45 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं इस बार यह संख्या शाम 6 बजे तक ही बढ़कर लगभग 60 लाख हो गई। इस वृद्धि ने उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनाया। शनिवार को देश-विदेश से उमड़ी कृष्ण भक्तों की अपार भीड़ ने जब जन्मभूमि और वृंदावन की गलियों में कदम रखा तो पूरा ब्रजधाम “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के जयकारों से गूंज उठा। कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, रूस और नेपाल से आए विदेशी पर्यटकों की भागीदारी ने इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दिया और ब्रजधाम की पहचान वैश्विक धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर और अधिक सुदृढ़ हुई।
पूरे शहर को जन्मोत्सव की भव्यता में डुबाने के लिए प्रशासन और पर्यटन विभाग ने व्यापक तैयारियां की थीं। मथुरा और वृंदावन में लगभग 21 छोटे और 5 बड़े मंच बनाए गए, जहां हजारों कलाकारों ने रासलीला, भजन, नृत्य और जन्मलीला की प्रस्तुतियां दीं। इन मंचों पर उमड़ती भीड़ और कलाकारों की जीवंत प्रस्तुतियों ने न केवल श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर अविस्मरणीय बना दिया बल्कि ब्रज की लोक संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दिलाई। होटल, परिवहन और स्थानीय व्यापार में आई उल्लेखनीय वृद्धि ने इस आयोजन को आर्थिक दृष्टि से भी प्रदेश के लिए लाभकारी बनाया।
पर्यटन एवं संस्कृत मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, “जन्माष्टमी पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि उत्तर प्रदेश अब भारत ही नहीं, बल्कि विश्व का धार्मिक पर्यटन केंद्र बन चुका है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि हर श्रद्धालु को सुगमता और सुविधा मिले। पूरे ब्रज में बनाए गए मंचों पर हजारों कलाकारों ने रास, भजन, नृत्य और जन्मलीला जैसी अद्भुत प्रस्तुतियों से लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया, जिसे देखकर देश-विदेश से आए पर्यटक मंत्रमुग्ध रह गए। ब्रज की यह भव्यता और आस्था से ओत-प्रोत आयोजन न केवल आध्यात्मिक अनुभव का माध्यम बना, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को नई उड़ान भी दी।”
जन्माष्टमी के अवसर पर बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर और इस्कॉन वृंदावन में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। हज़ारों भक्त दर्शन और विशेष मंगला आरती के लिए उमड़े। प्रमुख मंदिरों में दिखी यह भारी भीड़ ब्रजधाम की गहरी आस्था और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। इसी बीच पूरा ब्रज क्षेत्र भव्य सजावट से जगमगा उठा। जगह-जगह रोशनी, थीम आधारित सजावट और पुष्प प्रदर्शनी ने वातावरण को उत्सवी रंग में रंग दिया। जगमगाती रोशनी और भव्य सजावट ने ब्रजधाम को उत्सव के रंगों में रंग दिया, जहां श्रद्धालु और पर्यटक अद्भुत अनुभूति से सराबोर हुए।
lस्वर्णिम वस्त्रों में ठाकुरजी, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर सजी जन्मभूमि
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर ठाकुरजी को अर्पित की गई विशेष पोशाक मथुरा के कारीगरों ने छह महीने की मेहनत से तैयार की थी। इसमें सोने-चांदी के तारों का प्रयोग किया गया था और इंद्रधनुष के सातों रंगों को संजोया गया था। इस दिव्य वेशभूषा में ठाकुरजी अलौकिक आभा से परिपूर्ण नजर आए।
जन्मभूमि मंदिर को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर सजाया गया। जिस फूल बंगले में ठाकुरजी विराजे, उसे सिंदूरी रंग के फूलों से सजाया गया था, जिन्हें विशेष रूप से कोलकाता और बेंगलुरु से मंगाया गया था। इस भव्य सजावट और दिव्य श्रृंगार ने श्रद्धालुओं को अद्वितीय आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया, जिससे मथुरा की धार्मिक पर्यटन छवि और मजबूत हुई।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर थीम और ब्रज की लोक कलाओं के मंचन ने श्रद्धालुओं को अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। इस बार बड़ी संख्या में पर्यटकों ने मथुरा के गवर्नमेंट म्यूज़ियम, स्थानीय कला केंद्रों और वृंदावन व गोकुल के अन्य धरोहर स्थलों का भी भ्रमण किया। जन्माष्टमी ने सिर्फ़ आस्था को ही नहीं बल्कि ब्रज क्षेत्र की सांस्कृतिक और विरासत पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है।”
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