क्यों मनाते है ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार

क्यों मनाते है ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार

prakash prabhaw news

आज आपको बताते है कि क्यों ईद और बक़रीद के त्यौहार के अलावा मुस्लिम ईद मिलादुन्नबी के त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मानते है।  ईद मिलादुन्नबी के दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था इसलिए ये दिन बारावफात के नाम से भी जाना जाता है। 

ईद और बकरीद के अलावा भी मुस्लिम एक मुख्य त्योहार को मनाते है जिसको ईद ए मिलादुन्नबी कहा जाता है। ये मुसलमानों के लिए एक बेहद खास दिन माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबिउलअव्वल की 12 तारीख को मनाए जाने वाले इस त्योहार की अपनी अहमियत है। इस दिन आखिरी नबी और पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था।  इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग जश्न मनाते हैं मिठाइयां बांटते हैं और जुलूस निकालते हैं। 

ईद मिलादुन्नबी इस्लाम के इतिहास का सबसे अहम दिन माना जाता है। पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म इस तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ था। इस दिन को मनाने की शुरुआत मिस्र से 11वीं सदी में हुई थी। फातिमिद वंश के सुल्तानों ने इस ईद को मनाना शुरू किया। पैगम्बर के इस दुनिया से जाने के चार सदियों बाद इसे त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। इस मौके पर लोग रात भर जागते हैं और मस्जिदों में पैगम्बर द्वारा दी गई कुरआन और दीन की तालीम का जिक्र किया जाता है। इस दिन मस्जिदों में तकरीर कर पैगम्बर के बताए गए रास्ते और उनके आदर्शों पर चलने की सलाह दी जाती है। 

इसलिए कहते हैं बारावफात मिलादुन्नबी के साथ

ईद मीलादुन्नबी के साथ-साथ इस दिन को बारावफात भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के साथ वफात (मौत) भी हुई थी।  दुनिया को अलविदा कहने से पहले पैगम्बर मोहम्मद बारह दिन तक बीमार रहे थे। 12वें दिन उन्होंने इस दुनिया को जाहिरी तौर पर अलविदा कह दिया था और इत्तेफाक से उनका जन्म भी आज ही के दिन हुआ था इसलिए इस दिन को बारावफात के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इस दिन मुसलमान ग़म मनाने की बजाए आज के दिन जश्न मनाते हैं। 


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