इतिहास बनने की दहलीज़ पर ब्रितानी हुकूमत का स्मारक स्थल
- Posted By: Admin
- खबरें हटके
- Updated: 3 July, 2020 23:10
- 557

इतिहास बनने की दहलीज़ पर ब्रितानी हुकूमत का स्मारक स्थल
पी पी एन न्यूज
कमलेन्द्र सिंह
फ़तेहपुर
शहर के अंदर पीडबल्यूडी सर्किट हाउस के सामने अंग्रेज़ी हुकूमत काल में स्थापित किये गये पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षित स्मारकों का अस्तित्व ख़तरे में है। ये स्मारक जिस भू-भाग में स्थित है, उसका क्षेत्रफल कभी कई बीघे में हुआ करता था किंतु अब काफ़ी कुछ सिमट गया है और जो ज़मीन बची भी है, उस पर सत्तारूढ़ दल से जुड़े अलंबरदारो की नज़र टिक गई है तथा वह समय दूर नहीं है जब भू-माफ़िया इसकी प्लाटिंग करके इसका अस्तित्व समाप्त कर देंगे ...!*
उल्लेखनीय है कि अपने वजूद के लिए जूझते यह शिला पट्ट (पत्थर) फतेहपुर के इतिहास के उस दौर के स्मारक जब इन पत्थरों के लगाने का उद्देश्य धर्मांतरण है सामने आने पर फतेहपुर का जनमानस ब्रितानी शासन के खिलाफ विद्रोह करने के लिए तैयार हो गया था। १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में धार्मिक कारण बेहद महत्वपूर्ण है जब हजरत मूसा की यह 10 उपदेश सर्किट हाउस के सामने स्थापित किए गए तो जनमानस को एक संदेश था कि अब फतेहपुर धर्मांतरण की तरफ बढ़ चलाएं और इस तरह जन्म हुआ उस दावानल का जिसने फतेहपुर में आगामी 02 साल तक ब्रिटिश हुकूमत को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। यह स्मारक अतीत के एक महत्वपूर्ण बदलाव का साक्षी है परंतु वर्तमान में उपेक्षा के चलते अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है।
पुरातत्व विभाग द्वारा लगाया गया नोटिस बोर्ड बेमानी साबित हो रहा है और इसके चारों तरफ छोटी-छोटी दुकानों ने कब्जे कर लिए हैं और यह कल्पना बड़ी भयावह है कि एक जनरेशन के बाद हम अपनी पीढ़ी को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासत से मरहूम कर रहे होंगे। भारत के संविधान का अनुच्छेद 49 यह अपेक्षा रखता है कि राष्ट्रीय स्मारकों का संरक्षण किया जाएगा, उनका गरिमामय संरक्षण किया जाएगा। ऐसी हालत में पुरातत्व विभाग के संज्ञान में होने के बावजूद अपने वजूद से संघर्ष करते हुए इस आग उगलने वाले स्मारक की वर्तमान दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है! कहते हैं जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है, इतिहास उसे भूल जाता है। हमें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा यह स्मारक शहर की पहचान बन सके, इसके लिए जरूरी है कि इसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। क्योंकि यह अतिक्रमण जमीन पर नहीं बल्कि पुरातत्व विभाग द्वारा निर्देशित एक स्मारक पर किया जा रहा है और संविधान के अनुच्छेद 49 का स्पष्ट उल्लंघन है।
देखना यह भी महत्वपूर्ण होगा कि यह संरक्षित स्थल कब तक अपना वजूद बचा पाता है। सवाल यह उठता है कि सत्ता से जुड़े अलंबरदार बाज़ आयेंगे या अन्य भू-खंड़ो की भाँति इसका भी ही वैसा ही होगा, जैसा अन्य का हुआ था ...!
Comments