जिले में शिक्षा के मंदिरों में माफियाओं की काली छाया
- Posted By: Admin
- खबरें हटके
- Updated: 21 July, 2020 09:30
- 680

फतेहपुर जिले में शिक्षा के मंदिरों में माफियाओं की काली छाया
पी पी एन न्यूज
Report कमलेन्द्र सिंह
जिले में शिक्षा के मंदिरों में माफियाओं की काली छाया
पहले ही पड़ चुकी है। जिले में 2 दर्जन से अधिक ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जिनकी नींव रखने के लिए तत्कालीन समय में संस्थापकों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। शिक्षा व ज्ञान के उजियारे को सुदूरवर्ती क्षेत्रों में फैलाने के लिए खून पसीने की कमाई से खड़े किए गए शिक्षा के ये मंदिर स्थापित तो हो गए लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ा इन पर कब्जों का सिलसिला शुरू हो गया। इसी का नतीजा है कि स्कूलों की स्थापना करने वाले लोग 2 दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थाओं से हटा कर बाहर कर दिए गए और इनमें बड़े माफियाओं ने कब्जा कर लिया।
जिला मुख्यालय सहित फतेहपुर, खागा, बिंदकी तहसील क्षेत्रों में ऐसे विद्यालय हैं जहां भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ी और उन्होंने कभी सत्ता का सहारा लिया तो कभी खजाने के दम पर पहले प्रबंध कमेटियों में कब्जा जमाया और फिर उनसे लगी जमीनों की खरीद-फरोख्त में लग गए।तीन दर्जन से अधिक इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज ऐसे हैं जहां कई-कई बीघे जमीनें संबद्ध हैं लेकिन स्कूलों की उन्नति नहीं हुई और विद्यालय जहां के तहां खड़े रहे। कई विद्यालय तो ऐसे हैं जो बिल्कुल जर्जर हो गए हैं और इनमें बैठना जान जोखिम डालने से कम नहीं है लेकिन कब्जा जमाए लोग आगे बढ़ते गए और एक के बाद एक उनके नए संस्थान भी खुलते गए। यह वह इंटर कॉलेज, संस्कृत विद्यालय व डिग्री कॉलेज हैं जिनके शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन सरकार तो देती है लेकिन मौज प्रबंध कमेटियों में कब्जा जमाए लोग मार रहे हैं।
इतना ही नहीं कई स्कूलों की बेशकीमती जमीनों की प्लाटिंग करके उन्हें बेच दिया गया या फिर दूसरे संस्थान समानांतर खड़े कर दिए गए। शिक्षा के पावन मंदिरों में माफियाओं की गिद्ध दृष्टि आने वाले दिनों में और खतरों के संकेत हैं।जिले में ऐसे कई नाम हैं जिनकी गिनती तो समाज में उजले लोगों में है लेकिन स्कूलों में उनकी छाया भी किसी कालिख से कम नहीं है।शिक्षण संस्थाओं की जमीनों पर कब्जा जमा उनको बेचने तथा नए संस्थानों की स्थापना कर माल काटते-काटते अब वह शिक्षा माफिया बन बैठें हैं।
इन माफियाओं के चंगुल से संस्थानों को मुक्ति दिलाने के लिए कदम आगे कौन बढ़ाएगा? यही हाल रहा तो शिक्षण संस्थानों का आगे आने वाला समय और भी बुरा होने वाला है और यह पूरी तरीके से माफियाओं के कदमों पर रहेगें। शिक्षण संस्थानों में लगी बेशकीमती जमीनें ही इनके कब्जों का कारण हैं। यहां जिलाधिकारी को भी शिक्षा के क्षेत्र में लगे इस ग्रहण को हटाने के लिए सार्थक पहल करनी होगी और जैसे गत दिनों धार्मिक स्थलों मंदिर आदि से लगी जमीनों को लेकर कमेटी बना उनके लेखा जोखा का हर साल डाटा तैयार करने के निर्देश दिए और ऐसा न करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। वैसे ही जिले के शिक्षण संस्थानों का ब्यौरा भी जिलाधिकारी को तलब करना चाहिए और संस्थानों के दो दशक पूर्व की स्थिति और मौजूदा स्थितियों में जमीनों के रखरखाव सहित संस्थानों के हालातों की चर्चा कर उनमें संबद्ध जमीनों को लेकर ठोस कार्रवाई करनी होगी।तभी माफियाओं के चंगुल से शिक्षण संस्थानों की जमीनों को बचाया जा सकेगा।
ये संस्थान अपने बुरे दौर से गुजर रहे हैं! ना पठन-पाठन का स्तर है और ना ही कोई व्यवस्थाएं नियुक्तियों के नाम पर कब्जा जमाए लोग उगाही कर शिक्षक कर्मचारियों का उत्पीड़न करते आ रहे हैं*।इनके विरुद्ध आवाज उठाने वालों की आवाज को दबा दिया जाता है।अब देखना यह है कि जिले में शिक्षण संस्थाओं को माफियाओं के चंगुल से मुक्ति दिलाने के लिए कोई कारगर कदम उठाए जाएंगे या यूं ही माफियाओं का खेल जारी रहेगा।
Comments